महाराष्ट्र सरकार ने जितना अपमान किया है उसके सामने ऋतिक व आदित्य भले लगते हैं: कंगना रनौत
By अनुराग आनंद | Published: November 28, 2020 03:19 PM2020-11-28T15:19:41+5:302020-11-28T15:31:48+5:30
कंगना रनौत ने कोर्ट के फैसले के बाद कहा था कि मुझे हिम्मत देने वालों का भी आभार। अदालत ने यह भी कहा कि अदालत किसी भी नागरिक के खिलाफ प्रशासन को ‘बाहुबल’ का उपयोग करने की मंजूरी नहीं देता है।
नई दिल्ली:बॉलीवुड अभिनेत्रीकंगना रनौत ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के बाद मुंबई की मेयर किशोरी पेडनेकर द्वारा उन्हें दो टके के लोग कहने पर प्रतिक्रिया दी है। दरअसल, मुंबई की मेयर ने कंगना रनौत को पिछले दिनों "दो टके की आदमी" बताते हुए कमेंट किया था।
कंगना रनौत ने ट्वीट कर कहा है कि पिछले कुछ माह में महाराष्ट्र सरकार ने मेरे खिलाफ जितने कानूनी केस किए हैं और मुझे भला बुरा कहा है..मेरा अपमान किया है। उसके सामने बॉलीवुड माफिया ऋतिक रोशन व आदित्य पंचोली भली आत्माएं लगने लगी हैं।
The amount of legal cases, abuses, insults, name calling I faced from Maharashtra government in these few months make Bollywood mafia and people like Aaditya Pancholi and Hrithik Roshan seem like kind souls ....
— Kangana Ranaut (@KanganaTeam) November 28, 2020
I wonder what is it about me that rattle people so much 🙂 https://t.co/by2VKQauZt
बता दें कि इससे पहले अपने फैसले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई नगर निगम की कार्रवाई को गलत बताते हुए टिप्पणी की थी। कोर्ट ने उद्धव ठाकरे सरकार के फैसले को गलत बता दिया है।
कंगना के बंगले को गिराना द्वेषपूर्ण कृत्य था: अदालत
इससे पहले कोर्ट का फैसला आने के बाद इस मामले में कंगना रनौत ने कहा था कि मुझे हिम्मत देने वालों का भी आभार। अदालत ने यह भी कहा कि अदालत किसी भी नागरिक के खिलाफ प्रशासन को ‘बाहुबल’ का उपयोग करने की मंजूरी नहीं देता है। न्यायमूर्ति एस जे काठवाला और न्यायमूर्ति आर आई चागला की पीठ ने कहा कि नागरिक निकाय द्वारा की गई कार्रवाई अनधिकृत थी और इसमें कोई संदेह नहीं है। कोर्ट ने माना कि कंगना के बंगले को गिराना द्वेषपूर्ण कृत्य था।
पीठ रनौत द्वारा नौ सितंबर को उपनगरीय बांद्रा स्थित अपने पाली हिल बंगले में बीएमसी द्वारा की गई कार्रवाई के आदेश को चुनौती वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि वह किसी भी नागरिक द्वारा किए गए किसी भी अवैध निर्माण को नजरअंदाज करने की पक्षधर नहीं है और न ही उसने रनौत के ट्वीट को सही ठहराया जिसके कारण यह पूरी घटना हुई।
उन्होंने अपने आदेश में कहा, ‘‘यह अदालत अवैध कार्यों या सरकार के खिलाफ या फिल्म उद्योग के खिलाफ दिए गए किसी भी गैरजिम्मेदार बयान का अनुमोदन नहीं करती है। अदालत ने कहा, 'हमारा मानना है कि याचिकाकर्ता को लोकप्रिय व्यक्ति होने के नाते ट्वीट करते समय कुछ संयम बरतना चाहिए।”
कोई कार्रवाई की जाती है, तो यह कानून की सीमाओं में रहकर की जानी चाहिए: कोर्ट
हालांकि,आदेश में कहा गया है कि किसी नागरिक द्वारा अपनी व्यक्तिगत क्षमता में राज्य या उसके तंत्र के खिलाफ की गई टिप्पणियों को राज्य द्वारा नजरअंदाज किया जाना चाहिए।” पीठ ने कहा,‘‘और अगर कोई कार्रवाई की जाती है, तो यह कानून की सीमाओं में रहकर की जानी चाहिए। प्रशासन द्वारा किसी भी तरह के बाहुबल का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।”
आदेश में रनौत को भविष्य में सार्वजनिक रूप से अपनी राय व्यक्त करते हुए 'संयम' बरतने का भी निर्देश दिया गया। अपनी याचिका में रनौत ने दावा किया था कि मुंबई पुलिस के खिलाफ उनके ट्वीट के बाद शिवसेना सरकार चिढ़ गई थी और उसके बाद बीएमसी ने द्वेषपूर्ण भावना से यह कार्रवाई की।
बीएमसी ने इन आरोपों से इनकार किया था और कहा था कि अभिनेत्री ने बंगले में अवैध निर्माण करवाया था और इसलिए निगम के अधिकारियों ने कानून के मुताबिक विध्वंस कार्य किया था। हालांकि, पीठ ने कहा कि विध्वंस स्थल की तस्वीरों, बीएमसी द्वारा रनौत के आरोपों को नकारने वाले बयान, शिवसेना के संजय राउत द्वारा की गई टिप्पणियां, विध्वंस के बाद पार्टी के मुखपत्र 'सामना' में संपादकीय, सभी ने स्पष्ट किया कि नागरिक निकाय ने द्वेषपूर्ण भावना से यह कार्रवाई की है।