Pahalgam Terror Attack: आतंकवाद पर नासमझी और समझदारी की बातें?, दर-दर भटक सफाई देने में जुटा पाकिस्तान
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: June 9, 2025 05:17 IST2025-06-09T05:17:58+5:302025-06-09T05:17:58+5:30
Pahalgam Terror Attack: शेरमैन ने पाकिस्तान को याद दिलाया कि उसे जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों के सफाये के लिए कदम उठाना चाहिए,

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Pahalgam Terror Attack: पहलगाम हमले के बाद बचाव की मुद्रा में पाकिस्तान दर-दर भटक सफाई देने में जुटा है, मगर उसे समर्थन तो दूर, कहीं-कहीं खरी-खोटी सुननी पड़ रही है. वॉशिंगटन में ही अमेरिका के सांसद ब्रैड शेरमैन से पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो को कड़े शब्दों में संदेश मिला कि दुनिया के अलग-अलग देशों में जाने से पहले पाकिस्तान को सुनिश्चित करना चाहिए कि वह आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करेगा. शेरमैन ने पाकिस्तान को याद दिलाया कि उसे जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों के सफाये के लिए कदम उठाना चाहिए,
जिसका हाथ अमेरिकी पत्रकार डैनियल पर्ल की हत्या में था. इससे पहले भारत के खिलाफ अक्सर जहर उगलने वाले बिलावल भुट्टो जरदारी परमाणु युद्ध तक की धमकी दे चुके थे और उसका असर दुनिया पर पड़ने की आशंका जता चुके थे. दरअसल, भारत के प्रतिनिधिमंडल की नकल कर पाकिस्तान ने भी बिलावल को विदेश तो भेजा मगर उनके पास अनर्गल प्रलाप से अधिक कुछ नहीं है.
उससे वह अपने देश में अपनी शान बढ़ाना चाहते हैं. उन्हें इस बात का अंदाज भी नहीं है कि आतंकवाद के आकाओं के पाकिस्तान में बैठे होने की बात अब दुनिया से छिपी नहीं है वर्ना ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में घुस कर मारने की जरूरत नहीं पड़ती. पाकिस्तानी नेता सोचते हैं कि देश में नासमझी दिखाकर दुनिया के सामने समझदारी की बातें करने से उनके देश में चल रही करतूतें छिप जाएंगी तो ऐसा शायद केवल मलेशिया, तुर्की और चीन के लिए ही संभव होगा, जहां आतंकवाद पर दोहरे मापदंड अपनाए जाते हैं.
इन देशों में कोई आतंकी घटना होती है तो वे उसके खिलाफ जोरदार हमले करते हैं, लेकिन दूसरे देशों के मामलों में आंखें मूंद लेते हैं. इससे पाकिस्तान को शह मिलती है और वह अपनी बर्बादी के कारणों में से एक आतंकवाद को कभी समझ नहीं पाता है. जब वह आतंकवाद पर अपना पक्ष रखने की कोशिश करता है तो उसे मुंह की ही खानी पड़ती है.
वैश्विक परिदृश्य में अनेक देश आतंकवाद के भुक्तभोगी हैं. बावजूद इसके कुछ देश स्वार्थ के लिए आतंकवाद को पालने-पोसने वालों का समर्थन करते हैं. मगर दुनिया में ऐसे देशों की संख्या भी कम होती जा रही है और कुछ हद तक उनके चेहरों पर स्पष्टता आ गई है.
अब आवश्यक यही है कि आतंकवाद का सबसे बड़ा दंश झेलने वाले भारत की नीतियों का खुलकर समर्थन किया जाए. आतंक के ठिकानों को जड़ से समाप्त कर उनके आस-पास भी स्वस्थ वातावरण को तैयार किया जाए. मानव जाति किसी भी स्थान पर इस संघर्ष को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है.
फिर भी कुछ लोग अपने कुत्सित लक्ष्यों को पाने के लिए रास्ते ढूंढ़ते रहते हैं, जिसमें आतंक का मार्ग सरल नजर आता है. मगर अब यह भ्रम टूट रहा है. पाकिस्तान को मामूली तौर पर कुछ समझ में आया है, लेकिन बहुत कुछ समझना अभी बाकी है.