अदालत ने सुशांत मामले में मीडिया रिपोर्टिंग को लेकर अर्जी पर केंद्र को जारी किया नोटिस

By भाषा | Published: September 15, 2020 03:59 PM2020-09-15T15:59:41+5:302020-09-15T15:59:41+5:30

एनजीओ ‘इन परस्यूट ऑफ जस्टिस’ द्वारा दायर नवीनतम याचिका में अनुरोध किया गया है कि न्यायालय, ‘अदालत की अवमानना अधिनियम’ के दायरे को विस्तारित करे, जिससे किसी मामले में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद से न्याय के प्रशासन में किसी बाधा को इसमें शामिल किया जा सके

Court issues notice to Center on application for media reporting in Sushant case | अदालत ने सुशांत मामले में मीडिया रिपोर्टिंग को लेकर अर्जी पर केंद्र को जारी किया नोटिस

अदालत ने सुशांत मामले में मीडिया रिपोर्टिंग को लेकर अर्जी पर केंद्र को जारी किया नोटिस

Highlightsअदालत ने अर्जी पर केंद्र को नोटिस जारी किया है और कहा, ‘‘हम संबंधित मामलों पर एकसाथ सुनवायी करेंगे।नोटिस में कई अहम बातें की गई हैं

 बम्बई उच्च न्यायालय ने एक गैर सरकारी संगठन द्वारा दायर उस याचिका पर मंगलवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया जिसमें अनुरोध किया गया है कि मीडिया को अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत से जुड़े मुद्दों और मामले की जांच की रिपोर्टिंग करने से रोका जाए। बम्बई उच्च न्यायालय में दायर यह ऐसी तीसरी अर्जी है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता के नेतृत्व वाली एक पीठ पहले से ही दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।

इसमें एक याचिका पुणे में रहने वाले फिल्म निर्माता नीलेश नवलखा और दो अन्य और दूसरी राज्य के आठ पूर्व पुलिस अधिकारियों द्वारा दायर की गई है। अदालत ने अब इन तीनों याचिकाओं पर संयुक्त सुनवायी आठ अक्टूबर को निर्धारित की है। एनजीओ ‘इन परस्यूट ऑफ जस्टिस’ द्वारा दायर नवीनतम याचिका में अनुरोध किया गया है कि न्यायालय, ‘अदालत की अवमानना अधिनियम’ के दायरे को विस्तारित करे, जिससे किसी मामले में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद से न्याय के प्रशासन में किसी बाधा को इसमें शामिल किया जा सके।

इसमें यह भी अनुरोध किया गया है कि ‘‘मीडिया को तब तक मामले से संबंधित किसी सामग्री के प्रकाशन या प्रसारण से रोका जाए’’ जब तक अर्जी पर उच्च न्यायालय द्वारा अंतिम फैसला नहीं किया जाता। याचिका में कहा गया है, ‘‘अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की असामयिक मृत्यु के मामले में मीडिया रिपोर्टिंग और घटना से जुड़े सभी मुद्दों और गैर-मुद्दों के बारे में मीडिया का व्यवहार काफी हद तक परेशान करने वाला है।’’

उसने कहा, ‘‘इससे मुक्त प्रेस और न्याय प्रशासन के बीच एक स्वीकृत संवैधानिक संतुलन खोजने की तत्काल जरूरत उत्पन्न हो गई है।’’ अर्जी में यह भी कहा गया है कि प्रेस ने राजपूत के निजी चैट, आरोपियों एवं अस्पताल कर्मियों के बयान भी प्रकाशित किये हैं। इसमें कहा गया है कि ऐसी रिपोर्टिंग ने पक्षकारों के अधिकारों का अतिक्रमण किया है और इससे मामले की जांच पर प्रभाव पड़ने की आशंका है। अदालत ने अर्जी पर केंद्र को नोटिस जारी किया है और कहा, ‘‘हम संबंधित मामलों पर एकसाथ सुनवायी करेंगे।’

Web Title: Court issues notice to Center on application for media reporting in Sushant case

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