Guru Dutt Death Anniversary: सिनेमा के लीजेंड गुरु दत्त ने क्यों किया था सुसाइड? दरवाजा तोड़कर निकाली गई थी लाश

By ज्ञानेश चौहान | Published: October 10, 2019 05:03 PM2019-10-10T17:03:42+5:302019-10-10T17:04:53+5:30

गुरु दत्त ने हिन्दी सिनेमा को कागज के फूल, प्यासा, मिस्टर एंड मिसेज 55, बाज, जाल, बाजी, चौंदवीं का चांद, साहिब बीबी और गुलाम जैसी फिल्में दी थीं। वह एक लेखक, निर्देशक, अभिनेता और फिल्म निर्माता भी थे। उनका जन्म 9 जुलाई, 1925 को बैंगलौर में हुआ था।

Guru Dutt Death Anniversary: Guru Dutt Untold suicide story | Guru Dutt Death Anniversary: सिनेमा के लीजेंड गुरु दत्त ने क्यों किया था सुसाइड? दरवाजा तोड़कर निकाली गई थी लाश

Guru Dutt Death Anniversary: सिनेमा के लीजेंड गुरु दत्त ने ऐसे की थी आत्महत्या, दरवाजा तोड़कर निकाली गई थी लाश

हिन्दी सिनेमा इतिहास में गुरु दत्त को महज एक इंसान के तौर पर नहीं देखा जाता। उन्हें एक सिनेमा मेकिंग स्कूल की तरह देखा जाता है। उनकी कई फिल्मों को सिनेमा की पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राओं को शोध के लिए दिया जाता है। लेकिन वह आज के ही दिन (10 अक्टूबर, 1964) इस दुनिया को अलविदा कह गए थे। तब उनकी उम्र महज 39 साल की थे।

लेकिन उनका इस दुनिया से जाना कोई आम घटना नहीं थी। गुरु दत्त के सबसे दिलअजीज दोस्त और उनकी ज्यादातर ‌फिल्मों के लेखक अबरार अल्वी ने अपनी किताब 'टेन ईयर्स विद गुरु दत्त' उनके मौत के दिन की पूरी कहानी को विस्तार से बताया है।

9 अक्तूबर 1964 की शाम, आर्क रॉयल की बैठक फिल्म 'बहारें फिर भी आएंगी' की नायिका के मृत्यु चित्रण को लिखने का काम चल रहा था। ऑर्क रॉयल, गुरु दत्त का मुंबई में पेड्डर रोड स्थित बंगला हुआ करता था।

अबरार बताते हैं, "हमेशा की तरह उस दिन भी करीब सात बज मैं वहां  पहुंचा तो माहौल और दिनों से अलग दिख रहा था। मैंने देखा कि गुरु दत्त शराब के आलम डूबे थे। उनके चेहरे पर अवसाद और खिन्नता दोनों साफ झलक रही है। शराब का सिलसिला कब से चल रहा था यह अनुमान लगाना मुश्किल था पर इतना जरूर था कि मैंने उसके विश्वनीय सहायक रतन से पूछा कि माजरा क्या था?"

रतन ने बताया 'साढ़े पांच बजे से शराब पी रहे हैं' अबरार ने एक चुटकी ली 'क्या कष्ट है मित्र'? वह मौन रहे पर हां, एक पेग शराब और उड़ेल ली।"

अबरार के मुताबिक, "गुरु दत्त और उनकी पत्नी गीता दत्त में कई दिनों से अनबन थी। गीता अलग रहती थीं। शायद उन दोनों के बीच फोन पर तू-तू, मैं-मैं का निरंतर सिलसिला चल रहा ‌था, ऐसा लगा रहा था कि गुरु दत्त अपना आपा खो रहे थे। हर फोन के बाद गुरु दत्त के चेहरे पर और ज्यादा गुस्सा आ रहा था।

गीता ने बेटी को गुरु दत्त से मिलने पर रोक लगा दी थी। तभी एक फोन कॉल पर, गुरु दत्त ने गीता को आखिरी चेतावनी दे डाली, 'आज अगर मैंने बिटिया का मुंह न देखा तो तुम मेरा पार्थ‌िव शरीर देखोगी'।"

गुरु दत्त, कितना भी नशा कर लें, नियंत्रण नहीं खोते थे। उन्होंने एक पेग और पीने की चाह रखी। परिणाम निवालों के साथ अन्याय। वह मेरे साथ खाने पर बैठे तो जरूर पर खाया कुछ नहीं। लेकिन मैं थका हारा प्राणी जो सामने था, चट कर गया।- अपनी किताब टेन ईयर्स विद गुरु दत्त में अबरार अल्वी

अबरार आगे बताते हैं, रात एक बजे ये सिलसिला समाप्त हुआ। मेरा उनसे बात करने की सारी कोशिशें नाकाम रहीं। उन्होंने कहा, 'मुझे अब सोने दो', 'पर मेरा लेखन! सीन नहीं देखेंगे आप?' अक्सर लेखन खत्म होने के बाद गुरु दत्त मुझसे उसका विवरण लेते थे पर उस दिन उन्होंने मना कर दिया। 'रतन को दे दो' कहते हुए वो अपने कक्ष में लगे गए।"

उस रात आर्क रॉयल में रात एक बजे के बाद क्या हुआ, बहुत ही कम लोगों को मालूम है। अबरार को दत्त के त्रासदी भरे अंतिम क्षणों की जानकरी रतन से मिली, पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

अबरार के अनुसार, "उस रात गुरु दत्त ने 3 बजे सुबह नींद से उठते ही पूछा, 'अबरार कहा है? 'अबरार अपने रात का लेखन मुझे सौंप कर चले गए। बुलाऊं क्या?' रतन ने पूछा'। 'रहने दो, हां मुझे एक बोतल व्हिस्की दे दो?' 'अब व्हिस्की नहीं है' रतन ने कहा। पर वो कहां मानने वाले थे। उन्हें पता था बोलत कहां रखी हुई है। बोलत उठाई और अपना कमरा बंद कर लिया।"

फिल्मफेयर की खबर में नर्गिस दत्त के हवाले से बताया गया था सुबह 8:30 बज दत्त के व्यक्तिगत डॉक्टर भी उनके घर पहुंचे पर उन्हें सोता समझ कर लौट गए।

इस दौरान गीता दत्त लगातार फोन करती रहीं। रतन उन्हें दत्त के देर रात तक जगने का हवाला देकर अधिक देर तक सोने की बातें करता रहा। लेकिन तब तक गीता को किसी आसामन्यता का आभास हो गया था। उन्होंने 11 बजे रतन को दरवाजा तोड़ने को कहा।

दरवाजा टूटने पर रतन ने पाया कि दत्त अपने बिस्तर पर सो रहे थे। गीता ने जगाने को कहा, डॉक्टर को फोन कर के वहां पहुंचने को कहा, लेकिन तब तक गुरु दत्त 'चिरनिद्रा' में सो चुके थे। डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

अबरार बताते हैं कि घटना की जानकारी पर जब वो आर्क रॉयल पहुंचे तो उन्होंने देखा, "गुरु दत्त अपने कुर्ते पायजामे में शालीनाता से लेटे हुए थे। बिस्तर के बगल में एक छोटी सी शीशी में गुलाबी रंग का तरल पदार्थ था।"

यह देखते ही अबरार के मुंह से निकला, "आह! मृत्यु नहीं आत्महत्या!! इन्होंने अपने आपको मार डाला।"

गुरु दत्त ने हिन्दी सिनेमा को कागज के फूल, प्यासा, मिस्टर एंड मिसेज 55, बाज, जाल, बाजी, चौंदवीं का चांद, साहिब बीबी और गुलाम जैसी फिल्में दी थीं। वह एक लेखक, निर्देशक, अभिनेता और फिल्म निर्माता भी थे। उनका जन्म 9 जुलाई, 1925 को बैंगलौर में हुआ था।

Web Title: Guru Dutt Death Anniversary: Guru Dutt Untold suicide story

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