Annu Kapoor's 'Hamare Baarah': अन्नू कपूर की 'हमारे बारह', बेतहाशा बढ़ती आबादी पर सशक्त संदेश..., पढ़िए
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 23, 2024 11:46 AM2024-06-23T11:46:06+5:302024-06-23T11:47:24+5:30
Annu Kapoor's 'Hamare Baarah': मज़हब के नाम पर नारी के घर में ही होने वाले शोषण के ख़िलाफ़ एक बुलंद आवाज़ बनकर आती है फ़िल्म 'हमारे बारह'.
Annu Kapoor's 'Hamare Baarah': देश की लगातार ढंग से बढ़ती आबादी हमेशा से ही चिंता का विषय रही है. ऐसे में अनियंत्रित होती आबादी और उसके दुष्परिणामों को लेकर चिंता तो हर कोई दिखता है मगर आबादी पर नियंत्रण को लेकर कम ही लोग ठोस रूप से कोई काम करते हैं. ऐसे में सिनेमाई इतिहास में इस संजीदा विषय को हमेशा से दरकिनार ही किया गया है. 'हमारे बारह' लीक से हटकर बनी ऐसी ही एक सशक्त फ़िल्म है जो कि एक मुस्लिम परिवार के माध्यम से दर्शायी गई है. निरंतर रूप से बढ़ती आबादी की एक ख़ास वजह ये भी है कि अक्सर लोग धर्म की आड़ लेते हैं और बच्चों को ईश्वर या फिर अल्लाह की देन बताकर ज़रूरत से ज़्यादा बच्चे पैदा करते रहते हैं. ऐसे में औरतों का ख़ुद अपने शरीर पर नियंत्रण नहीं होता है.
उन्हें और बच्चे चाहिए या नहीं, उन्हें गर्भपात कराना है या नहीं, इसे लेकर उनसे कभी कोई रायशुमारी नहीं की जाती है और एक के बाद एक बच्चे पैदा कर उनका शारीरिक और मानसिक शोषण किया जाता है. मज़हब के नाम पर नारी के घर में ही होने वाले शोषण के ख़िलाफ़ एक बुलंद आवाज़ बनकर आती है फ़िल्म 'हमारे बारह'.
कमल चंद्रा के निर्देशन में बनी फ़िल्म कव्वाल मंज़ूर अली ख़ान संजरी (अन्नू कपूर) की दो बीवियों और उनके बच्चे पैदा करते रहने की हवस की एक मार्मिक दास्तां है. फ़िल्म में दिखाया गया है कि कैसे अपनी मां के गर्भपात को लेकर एक लड़की अपने ही ज़ालिम पिता के ख़िलाफ़ कोर्ट का रुख करती है और एक औरत के शरीर पर एक औरत का ही हक़ होने की बात करती है.
'हमारे बारह' मज़हब के नाम पर दकियानूसी रिवाज़ों को बढ़ावा देने और औरतों पर होने वाले अत्याचारों की कहानी को पूरी संवेदनशीलता और संजीदगी के साथ बड़े पर्दे पर पेश करती है. फ़िल्म एक पुरज़ोर तरीके से औरतों के हक़ में आवाज़ उठाती है और बताती है कि औरतों का शरीर महज़ बच्चे पैदा करने के लिए नहीं बना है.
अन्नू कपूर ने एक अत्याचारी पति और पिता के रूप में बेहतरीन अदाकारी का परिचय दिया है. अपने सशक्त अभिनय के माध्यम से वो एक बार फिर साबित करते हैं कि उनके जैसे उम्दा अभिनेता बिरले ही होते हैं. पार्थ समथान, मनोज जोशी, अश्विनी कलसेकर, अभिमन्यु सिंह, पारितोष त्रिपाठी, अदिति भातपेहरी, अंकिता द्विवेदी, अदिति धीमान, शगुन मिश्रा जैसे कलाकारों ने भी अपनी अपनी भूमिकाओं को बढ़िया ढंग से निभाया है.
निर्देशक कमल चंद्रा ने महज़ब के नाम पर दर्जनों बच्चे पैदा करने की प्रथा पर 'हमारे बारह' जैसी एक जबर्दस्त फ़िल्म बनाकर इस बात को साबित किया है कि सिनेमा में जिस विषय को अछूता माना जाता रहा है, उसपर भी बढ़िया फ़िल्म बनाकर समाज को एक उम्दा संदेश दिया जा सकता है. फ़िल्म मर्दवादी समाज में नारी सशक्तिकरण की बात करती है. एक बेहद जटिल मगर ज़रूरी विषय पर फ़िल्म बनाने के लिए निर्देशक कमल चंद्रा की जितनी तारीफ़ की जाए, वह कम ही होगी.
कुलमिलाकर, 'हमारे बारह' आंखें खोल देने वाली एक ऐसी धांसू फ़िल्म है जिसे हर वर्ग और हर धर्म के लोगों को सिनेमाघरों में जाकर ज़रूर देखना चाहिए ताकि तंगख्याली से पैदा हुई यथास्थितिवाद को चुनौती दी जा सके और बढ़ती आबादी में महज़ब की भूमिका पर एक नये सिरे से बहस छेड़ी जा सके.
कलाकार : अन्नू कपूर, पार्थ समथान, मनोज जोशी, अश्विनी कलसेकर, अभिमन्यु सिंह, पारितोष त्रिपाठी, अदिति भातपेहरी, अंकिता द्विवेदी, अदिति धीमान, शगुन मिश्रा आदि
निर्देशक : कमल चंद्रा
निर्माता : रवि गु्प्ता, बिरेंदर भगत, संजय नागपाल और शिओ बालक सिंह
संगीतकार : अन्नू कपूर, संदीप बत्रा और बिशाख ज्योति
रेटिंग : 4 स्टार