योगेश कुमार सोनी का ब्लॉग: भारतीय धरोहरों को लेकर चिंतित यूएन

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: November 4, 2018 08:22 PM2018-11-04T20:22:36+5:302018-11-04T20:22:36+5:30

कालांतर में भारत की अनेक धरोहरों के गुम होते जाने पर संयुक्त राष्ट्र ने चिंता जाहिर की है। यूएन ने कहा है कि विभिन्न कलाओं, शिल्पकारों व अन्य विरासतों की एक सूची तैयार करने की योजना प्रारंभ करेगा।

UN worried about Indian world heritage | योगेश कुमार सोनी का ब्लॉग: भारतीय धरोहरों को लेकर चिंतित यूएन

योगेश कुमार सोनी का ब्लॉग: भारतीय धरोहरों को लेकर चिंतित यूएन

(योगेश कुमार सोनी)

किसी भी देश की संस्कृति से उसके  इतिहास का पता चलता है। आसपास के देशों में ही नहीं पूरे विश्व में भारत की प्राचीनता के प्रमाण मिलते हैं। कालांतर में भारत की अनेक धरोहरों के गुम होते जाने पर संयुक्त राष्ट्र ने चिंता जाहिर की है। यूएन ने कहा है कि विभिन्न कलाओं, शिल्पकारों व अन्य विरासतों की एक सूची तैयार करने की योजना प्रारंभ करेगा। भारत में यूनएन के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर यूरी अफानासीव ने कहा कि इसके लिए परियोजना तैयार की गई है जिसमें अलग-अलग पक्षों को शुमार कर ‘क्राउड सोर्सिग’ से इसे पूर्ण किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में न केवल ऐतिहासिक स्मारक व स्थल और निर्मित धरोहर हैं बल्कियहां लोक संगीत, हस्तकला, कपड़ों की डिजाइन व प्राचीन धातुओं जैसी बेशकीमती व अमूर्त सांस्कृतिक विरासत हैं। 

अमूर्त सांस्कृतिक धरोहरों का निरंतर लुप्त होना चिंता का विषय है। यदि भविष्य व वर्तमान में इतिहास की चर्चा नहीं होगी तो आने वाली पीढ़ी को देश की संस्कृति के बारे में कैसे बताएंगे। यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासतों की प्रतिनिधि सूची में देश की 13 धरोहरों को शामिल किया जा चुका है। इसमें कुंभ मेला, रामलीला, संस्कृत नाटक, नवरोज, वैदिक मंत्नोच्चार, कूडियाट्टम, कालबेलिया (राजस्थानी लोकगायन व नृत्य), रम्माण(गढ़वाली धार्मिक त्यौहार) के साथ छऊ नृत्य आदि शामिल हैं। यूनेस्को ने भारत के कुंभ मेले को अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता दी है जो इस आध्यात्मिक महोत्सव की बड़ी स्वीकार्यता है। कुंभ मेले को दुनिया का सबसे बड़ा महोत्सव माना जाता है, जहां लाखों लोग दुनिया भर से जमा होते हैं।

 दरअसल देश में हर जगह इतना शहरीकरण होता जा रहा है जिससे हम पुरानी संस्कृति को बड़े स्तर पर नजरअंदाज करते जा रहे हैं। हमारी जरूरतों ने हमें इस कदर घेर लिया कि हमें अपने बुजुर्गो की विरासत की कीमत का अंदाजा ही नहीं हो पा रहा। बहरहाल, 2008 से अब तक यूनेस्को लगातर हमारी धरोहरों पर अपनी निगाह बनाए हुए है और 13 धरोहरों को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासतों की प्रतिनिधि सूची में स्थान दे चुका है।  हमारे देश के हर राज्य में अलग-अलग सैकड़ों संस्कृतियां शुमार हैं। कुछ संस्कृतियां तो आधुनिकीकरण के चक्कर में लुप्त हो गई हैं जिस पर यूएन ने चिंता जाहिर करते हुए इनको बचाने की कयावद शुरू की है।

Web Title: UN worried about Indian world heritage

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