बांग्लादेश में आज है चुनाव, शेख हसीना क्या तीसरी बार जीतेंगी?
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 30, 2018 08:17 AM2018-12-30T08:17:46+5:302018-12-30T08:19:00+5:30
अवामी लीग की मौजूदा शेख हसीना सरकार को भारत का करीबी माना जाता है. भारत-बांग्लादेश के बीच कुछ वर्षो में आपसी समझबूझ और तालमेल बढ़ा है.
सत्ता और विपक्ष के तीखे आरोपों, प्रत्यारोपों और चुनावी हिंसा की घटनाओं के बीच, भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में 30 दिसंबर को 11वें संसदीय चुनाव होने जा रहे हैं. बांग्लादेश में चुनावों में मुख्य मुकाबला प्रधानमंत्नी शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग और खालिदा जिया के मुख्य विपक्षी दल बांग्ला देश नेशनलिस्ट पार्टी बीएनपी नीत गठबंधन के बीच है. इन चुनाव परिणामों का बांग्लादेश की घरेलू राजनीति पर पड़ने वाले प्रभाव के साथ ही इन चुनावों से जुड़ी एक अच्छी खबर यह है कि पिछली बार की तरह इस बार के चुनाव में विपक्ष ने भारत को कोई चुनावी मुद्दा नहीं बनाया है. भारत की दिलचस्पी अपने पड़ोसी देश में हो रहे चुनाव पर तो है, लेकिन उसकी भूमिका मूक दर्शक की ही है.
अवामी लीग की मौजूदा शेख हसीना सरकार को भारत का करीबी माना जाता है. भारत-बांग्लादेश के बीच कुछ वर्षो में आपसी समझबूझ और तालमेल बढ़ा है. दोनों देशों के बीच रिश्ते अच्छे दौर में हैं, वीजा नियमों में उदारता आने से दोनों देशों की जनता के बीच संपर्क बढ़ा है, कनेक्टिविटी बढ़ी है, 2015 के भूमि सीमा विवाद समझौते सहित उभयपक्षीय सहयोग बढ़ाने के अनेक अहम समझौते हुए हैं. सत्तारूढ़ अवामी लीग ने अपने चुनाव घोषणा पत्न में भी भारत के साथ कनेक्टिविटी परियोजनाओं का जिक्र किया है और कहा है इससे बांग्लादेश के लोगों को लाभ मिलेगा. उधर विपक्षी बीएनपी ने भी शायद पिछले चुनाव से सबक लेकर भारत विरोधी अनर्गल प्रलाप करने के बजाय अपना भारत विरोधी रुख नरम किया है. भारत का आधिकारिक पक्ष यही रहा है कि आम चुनाव बांग्लादेश का आंतरिक मामला है.
भारत ने कहा है हम बांग्लादेश में लोकतंत्न जिस तरह से काम कर रहा है उसका सम्मान करते हैं, बांग्लादेश में लोकतंत्न फल फूल रहा है, भारत का निकट पड़ोसी बांग्लादेश उसका अहम साझीदार है. अन्य अनेक देशों की तरह उसने बांग्लादेश चुनाव आयोग के आग्रह पर अपने तीन चुनाव पर्यवेक्षक वहां भेजे हैं. भारत समर्थक मानी जाने वाली हसीना सरकार ने भारत और चीन दोनों से ही रिश्तों में संतुलन बनाए रखा. चीन इस पूरे क्षेत्न की तरह बांग्लादेश को भी अपने प्रभाव क्षेत्न में लाने की हर जुगत कर रहा है, उसने वहां 23 अरब डॉलर का निवेश किया है.
दरअसल बांग्लादेश के इन दोनों प्रमुख दलों की विचारधारा में बहुत फर्क है और दोनों का जनाधार भी अलग है. ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि बीएनपी सरकार के दौरान कट्टरपंथियों को मदद मिल रही थी. जब से अवामी लीग की सरकार आई है, वह उन्हें दबाने की कोशिश कर रही है और इसमें कुछ कामयाबी भी मिली है.