वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: यूरोपीय संघ की सदस्यता पर ब्रिटिश संसद की राय पर टिका है थेरेसा मे का भविष्य

By वेद प्रताप वैदिक | Published: November 27, 2018 03:46 PM2018-11-27T15:46:31+5:302018-11-27T15:53:40+5:30

ब्रिटेन यूरोपीय संघ का सदस्य 1973 में बना था. 27 सदस्य राष्ट्रों का यह संघ विश्व में सबसे समृद्ध व शक्तिशाली संघ माना जाता है. दुनिया के सभी महाद्वीपों में इसकी तर्ज पर कई अंतर्राष्ट्रीय संघ बन चुके हैं लेकिन इस संघ को छोड़ने का निर्णय इसके सबसे शक्तिशाली और समृद्ध राष्ट्र ने 2016 में कर लिया था. ब्रिटेन में जनमत संग्रह हुआ और उसके फलस्वरूप यह निर्णय हुआ. उस समय केवल 71 प्रतिशत मतदान हुआ था और सिर्फ एक-डेढ़ प्रतिशत के अंतर से यह फैसला हुआ था.  

ved pratap vaidik's blog: braitain Primeminister theresha future in confusion | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: यूरोपीय संघ की सदस्यता पर ब्रिटिश संसद की राय पर टिका है थेरेसा मे का भविष्य

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: यूरोपीय संघ की सदस्यता पर ब्रिटिश संसद की राय पर टिका है थेरेसा मे का भविष्य

ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के बीच जो समझौता हुआ है, उसके बारे में यह पता नहीं कि ब्रिटिश संसद उस पर मुहर लगाएगी या नहीं? यदि ब्रिटिश संसद ने उसे रद्द कर दिया तो प्रधानमंत्नी थेरेसा मे को इस्तीफा देना पड़ेगा और इस समझौते का भविष्य अधर में लटक जाएगा. 

ब्रिटेन यूरोपीय संघ का सदस्य 1973 में बना था. 27 सदस्य राष्ट्रों का यह संघ विश्व में सबसे समृद्ध व शक्तिशाली संघ माना जाता है. दुनिया के सभी महाद्वीपों में इसकी तर्ज पर कई अंतर्राष्ट्रीय संघ बन चुके हैं लेकिन इस संघ को छोड़ने का निर्णय इसके सबसे शक्तिशाली और समृद्ध राष्ट्र ने 2016 में कर लिया था.
 
ब्रिटेन में जनमत संग्रह हुआ और उसके फलस्वरूप यह निर्णय हुआ. उस समय केवल 71 प्रतिशत मतदान हुआ था और सिर्फ एक-डेढ़ प्रतिशत के अंतर से यह फैसला हुआ था. अब भी ब्रिटिश संसद के विरोधी दल और सत्तारूढ़ दलों के कई सदस्य यूरोपीय संघ छोड़ने के विरु द्ध हैं. वे सब यदि मिल गए तो थेरेसा मे का यह समझौता रद्द कर दिया जाएगा. यूरोपीय संघ के सदस्य दो-टूक कह रहे हैं कि वे किसी भी हालत में इस समझौते पर दुबारा कोई बात नहीं करेंगे.

 लगभग 500 पृष्ठ के इस दस्तावेज को बहुत सोच-समझकर स्वीकार किया गया है. वे थेरेसा की समझदारी और व्यावहारिकता के लिए उनको बधाई दे रहे हैं लेकिन इस समझौते के विरोधी ब्रिटिश सांसद और विश्लेषकों का कहना है कि यूरोपीय संघ से निकलने के नाम पर थेरेसा ने ब्रिटिश संप्रभुता का सौदा कर लिया है. ब्रिटेन को यूरोपीय संघ की अदृश्य सांकलों में थेरेसा ने जकड़ दिया है. 

ब्रिटेन ने यूरोपीय संघ के बहिष्कार का फैसला इसलिए किया था कि यूरोपीय देशों के तरह-तरह के आगंतुकों ने ब्रिटेन को अपना बसेरा बना लिया था. अंग्रेजों के रोजगार छिनने लगे थे. ब्रिटेन आर्थिक दृष्टि से कमजोर होता जा रहा था. इस समझौते के कारण इन मूलभूत बातों में कोई फर्क नहीं पड़नेवाला है. इसीलिए इसका इतना उग्र विरोध हो रहा है.

Web Title: ved pratap vaidik's blog: braitain Primeminister theresha future in confusion

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