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US Presidential Election 2024: ईसाइयों से ट्रम्प की अपील के क्या हैं मायने?

By रहीस सिंह | Updated: August 2, 2024 12:45 IST

ट्रम्प की ये बातें क्या संदेश देती हैं? क्या अमेरिका में सबकुछ ठीक चल रहा है? लोकतंत्र भी? फिलहाल ट्रम्प भले ही तानाशाही की ओर बढ़ते दिख रहे हों लेकिन अभी उनका पापुलैरिटी ग्राफ ठीकठाक है,  हालांकि कमला हैरिस की एंट्री से ट्रम्प की बढ़त पर विराम लग गया है। 

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‘‘ये ड्रिल नहीं है, लोकतंत्र खतरे में है।’’ पॉडकास्टर एलिसन गिल ने ये शब्द डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा फ्लोरिडा की चुनावी रैली में दिए गए उस बयान पर कहे जिसमें उन्होंने कहा था, ‘‘ईसाइयों बाहर निकलो और सिर्फ इस बार वोट कर दो। फिर आपको वोट डालने की जरूरत ही नहीं होगी....’’ अब प्रश्न यह उठता है कि डोनाल्ड ट्रम्प ईसाइयों को क्या संदेश देना चाह रहे हैं? ‘फिर वोट डालने की जरूरत ही नहीं होगी’ का निहितार्थ क्या है? क्या ट्रम्प अमेरिका को तानाशाही की ओर ले जाना चाहते हैं, जैसा कमला हैरिस ने उन पर संविधान बदलने का आरोप लगाया है? 

6 जनवरी 2021 को वाशिंगटन के कैपिटल हिल पर एक घटना हुई थी, जिसे ट्रम्प समर्थकों ने अंजाम दिया था। अमेरिकी लोकतंत्र में वह एक प्रस्तावना की तरह लगी थी। तो क्या अब ट्रम्प उसका उपसंहार लिखना चाहते हैं? अथवा यह सब अपने समर्थकों से वोट लेने के लिए अपनाए जाने वाले हथकंडे मात्र हैं?

अमेरिका एक विकसित राष्ट्र है कोई अल्पविकसित अथवा धार्मिक राष्ट्र नहीं जहां न वैज्ञानिक शिक्षा हो, न तकनीक और न स्वस्थ व समृद्ध लोकतंत्र का विचार। फिर भी यदि ईसाईवाद के आधार पर राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार वोट मांग रहा है और यह वादा कर रहा है कि इस बार जिता दो, दोबारा वोट डालने की जरूरत ही नहीं होगी तो यह गंभीर विषय अवश्य है।

स्वाभाविक रूप से अमेरिका में इसे लेकर चर्चाएं भी शुरू हो गईं। सवाल किए जाने लगे कि क्या ट्रम्प सत्ता पाने के लिए एक खतरनाक खेल खेलना चाह रहे हैं? यद्यपि इस बयान के बाद डोनाल्ड ट्रम्प के चुनावी अभियान के प्रवक्ता स्टीवेन चेंग से जब स्पष्टीकरण मांगा गया तो उन्होंने कहा कि ‘‘ट्रम्प देश को जोड़ने की बात कर रहे थे।’’ 

परंतु स्टीवेन के इस तर्क को नहीं स्वीकार किया जा सकता क्योंकि अमेरिकी जनसंख्या विविधतापूर्ण है जिसमें 37 ऐसे वंश समूह (एनसेस्ट्री ग्रुप्स) है जिनकी जनसंख्या एक मिलियन से अधिक है। यही नहीं अमेरिका में श्वेत, हिस्पानिक और लैटिन अमेरिकंस, अफ्रीकन अमेरिकंस, एशियन अमेरिकंस ....आदि बड़े एथनिक विभाजन विद्यमान हैं।

महत्वपूर्ण बात यह है कि ईसाई धर्म के होने के बावजूद इनके हित प्रायः एक-दूसरे से टकराते हैं जिसके कारण यह स्पष्ट जनसांख्यिकी विभाजन को प्रदर्शित करते हैं। ट्रम्प जिन ईसाइयों का आवाहन कर रहे हैं वे श्वेत अमेरिकंस हैं, तो क्या ट्रम्प का यह रवैया श्वेत और अश्वेत के बीच की खाई को और गहरा नहीं करेगा? 

फिर स्टीवेन किस आधार पर यह बता रहे हैं कि ट्रम्प का यह बयान देश को जोड़ने वाला नायाब फार्मूला है. इसलिए प्रश्न तो खड़े होने ही थे और हुए भी। दोबारा वोट न दिए जाने वाले बयान को कुछ लोग डोनाल्ड ट्रम्प के दिसंबर 2023 में फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में दिए गए उस बयान से जोड़ रहे हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर वो राष्ट्रपति चुनाव जीते तो सिर्फ पहले दिन के लिए तानाशाह बनेंगे। 

ट्रम्प की ये बातें क्या संदेश देती हैं? क्या अमेरिका में सबकुछ ठीक चल रहा है? लोकतंत्र भी? फिलहाल ट्रम्प भले ही तानाशाही की ओर बढ़ते दिख रहे हों लेकिन अभी उनका पापुलैरिटी ग्राफ ठीकठाक है,  हालांकि कमला हैरिस की एंट्री से ट्रम्प की बढ़त पर विराम लग गया है। 

अब देखना यह है कि ‘फिर आपको वोट डालने की जरूरत ही नहीं होगी’ वाला उनका बयान उन्हें व्हाइट हाउस पहुंचाने के लिए एक ताकतवर सीढ़ी बनेगा अथवा उन्हें खारिज कर देगा?

टॅग्स :डोनाल्ड ट्रंपUSAअमेरिका
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