पुण्यतिथि विशेष: दादा साहब फाल्के ने बनाई थी पहली फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र', कुछ ऐसी थी फादर ऑफ इंडियन सिनेमा की जिंदगी

By मेघना वर्मा | Published: February 16, 2019 09:32 AM2019-02-16T09:32:35+5:302019-02-16T09:32:35+5:30

वो दादा साहब ही थे जिन्होंने सबसे पहले औरतों को फिल्मों में कास्ट किया था। अपने समय के जाने-माने प्रड्यूसर, डायरेक्टर और स्क्रीनराइटर दादा साहब, जिन्होंने अपने 19 साल के लंबे करियर में 95 फिल्में बनाई थी।

Death anniversary: Know more about Dadasaheb Phalke who called as the father of Indian cinema | पुण्यतिथि विशेष: दादा साहब फाल्के ने बनाई थी पहली फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र', कुछ ऐसी थी फादर ऑफ इंडियन सिनेमा की जिंदगी

पुण्यतिथि विशेष: दादा साहब फाल्के ने बनाई थी पहली फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र', कुछ ऐसी थी फादर ऑफ इंडियन सिनेमा की जिंदगी

हिन्दी सिनेमा चाहे जितना ही एडवांस और मॉर्डन क्यों ना हो जाए मगर इसके विकास में योगदान देने वालों को इतिहास तक याद रखा जाएगा। मनोरंजन जगत के भीष्म पितामाह कहे जाने वाले दादा साहब फाल्के का नाम इस लिस्ट में सबसे पहले आता है। हिंदी सिनेमा को अस्तित्व में लाने वाले और भारत में सिनेमा की नींव रखने वाले दादा साहब फाल्के की पुण्यतिथि पर जानिए उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ रोचक बातें। 

बनाई पहली फिल्म राजा हरिश्चंद्र

दादा साहब फाल्के का जन्म 30 अप्रैल 1870 को त्रयंबक माहाराष्ट्र में हुआ था। दादा साहेब ही वो शख्सियत थे जिन्होंने हमारे देश में सिनेमा जगत की नींव डाली। साल 1913 में उन्होंने राजा हरिश्चंद्र जैसी कल्ट फिल्म बनाई। जिसका बजट उस समय 15 हजार रूपये बताया जाता है। जिसे किसी सिनेमा थिएटर नहीं बल्कि पर्दे पर प्रसारित किया गया था। सिनेमा के 100 साल के इतिहास में इस फिल्म का जिक्र हमेशा किया जाता रहेगा। ये फिल्म एक मूक फिल्म थी। जिसमें एक्ट्रेस का किरदार भी खुद एक्टरों ने निभाया था। 

पत्नी से पैसे लिए थे उधार

अपने समय के जाने-माने प्रड्यूसर, डायरेक्टर और स्क्रीनराइटर दादा साहब, जिन्होंने अपने 19 साल के लंबे करियर में 95 फिल्में बनाई थी। बताया जाता है कि उनकी जिंदगी का टर्निंग प्वॉइंट तब शुरू हुआ जब उन्होंने फिल्म द लाइफ ऑफ क्रिस्ट देखी। इस मूक फिल्म को देखने के बाद दादा साहब के अंदर भी फिल्म बनाने की इच्छा हुई। जिसके लिए उन्होंने अपनी पत्नी से कुछ पैसे उधार भी लिए थे और उन्हीं पैसों से भारत की पहली फिल्म बनीं राजा हरिश्चंद्र। 

औरतों को दिया फिल्मों में काम

वो दादा साहब ही थे जिन्होंने सबसे पहले औरतों को फिल्मों में कास्ट किया था। बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार दादा साहब की फिल्म भस्मासुर मोहिनी में उन्होंने दो औरतों को काम दिया। उन्हें फिल्मी जगत के जनक का जनक भी बताया जाता है। दादा साहब ने 27 शॉर्ट मूवीज भी बनाईं थीं।

नासिक में हुआ निधन

दादा साहब फाल्के की आखिरी मूक फिल्म सेतुबंधन थी। इसके बाद भारतीय सिनेमा का ये जनक हम सभी को छोड़कर चला गया। साल 1944 की 16 फरवरी को उनका नासिक में निधन हो गया। भारत सरकार ने उनकी याद में 1969 से सिनेमा जगत का सबसे बड़ा अवॉर्ड दादा साहब फाल्के पुरस्कार की शुरुआत की। इसे सिनेमा जगत का सर्वोच्च पुरस्कार माना जाता है। 

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