अश्विनी महाजन का ब्लॉग: क्या सफल हो पायेगी चीन की 'वन बेल्ट वन रोड' योजना? 

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 8, 2019 06:57 AM2019-05-08T06:57:00+5:302019-05-08T06:57:00+5:30

इस योजना में चीन समेत 66 देशों की भागीदारी अपेक्षित है. चूंकि यह योजना अभी पूरा आकार नहीं ले पाई, इसलिए यह बता पाना मुश्किल है कि वास्तव में इस पर कुल कितना निवेश होगा. लेकिन एक मोटे अनुमान के अनुसार इस पर चीन का निवेश 1 खरब डॉलर से 8 खरब डॉलर तक हो सकता है.

will china one belt one road scheme be successful | अश्विनी महाजन का ब्लॉग: क्या सफल हो पायेगी चीन की 'वन बेल्ट वन रोड' योजना? 

अश्विनी महाजन का ब्लॉग: क्या सफल हो पायेगी चीन की 'वन बेल्ट वन रोड' योजना? 

चीन ने हालांकि एक भारी-भरकम इंफ्रास्ट्रर परियोजना दुनिया के सामने कुछ साल पहले रख दी थी, लेकिन इस बाबत बीआरआई फोरम का पहला सम्मेलन वर्ष 2018 में बुलाया गया था, जिसमें 100 से ज्यादा मुल्कों ने भाग लिया था और ऐसा लगने लगा था कि चीन को अपनी इस परियोजना के लिए शेष दुनिया से भारी समर्थन मिल रहा है.

हालांकि भारत ने इस सम्मेलन का तब भी बहिष्कार किया था, क्योंकि ‘चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा’ (सीपीईसी) इसी बड़ी योजना का हिस्सा बताया गया है. लेकिन पिछले माह के अंत में जब बीआरआई फोरम का दूसरा सम्मेलन आयोजित किया गया तो दुनियाभर से इस परियोजना के संदर्भ में कई प्रश्न चिह्न् लगने शुरू हो गए हैं और  चीन का आत्मविश्वास भी पहले के मुकाबले कुछ कम होता दिखाई दे रहा है.  

जैसा कि प्रस्ताव है, इस योजना में चीन समेत 66 देशों की भागीदारी अपेक्षित है. चूंकि यह योजना अभी पूरा आकार नहीं ले पाई, इसलिए यह बता पाना मुश्किल है कि वास्तव में इस पर कुल कितना निवेश होगा. लेकिन एक मोटे अनुमान के अनुसार इस पर चीन का निवेश 1 खरब डॉलर से 8 खरब डॉलर तक हो सकता है.

इसके साथ दुनिया के अन्य मुल्कों की सरकारों और निजी क्षेत्र द्वारा भी इसमें निवेश होगा, इसलिए कुल कितना निवेश इस परियोजना में हो सकता है, इस पर टिप्पणी करना आसान नहीं है. लेकिन देखा जाए तो बीआरआई के जो फायदे गिनाए जा रहे हैं, वे आसानी से मिलने वाले नहीं हैं.

यदि योजना के अनुसार सड़कें और रेल बन भी जाएं और उनको जलमार्ग से जोड़कर आवाजाही हो भी जाए तो जरूरी नहीं है कि व्यापार बढ़ जाए. विश्व बैंक का मानना है कि टैरिफ और अन्य बाधाओं के कारण व्यापार अवरुद्ध  रह सकता है.

भारत ने इस योजना का बहिष्कार करते हुए कहा है कि इस योजना से अधिकांश बीआरआई देशों पर कर्ज असहनीय स्तर को पार कर जाएगा.

हालांकि भारत का मुख्य विरोध चीन द्वारा पाक के अवैध कब्जे वाले कश्मीर में सीपीईसी का निर्माण है, भारत ने इस बाबत कहा है कि इस प्रकार की कनेक्टिविटी की कोई भी योजना सार्वभौमिक रूप से स्वीकार्य अंतर्राष्ट्रीय मानकों, नियमाधारित, खुलेपन और बराबरी पर आधारित होनी चाहिए.

ऐसे प्रयास वित्तीय दायित्व पर आधारित हों और ऐसी योजनाओं को लागू न किया जाए, जो असहनीय कर्ज का बोझ बढ़ाएं. 

जितने जोश से बीआरआई का प्रस्ताव आया था, दुनिया के बड़े मुल्कों, खासतौर पर जहां से निवेश अपेक्षित है, की बेरुखी योजना की सफलता पर सवाल उठा रही है.

Web Title: will china one belt one road scheme be successful

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