शहंशाह-ए-तरन्नुम के नाम से मशहूर थे मोहम्मद रफ़ी, जानिए दिग्गज सिंगर से जुड़ी दिलचस्प बातें
By मनाली रस्तोगी | Published: July 31, 2020 05:55 AM2020-07-31T05:55:56+5:302020-07-31T05:55:56+5:30
दिग्गज सिंगर मोहम्मद रफ़ी की पुण्यतिथि के मौके पर जानिए उनसे जुड़ी खास बातें।
अपनी गायकी से सबके दिलों पर राज करने वाले मोहम्मद रफ़ी भले ही इस दुनिया में ना हों, लेकिन उनके गाने आज भी लोगों की जुबान पर रहते हैं। फैंस के बीच रफ़ी साहब के नाम से मशहूर इस पार्श्व गायक ने अपनी आवाज की मधुरता के कारण काफी सुर्खियां बटोरीं। यही नहीं, मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ ने कई नए सिंगर्स को भी प्रेरित किया था, जोकि उस समय फिल्म इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान बनाने आए थे। इस लिस्ट में सोनू निगम, मुहम्मद अज़ीज़ और उदित नारायण जैसे मशहूर गायकों का नाम शामिल है।
24 दिसंबर 1924 को अमृतसर के पास पंजाब के कोटला सुल्तान सिंह गांव में जन्मे मोहम्मद रफ़ी का निधन 31 जुलाई 1980 को मुंबई में दिल का दौरा पड़ने की वजह से हुआ था। उन्हें शहंशाह-ए-तरन्नुम भी कहा जाता था, जोकि फिल्म 'नील कमल' का गाना 'बाबुल की दुआएं लेती जा' से काफी मशहूर हुए थे। उन्हें भारत सरकार द्वारा 'पद्म श्री' से सम्मानित किया जा चुका है। 13 वर्ष की आयु में मोहम्मद रफ़ी ने पब्लिक के सामने अपना पहला गाना गाया था। रफ़ी साहब ने कई दिग्गज अभिनेताओं के लिए गाने गाए।
बताया जाता है कि रफ़ी साहब असामी, कोंकणी, पंजाबी, उड़िय , मराठी, बंगाली, भोजपुरी, पारसी, डच, स्पेनिश और इंग्लिश में भी गीत गाते थे। मगर उन्होंने अपने जीवन में कुल कितने गाने गाए इस पर कुछ विवाद है। 1970 के दशक में गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स ने लिखा कि सबसे अधिक गाने रिकॉर्ड करने का श्रेय लता मंगेशकर को प्राप्त है, जिन्होंने कुल 25,000 गाने रिकॉर्ड किए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रफ़ी ने इसका खंडन करते हुए गिनीज़ बुक को एक चिट्ठी लिखी भी लिखी थी। इसके बाद काफी सारी शोध की गई थी। हालांकि, साल 1992 में गिनीज़ बुक ने सबसे अधिक गाने रिकॉर्ड करने की केटेगरी हटा दी थी।