ट्रम्प की इससे ज्यादा बेइज्जती और क्या हो सकती है ? 

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: December 10, 2025 07:51 IST2025-12-10T07:50:55+5:302025-12-10T07:51:40+5:30

मगर ट्रम्प शायद ही कभी इस नजरिए से सोचें. उन्हें तो मतिभ्रम हो गया है कि वे दुनिया के शहंशाह हैं और पूरी दुनिया को उनकी बात आंख मूंद कर माननी चाहिए. मगर ऐसा हो नहीं रहा है.

What could be more insulting to Trump than this | ट्रम्प की इससे ज्यादा बेइज्जती और क्या हो सकती है ? 

ट्रम्प की इससे ज्यादा बेइज्जती और क्या हो सकती है ? 

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच हिंसक झड़पों ने साबित कर दिया है कि इन दोनों देशों के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्र्म्प ने शांति समझौता करवाने का जो दावा किया था और जिसे लेकर खूब ढिंढोरा पीटा था, वह फुस्स हो चुका है. दोनों देशों के बीच सीमा विवाद काफी पुराना है और खासतौर पर एक मंदिर को लेकर दोनों ही लड़ते रहे हैं. इसी साल जुलाई में भीषण जंग हुई थी जिसमें जेट फाइटर से लेकर मिसाइलें तक शामिल थीं. दर्जनों लोग मारे गए और दो लाख से ज्यादा लोग बेघर हो गए.

इसके बाद ट्रम्प मैदान में कूदे और उन्होंने शांति समझौता करा दिया और खूब कूदे कि यह काम उनके अलावा और कोई करा भी नहीं सकता था. मगर नवंबर में थाईलैंड ने इस शांति समझौते को स्थगित कर दिया. दिसंबर में थाईलैंड ने कंबोडिया पर हमला कर दिया.

लड़ाकू विमानों ने कंबोडिया के भीतर सैन्य ठिकानों पर हमले किए. थाईलैंड का आरोप है कि शांति समझौता चूंकि कंबोडिया ने तोड़ा, इसलिए उसे हमला करना पड़ा लेकिन कंबोडिया यह तोहमत थाईलैंड पर लगाता है. बहरहाल, कारण जो भी हो लेकिन यह तो स्पष्ट हो चुका है कि न थाईलैंड ने ट्रम्प की परवाह की और न ही कंबोडिया ने! जरा सोचिए कि अमेरिका जैसे महारथी देश के महारथी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की इतने छोटे देश भी न सुनें तो ट्रम्प को समझ लेना चाहिए कि दुनिया के बड़े देश उनकी कितनी परवाह करते हैं? मगर ट्रम्प शायद ही कभी इस नजरिए से सोचें. उन्हें तो मतिभ्रम हो गया है कि वे दुनिया के शहंशाह हैं और पूरी दुनिया को उनकी बात आंख मूंद कर माननी चाहिए. मगर ऐसा हो नहीं रहा है.

अब जरा इस बात पर गौर करिए कि ट्रम्प ने जिन शांति समझौतों का ढिंढोरा पीटा, वो इन दिनों किस हाल में हैं. दुनिया इस बात को साफ देख रही है कि इजराइल और हमास के बीच गाजा को लेकर जो शांति समझौता ट्रम्प ने कराया था, वह पूरी तरह फेल हो चुका है. दोनों अब भी एक-दूसरे के इलाके में हमले किए ही जा रहे हैं. हमास ने इजराइल के सैनिकों को निशाना बनाया है तो इजराइल ने गाजा पर एयर स्ट्राइक किए हैं. ट्रम्प ने कांगो और रवांडा के बीच भी शांति समझौता कराया था लेकिन जंग जारी है.

दूसरे शांति समझौते भी दम तोड़ चुके हैं. हकीकत यही है कि ट्रम्प के साथ काम कर रहे लोगों के अलावा शायद ही कोई उनकी सुन रहा है! चीन और भारत जैसे देशों को उन्होंने दबाने की कोशिश की लेकिन दोनों ही देशों ने ट्रम्प को भाव ही नहीं दिया! रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन उनकी बात सुनेंगे, यह तो कभी संभव ही नहीं है. ट्रम्प लगातार कोशिश कर रहे हैं कि रूस और यूक्रेन के बीच जंग रुकवाने का सेहरा उनके सिर बंध जाए लेकिन यह भी नहीं हो पा रहा है. जेलेंस्की भी उनकी बात मानने को तैयार नहीं हैं तो निश्चित तौर पर इसके पीछे यूरोप के देशों का सहयोग ही काम कर रहा है.

यूरोप के देश नहीं चाहते कि अमेरिकी मर्जी से रूस की बल्ले-बल्ले हो जाए! यूरोपीय देशों के साथ दिक्कत यह है कि वे ट्रम्प की सीधे तौर पर खिलाफत नहीं कर सकते लेकिन यह तो साफ दिख रहा है कि वे ट्रम्प की हां में हां भी नहीं मिला रहे हैं. वास्तव में ट्रम्प का बड़बोलापान उनकी बेइज्जती का कारण तो बन ही रहा है, अमेरिका पर भी भारी पड़ रहा है.

Web Title: What could be more insulting to Trump than this

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