वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः पाकिस्तान को बेवकूफ बना रहा है चीन
By वेद प्रताप वैदिक | Published: February 9, 2022 02:33 PM2022-02-09T14:33:30+5:302022-02-09T14:34:05+5:30
चीन ने अपना रवैया इतनी तरकीब से प्रकट किया है कि आप उसका जैसा अर्थ निकालना चाहें, निकाल सकते हैं। तीन-चार दशक पहले वह जिस तरह से कश्मीर पर पाकिस्तान का स्पष्ट समर्थन करता था, वैसा अब नहीं करता है।
बीजिंग के ओलंपिक समारोह में रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी शामिल हुए। भारत ने उसका बहिष्कार कर रखा है। इसमें आशंका यह थी कि चीन पुतिन को मनाएगा और कोई न कोई भारत-विरोधी बयान उनसे जरूर दिलवाएगा। ऐसा इसलिए भी हो सकता था कि भारत आजकल अमेरिका के काफी नजदीक चला गया है और रूस व अमेरिका, दोनों ही यूक्रेन को लेकर आमने-सामने हैं। इसके अलावा इमरान खान भारत-विरोधी बयान बीजिंग में जारी नहीं करवाएंगे तो कहां करवाएंगे? आजकल कश्मीर पर सऊदी अरब, यूएई और तालिबान भी लगभग चुप हो गए हैं तो अब बस चीन ही एकमात्र सहारा बचा है। लेकिन आप यदि चीन-पाक संयुक्त वक्तव्य ध्यान से पढ़ें तो आपको चीन की चतुराई का पता चल जाएगा।
चीन ने अपना रवैया इतनी तरकीब से प्रकट किया है कि आप उसका जैसा अर्थ निकालना चाहें, निकाल सकते हैं। तीन-चार दशक पहले वह जिस तरह से कश्मीर पर पाकिस्तान का स्पष्ट समर्थन करता था, वैसा अब नहीं करता है। उसने यह तो जरूर कहा है कि कश्मीर समस्या का हल सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव, संयुक्त राष्ट्र घोषणा-पत्न और आपसी समझौतों से किया जाना चाहिए। इसका मतलब क्या हुआ? सुरक्षा परिषद के जनमत-संग्रह के प्रस्ताव को तो उसके महासचिव खुद ही अप्रासंगिक घोषित कर चुके हैं और कह चुके हैं कि आपसी समझौते के लिए बातचीत का रास्ता ही सर्वश्रेष्ठ है।
यह साफ है कि किसी बाहरी महाशक्ति की दखलंदाजी का परिणाम कुछ नहीं होगा। उल्टे, वह राष्ट्र पाकिस्तान को बुद्धू बनाता रहेगा और अपना उल्लू सीधा करता रहेगा। चीन का यह कहना कि कश्मीर में ‘एकतरफा कार्रवाई’ ठीक नहीं है, यह सुनकर पाकिस्तान खुश हो सकता है कि चीन ने धारा 370 के खात्मे के विरुद्ध बयान दे दिया है। लेकिन चीन ने यहां गोलमाल भाषा का इस्तेमाल किया है। इस मुद्दे पर भी वह साफ-साफ नहीं बोल रहा है। अगर वह बोलेगा तो भारत उसके सिक्यांग प्रांत के उइगर मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों पर चुप क्यों रहेगा? जहां तक रूस का सवाल है तो पुतिन ने कोई लिहाजदारी नहीं बरती, चीन की तरह! उन्होंने साफ-साफ कह दिया कि कश्मीर द्विपक्षीय मामला है। रूस का यह रवैया चीन के मुकाबले दो-टूक है लेकिन चीन के उलझे हुए रवैये का रहस्य यही है कि उसे पश्चिम एशिया और यूरोप तक रेशम महापथ बनाने के लिए पाकिस्तान को साधे रखना बेहद जरूरी है। यह रेशम महापथ पाक द्वारा ‘कब्जाए हुए कश्मीर’ में से ही होकर आगे जाता है।