बॉलीवुड भूल गया है कि हीरो की जब एंट्री हो तो धूल उड़नी चाहिए, सीटियां बजनी चाहिए, संजय दत्त ने साउथ फिल्मों के बढ़ते क्रेज पर कही ये बात
By अनिल शर्मा | Published: April 16, 2022 11:27 AM2022-04-16T11:27:11+5:302022-04-16T11:33:29+5:30
केजीएफ: चैप्टर 2 की बात करें तो फिल्म में संजय दत्त के अलावा यश और रवीना टंडन भी हैं। यह 2018 में आई फिल्म केजीएफ का सीक्वल है।
मुंबईः संजय दत्त अपनी हालिया फिल्म केजीएफ चैप्टर 2 को लेकर खासे चर्चा में हैं। फिल्म में उनके अभिनय को लोग काफी पसंद कर रहे हैं। फिल्म 14 अप्रैल को रिलीज हुई थी। इस फिल्म की खास बात है कि रिलीज से पहले ही लोग इसे ब्लॉकबस्टर घोषित कर चुके हैं।
हिंदी पट्टी राज्यों में दक्षिण भारतीय फिल्मों के बढ़ते क्रेज को लेकर बॉलीवुड भी चिंतित है। ये चिंता हाल ही में सलमान खान ने भी जाहिर की थी। अब संजय दत्त ने भी इस सवाल पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। पिंकविला से बातचीत में खलनायक अभिनेता ने कहा कि दक्षिण फिल्म उद्योग 'वीरता' (हीरोइज्म) को कभी नहीं भूलता।
संजय दत्त ने विस्तार से इस बारे में बात करते हुए कहा कि दक्षिण फिल्मों में वीरता हमेशा बनी रही। मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है ... मुझे लगता है कि हम इसे थोड़ा भूल गए हैं ... एक नायक की एंट्री मनमोहक होनी चाहिए। वो चलता है तो धूल उड़नी चाहिए, सीटी बजनी चाहिए... वह हीरो है, जो कई बॉलीवुड में कई सालों से गायब है... जान की बाजी, खल नायक, सब कुछ देखो, हीरो को ऐसे ही इस्तेमाल किया गया। यह अब भी वहां (दक्षिण फिल्म उद्योग में) होता है... मुझे लगता है कि यह अब यहां होगा।"
केजीएफ चैप्टर 2 अभिनेता ने आगे कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह एक नायक या खलनायक की एंट्री है, सीटी और ताली होनी चाहिए ... अमरीश जी और अन्य सभी अभिनेताओं को अतीत से देखें। उन्होंने इतना बड़ा काम किया है। वे मजबूत खलनायक थे।
संजय दत्त ने इस बात पर जोर देकर कहा कि एक मजबूत खलनायक के बिना एक नायक मजबूत नहीं हो सकता ... हॉलीवुड फिल्मों में भी - चाहे वह एक्शन हो, थ्रिलर हो या सुपरहीरो - खलनायक या कुछ और है। थानोस के पास मिनटों में दुनिया को खत्म करने की ताकत है। अगर थानोस नहीं तो बदला लेने वाले हीरो कैसे हो सकते हैं।
केजीएफ: चैप्टर 2 की बात करें तो फिल्म में संजय दत्त के अलावा यश और रवीना टंडन भी हैं। यह 2018 में आई फिल्म केजीएफ का सीक्वल है।