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विजय दर्डा का ब्लॉग: मध्य पूर्व की अशांति पूरी दुनिया के लिए खतरनाक

By विजय दर्डा | Updated: January 6, 2020 06:01 IST

यदि युद्ध जैसी कोई स्थिति पैदा हुई तो इसका सीधा असर तेल की कीमतों पर पड़ना तय है. इसका अंदाजा लग भी गया है. सुलेमानी की मौत के साथ ही वैश्विक बाजार में तेल की कीमतों में चार प्रतिशत का उछाल आ गया. ईरान ने अपने इलाके से होकर गुजरने वाले कुछ तेल टैंकरों पर यदि हमला कर दिया तो तेल के बाजार में आग लगना तय है. ऐसी स्थिति में पूरी दुनिया पर असर होगा. खासतौर पर भारत बुरी तरह प्रभावित होगा.

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अमेरिका की दृष्टि से देखें तो उसने एक ऐसे व्यक्ति का सफाया कर दिया है जिसे करीब 500 अमेरिकी सैनिकों की मौत का जिम्मेदार माना जाता था. यदि ईरान की दृष्टि से देखें तो उसने अपना एक ऐसा जांबाज जनरल खो दिया है जिसके नाम से उसके दुश्मन थर-थर कांपते थे. ..और दुनिया की नजर से देखें तो यह एक ऐसी घटना है जिसकी आग में बहुत कुछ जलकर खाक हो सकता है. ईरान इतनी आसानी से इस घटना को पचा नहीं सकता. उसने प्रतिशोध की चेतावनी दे दी है!

ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्डस के अहम हिस्से कुद्स फोर्स के प्रमुख कासिम सुलेमानी ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामनेई को सीधे रिपोर्ट करते थे और खामनेई के बाद सबसे ताकतवर व्यक्ति थे. यही कारण है कि उनकी मौत के बाद ईरान ने तीन दिन के शोक की घोषणा की और उन्हें अमर शहीद का दर्जा दिया.

ईरान ने लगे हाथ अमेरिका को चेतावनी भी दे डाली कि वह खामियाजा भुगतने को तैयार रहे. दरअसल सुलेमानी वह शख्सियत थे जिन्होंने दुनिया में ईरान का प्रभुत्व बढ़ाने की बड़ी महत्वपूर्ण पहल की. सीरिया, यमन, इराक में बड़ा दबदबा था उनका. इराक और सीरिया में इस्लामिक स्टेट को शिकस्त देने के लिए उन्होंने कुर्द लड़ाकों और शिया मिलिशिया को एकजुट किया और उसे ट्रेनिंग भी दी.  

सीरिया की बशर अल असद सरकार को बचाने में भी उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई. हिजबुल्लाह और हमास जैसी ताकतों को भी सुलेमानी ने मजबूत किया.

अमेरिका के सामने यदि ईरान पूरी ताकत के साथ खड़ा रहा तो इसमें सुलेमानी की महत्वपूर्ण भूमिका थी. अमेरिका को नुकसान पहुंचाने की हर रणनीति में वे हिस्सेदार माने जाते थे. इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर रॉकेट हमले के पीछे भी सुलेमानी का ही दिमाग था. यही कारण था कि अमेरिका उनका दुश्मन बन बैठा और उन्हें रास्ते से हटाने की लगातार कोशिशें कर रहा था.

अमेरिका ने सुलेमानी के नेतृत्व वाले कुद्स फोर्स को 25 अक्तूूबर 2007 को ही आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया था. उसके बाद के वर्षो में ईरान पर अमेरिका ने ढेर सारे प्रतिबंध लगाए लेकिन ऐसा माना जाता है कि इन प्रतिबंधों को बेअसर करने में सुलेमानी ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. इससे अमेरिका और आगबबूला हो गया था.

इधर सऊदी अरब और इजराइल की ओर से भी अमेरिका पर दबाव था कि वह किसी भी तरह सुलेमानी को रास्ते से हटाए. सुलेमानी की मौत अमेरिका के लिए कितना मायने रखती है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मौत की खबर के बाद डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका का झंडा ट्वीट किया!

अब बड़ा सवाल है कि आगे क्या होगा? इतना तय है कि ईरान बदला लेगा. वह अमेरिकी, सऊदी और इजराइली प्रतिष्ठानों पर हमले करेगा जरूर. इराक में करीब पांच हजार अमेरिकी सैनिक अभी भी तैनात हैं और ईरान उन्हें निशाना बना सकता है. अमेरिका को इसका अंदाजा है इसलिए उसने अपने सैन्य ठिकानों को पहले से ज्यादा सुरक्षित कर लिया है.

ईरान की तरफ से यदि हमले तेज हुए तो अमेरिका अपनी ताकत वहां और बढ़ा सकता है. साथ में हमलों से निपटने के लिए हवाई हमले भी कर सकता है. ऐसी स्थिति में ईरान खुलकर जंग में उतर जाएगा क्योंकि उसे भरोसा है कि ऐसी किसी स्थिति में रूस उसका साथ देगा. रूस ने सुलेमानी की मौत को हत्या बताया है और ईरान के साथ संवेदना जाहिर की है. चीन भी ईरान के साथ दिख रहा है लेकिन वह रूस की तरह खुलकर शायद सामने न आए!

यदि युद्ध जैसी कोई स्थिति पैदा हुई तो इसका सीधा असर तेल की कीमतों पर पड़ना तय है. इसका अंदाजा लग भी गया है. सुलेमानी की मौत के साथ ही वैश्विक बाजार में तेल की कीमतों में चार प्रतिशत का उछाल आ गया. ईरान ने अपने इलाके से होकर गुजरने वाले कुछ तेल टैंकरों पर यदि हमला कर दिया तो तेल के बाजार में आग लगना तय है. ऐसी स्थिति में पूरी दुनिया पर असर होगा. खासतौर पर भारत बुरी तरह प्रभावित होगा. हिचकोले खाती भारतीय अर्थव्यवस्था पर यदि तेल की कीमतों ने कहर बरपाया तो हमारे विकास की रफ्तार नीचे लुढ़क जाएगी. हमारे आसपास के देशों की भी हालत यही होगी. दुनिया के अन्य देश भी प्रभावित होंगे. इसलिए यह बहुत जरूरी है कि मध्य पूर्व के देशों में शांति स्थापित हो लेकिन इसके आसार कहीं नजर नहीं आ रहे हैं.

मध्य पूर्व शायद दुनिया का ऐसा अभिशापित इलाका है जहां तेल की दौलत तो खूब है लेकिन उसके नसीब में खून-खराबा भरा है. जिंदगी में शांति नहीं है. अब दुनिया के सभी देशों को मिल-बैठ कर सोचना चाहिए कि इस इलाके में शांति कैसे स्थापित हो.

टॅग्स :ईरानअमेरिकाकासिम सुलेमानीडोनाल्ड ट्रंपइंडिया
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