गीता दत्तः जमींदार की वो बेटी जिसके दर्दभरे नगमे सुन प्यार में पड़ गए थे गुरु दत्त, ऐसे हुआ था रिश्ते का अंत
By अनिल शर्मा | Published: November 23, 2021 02:58 PM2021-11-23T14:58:44+5:302021-11-23T15:30:43+5:30
गीता और गुरु दत्त कुल 13 साल तक ही साथ गुजार पाए। दोनों के बीच दरारें तब शुरू हुईं जब गुरु दत्त ने वहीदा रहमान के साथ चार फिल्मों (सीआइडी, प्यासा, कागज के फूल, साहिब बीवी और गुलाम) का करार किया।
मुंबईःगीता दत्त और गुरु दत्त की पहली मुलाकात 'बाजी' के सेट पर हुई थी। इसी फिल्म के एक गीत की रिकॉर्डिंग के दौरान गुरु दत्त को गीता से प्यार हो गया था। 23 नवंबर 1930 को जन्मीं गीता दत्त शादी से पहले गीता रॉय थीं। जब गीता दत्त 12 साल की थीं, तब परिवार ने पूर्वी बंगाल के फरीदपुर जिले में अपने घर से बॉम्बे जाने का फैसला किया। भले ही वह समृद्ध परिवेश में पली-बढ़ी थी, लेकिन उनका परिवार जब बंबई आया तो यहां सब फिर से शुरु करना पड़ा। उन्होंने दादर इलाके में एक मामूली सा अपार्टमेंट लिया।
एक दिन जब वह अपने फ्लैट में एक गीत गा रही थी, संगीत निर्देशक के. हनुमान प्रसाद ने उनकी आवाज सुनी। उन्होंने उनके माता-पिता को फिल्मों में गाने की बात कही। परिवार राजी हुआ जिसके बाद वे गीता को संगीत में प्रशिक्षित किए। इसके बाद फिल्मों में लॉन्च किया। 1946 में, उन्हें पहला ब्रेक तब मिला जब उन्हें "भक्त प्रह्लाद" में गाने का मौका मिला, जिसके संगीत निर्देशक हनुमान प्रसादजी थे। उन्हें इस फिल्म के कुछ गानों में गाने के लिए सिर्फ दो लाइन दी गई थी। गीता तब सिर्फ सोलह वर्ष की थी। लेकिन उन दो पंक्तियों ने रिकॉर्डिंग स्टूडियो में सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके बाद गीता की निकल पड़ी। उन्हें 1947 में"दो भाई" में गाने का मौका मिला।
ऐसे हुई गुरु दत्त से मुलाकात
9 जुलाई 1925 को जन्में गुरु दत्त 'बाजी' फिल्म के एक गाने- तदबीर से बिगड़ी हुई, तकदीर बना ले की रिकॉर्डिंग के वक्त स्टूडियो में ही मौजूद थे। इस गीत को सुन वे गीता के मुरीद हो गए। और उनको अपना दिल दे बैठे।
गीता उस वक्त गायिकी की दुनिया में नाम कमा चुकी थीं। उनके पास आलीशान लिमोजिन थी जिससे वे गुरु दत्त से मिलने माटुंगा जाया करती थीं। गुरु दत्त यहीं एक फ्लैट में रहा करते थे। और गीता रॉय पास ही हिंदू कॉलोनी में रहती थीं। गीता जब भी गुरु दत्त से मिलने आती सीधे रसोईघर में दाखिल हो जाती थीं और मदद करने लगती थीं।
तीन साल तक चला प्रेम प्रसंग
गुरु दत्त की बहन ललिता भी उनके साथ ही रहती थीं। गीता घरवालों से ललिता से मिलने की बात कहकर ही गुरु से मिलने आया करतीं। गुरु दत्त की छोटी बहन ललिता ने बताया था कि गुरू दत्त और गीता के प्रेम पत्र एक दूसरे के लिए ले जाया करती थीं। और गुरु दत्त जब भी गीता के लिए गिफ्ट खरीदते ललिता को भी जरूर कुछ न कुछ उपहार देते। ये 3 सालों तक चला। उधर गीता के परिवारवाले रिश्ते के खिलाफ थे। लेकिन गीता की जिद थी कि शादी गुरु से ही करेंगी। आखिर गीता की जिद पर परिवारवालों ने 26 मई, 1953 को दोनों की शादी करा दी। शादी के बाद दोनों पहले खार, फिर पॉली हिल के बंगले में रहने लगे।
ऐसे बढ़ीं गुरु दत्त और गीता के बीच दूरियां
गुरु दत्त और गीता कुल 13 साल तक ही साथ गुजार पाए। दोनों के बीच दरारें तब शुरू हुईं जब गुरु दत्त ने वहीदा रहमान के साथ चार फिल्मों (सीआइडी, प्यासा, कागज के फूल, साहिब बीवी और गुलाम) का करार किया। वहीदा को मुंबई लाने वाले गुरु दत्त ही थे। मुंबई आने से पहले वहीदा तमिल और तेलुगु की दो-दो फिल्में कर चुकी थीं। वहीदा के साथ फिल्में और दोनों के बीच के प्रेम प्रसंग की वजह से गीता और गुरु दत्त में दूरियां बढ़ती गईं।
गीता-गुरु की प्रेम कहानी एक अवसाद छोड़ कर खत्म हो गई
कहते हैं 'प्यासा' तक मामला ज्यादा बिगड़ गया। आखिर दोनों ने अपनी राह अलग कर ली। तनाव का आलम यह था कि गुरु ने तीन बार आत्महत्या की कोशिशें कीं। 9 अक्तूबर, 1964 को शूटिंग रद्द होने के कारण गुरु दत्त ने गीता को फोन कर बच्चों से मिलने की इच्छा जताई। मगर गीता ने मांग खारिज कर दी। अगले दिन गुरु दत्त अपने घर में निष्प्राण मिले। गीता-गुरु की प्रेम कहानी एक अवसाद छोड़ कर खत्म हो गई।