ब्लॉग: भीषण यूक्रेन युद्ध के दो साल में आखिर क्या हुआ हासिल?

By शोभना जैन | Published: February 27, 2024 10:46 AM2024-02-27T10:46:40+5:302024-02-27T10:49:52+5:30

घमासान यूक्रेन-रूस युद्ध के गत 22 फरवरी को दो बरस पूरे हो गए, यानी दो वर्ष पूर्व रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने यूक्रेन पर जो सैन्य आक्रमण किया था, दो बरस बाद वह अब भी जारी है। पूरी दुनिया पर इस युद्ध का गहरा असर दिखाई पड़ रहा है।

Russia-Ukraine war What was achieved in two years of Ukraine war | ब्लॉग: भीषण यूक्रेन युद्ध के दो साल में आखिर क्या हुआ हासिल?

(फाइल फोटो)

Highlightsघमासान यूक्रेन-रूस युद्ध के गत 22 फरवरी को दो बरस पूरे हो गएयूक्रेन पर रूस ने 24 फरवरी, 2022 को हमला किया थाभीषण युद्ध से दोनों देशों की आर्थिक-सामाजिक तबाही हो रही है

घमासान यूक्रेन-रूस युद्ध के गत 22 फरवरी को दो बरस पूरे हो गए, यानी दो वर्ष पूर्व रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने यूक्रेन पर जो सैन्य आक्रमण किया था, दो बरस बाद वह अब भी जारी है। पूरी दुनिया पर इस युद्ध का गहरा असर दिखाई पड़ रहा है। भीषण युद्ध से न केवल इन दोनों देशों की आर्थिक-सामाजिक तबाही  हो रही है बल्कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था ही इसकी चपेट में है। विश्व व्यवस्था के समीकरण बदल रहे हैं. किसी को नहीं पता कि वर्ष 1945 में दूसरे विश्व युद्ध के बाद यूरोप की भूमि पर अब तक का सबसे लंबा व भीषण युद्ध आखिर कब रुकेगा।
  
यूक्रेन पर रूस ने 24 फरवरी, 2022 को हमला किया था लेकिन युद्ध को उसने जितना आसान समझा था, वैसा नहीं हुआ. यूक्रेन ने अमेरिका नीत नाटो गठबंधन की मदद से  मुकाबला किया और कीव पर कब्जे की रूस की कोशिशों को नाकाम कर दिया। अगर युद्ध  के भारत पर पड़ रहे प्रभावों और भारत की भूमिका की बात करें तो भारत ने अभी तक इस युद्ध में निष्पक्ष जैसी ही भूमिका अदा की है। उसने युद्ध को रोके जाने पर तो बल दिया है लेकिन साथ ही  सैन्य साजो-सामान के अपने सबसे बड़े सप्लायर रूस की खुल कर आलोचना भी नहीं की है।  

इस संदर्भ में यह जानना अहम होगा कि इस युद्ध के दौरान भारत को रूस से बड़ी तादाद में तेल मिल पाया जिससे भारत तेल की किल्लत का सामना करने से बच गया। गौरतलब है कि भारत को तेल की अपनी घरेलू खपत का 90 प्रतिशत आयात करना पड़ता है। वैसे भारत के अमेरिका और नाटो गठबंधन  के साथ भी अच्छे संबंध हैं. इसी बीच एक दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम  सामने आया है, जिसके तहत सिक्योरिटी हेल्पर्स के तौर पर रूस गए भारत के कम से कम तीन नागरिकों को यूक्रेन के खिलाफ रूसी सेना के साथ मिलकर लड़ने के लिए बाध्य किया गया। भारत ने कहा है कि रूसी सेना की मदद कर रहे भारतीय नागरिकों को जल्द वहां से वापस लाए जाने को लेकर रूसी अधिकारियों से बात की गई है, साथ ही विदेश मंत्रालय ने भारतीय नागरिकों से कहा है कि वे सावधानी बरतें और रूस-यूक्रेन युद्ध से दूरी बनाए रखें।

 एक अखबार के अनुसार गत वर्ष कम-से-कम सौ भारतीय नागरिकों को रूसी सेना के लिए काम पर रखा गया। पुतिन ने यूक्रेन पर हमले के वक्त इस युद्ध को जितना आसान समझा था, वह हुआ नहीं। पश्चिमी देशों, नाटो गठबंधन द्वारा भारी तादाद में  असलहा और मदद झोंकने के बावजूद लगता है कि पश्चिम की रणनीति यहां कारगर नहीं हो पाई है. रूस एशिया और अफ्रीकी देशों की तरफ देख रहा है, और इस सब के बीच भारत जहां इस युद्ध में निष्पक्ष की भूमिका निभा रहा है, वहीं चीन अपनी रणनीति के तहत एशिया में शक्ति  संतुलन के नए समीकरण बनने पर नजर रखे हुए है।

Web Title: Russia-Ukraine war What was achieved in two years of Ukraine war

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