संगीतकार ए आर रहमान को नोटिस, जानिए क्या है पूरा मामला

By भाषा | Published: September 12, 2020 03:34 PM2020-09-12T15:34:06+5:302020-09-12T15:34:06+5:30

विभाग ने उच्च न्यायालय का रुख कर यहां आयकर अपीलीय अधिकरण के उस फैसले को चुनौती दी, जिसके तहत चेन्नई में आयकर के प्रधान आयुक्त के आदेश को निरस्त कर दिया गया था।

Notice to music composer AR Rahman madras high court Embroiled In Income Tax Case | संगीतकार ए आर रहमान को नोटिस, जानिए क्या है पूरा मामला

कंपनी के लिये विशेष ‘रिंगटोन’ की धुन तैयार करने के लिये अनुबंध किया था और यह अनुबंध तीन साल के लिये था। (file photo)

Highlightsकर चोरी के एक माध्यम के रूप में अपने फाउंडेशन का इस्तेमाल किया, जिसमें वह प्रबंध न्यासी हैं तथा उसमें तीन करोड़ रुपये से अधिक आय जमा की। न्यायमूर्ति टी एस शिवगणनम और न्यायमूर्ति वी भवानी सुब्बरयन की खंडपीठ ने आयकर विभाग की दलीलें दर्ज कीं और संगीतकार को नोटिस जारी किया।समझौते के सिलसिले में (आयकर) आकलन वर्ष 2011-12 में 3.47 करोड़ रुपये की आय अर्जित की।

चेन्नईः मद्रास उच्च न्यायालय ने कर चोरी से जुड़े आयकर विभाग के एक आरोप के सिलसिले में संगीतकार ए आर रहमान को एक नोटिस जारी किया।

आयकर विभाग ने आरोप लगाया है कि रहमान ने कर चोरी के एक माध्यम के रूप में अपने फाउंडेशन का इस्तेमाल किया, जिसमें वह प्रबंध न्यासी हैं तथा उसमें तीन करोड़ रुपये से अधिक आय जमा की। विभाग ने उच्च न्यायालय का रुख कर यहां आयकर अपीलीय अधिकरण के उस फैसले को चुनौती दी, जिसके तहत चेन्नई में आयकर के प्रधान आयुक्त के आदेश को निरस्त कर दिया गया था।

न्यायमूर्ति टी एस शिवगणनम और न्यायमूर्ति वी भवानी सुब्बरयन की खंडपीठ ने आयकर विभाग की दलीलें दर्ज कीं और संगीतकार को नोटिस जारी किया। आयकर विभाग के वरिष्ठ स्थायी वकील टीआर सेंथिल कुमार के मुताबिक रहमान ने ब्रिटेन की लिब्रा मोबाइल्स के साथ किये एक समझौते के सिलसिले में (आयकर) आकलन वर्ष 2011-12 में 3.47 करोड़ रुपये की आय अर्जित की।

उन्होंने कंपनी के लिये विशेष ‘रिंगटोन’ की धुन तैयार करने के लिये अनुबंध किया था और यह अनुबंध तीन साल के लिये था। अनुबंध के मुताबिक रहमान ने कंपनी को यह पारिश्रमिक अपने प्रबंधन वाले फाउंडेशन में सीधे भुगतान करने का निर्देश दिया था। वकील ने कहा, ‘‘कराधान वाली आय अवश्य ही रहमान द्वारा प्राप्त की जानी थी और कर की वाजिब कटौती के बाद उसे न्यास को हस्तांतरित किया जा सकता था। लेकिन ऐसा न्यास के माध्यम से नहीं किया जा सकता क्योंकि परमार्थ न्यास की आय को आयकर कानून के तहत छूट प्राप्त है। ’’

विभाग द्वारा दायर याचिका के मुताबिक रहमान ने आयकर नोटिस पाने के बाद चेन्नई में आयकर अपीलीय अधिकरण का रुख किया और सितंबर 2019 में अधिकरण ने यह रकम कर योग्य नहीं पाने को लेकर रहमान के पक्ष में फैसला दे दिया था। रहमान ने 2010-11 में लिब्रा मोबाइल से 3,47,77,200 रुपये एक कलाकार के तौर पर प्राप्त किये थे, जिस पर अवश्य ही कर लगना चाहिए और पुन:आकलन आदेश में आकलन अधिकारी ने इस पर विचार नहीं किया।

साथ ही, 2011-12 के रहमान के आयकर रिटर्न में पेशेवर शुल्क की पावती का उल्लेख नहीं किया गया। इसके बजाय, करदायी ने इस भुगतान को ए आर रहमान फाउंउेशन के खाते में डाल दिया। यह फाउंडेशन आयकर अधिनियम के तहत कर से छूट प्राप्त संस्था है।

वहीं रहमान के प्रबंधन समूह ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिये बयान में रहमान के पक्ष में दिए अधिकरण के फैसले का उल्लेख किया। बयान में कहा गया, “ एआर रहमान फाउंडेशन की तरफ से पहले ही प्राप्त राशि पर कर की पेशकश की जा चुकी थी जिसे माननीय आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण, चेन्नई बेंच ने सराहा था और फैसला रहमान के पक्ष में दिया था।” रहमान के प्रबंधन ने कहा कि न्यास की स्थापना 2006 में शिक्षा, एकता, मानवता और नेतृत्व के माध्यम से समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने के लिए की गई थी। 

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