बड़े फलक के साझीदार भारत और जापान, दोनों नेताओं में प्रेम की पूरकता प्रभावशाली

By राहुल मिश्रा | Published: November 1, 2018 05:17 PM2018-11-01T17:17:55+5:302018-11-01T17:17:55+5:30

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्ट्रॉन्ग इंडिया-स्ट्रॉन्ग जापान के जरिए आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं तो शिंजो आबे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसे के सहारे भारत के साथ ताल-कदम मिलाने की

India and Japan relations, what is the plan for future | बड़े फलक के साझीदार भारत और जापान, दोनों नेताओं में प्रेम की पूरकता प्रभावशाली

बड़े फलक के साझीदार भारत और जापान, दोनों नेताओं में प्रेम की पूरकता प्रभावशाली

रहीस सिंह 

भारत और जापान इतिहास और संस्कृति के जीवंत रिश्तों, विश्वासों व जरूरतों की अन्योन्याश्रितताओं को पोषित करते हुए अब वैश्विक विकास तथा सामरिक-रणनीतिक साङोदारी की ओर बढ़ते दिख रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्ट्रॉन्ग इंडिया-स्ट्रॉन्ग जापान के जरिए आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं तो शिंजो आबे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसे के सहारे भारत के साथ ताल-कदम मिलाने की। लेकिन क्या इस दोस्ती से हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि भारत-जापान मिलकर केप ऑफ गुड होप से लेकर भारत-प्रशांत की व्यापक परिधियों तक कॉम्प्रीहेंसिव साङोदारी का निर्माण करने में सफल हो पाएंगे।  

प्रधानमंत्री मोदी 29 अक्तूबर को टोकियो में शिंजो आबे से 12वीं बार और शिखर सम्मेलन में 5वीं बार मिले, यह अपने आप में एक उदाहरण है जो बताता है कि दोनों नेताओं में प्रेम की पूरकता का असर बेहद प्रभावशाली है। टोकियो में मोदी ने अपने संबोधन के जरिए दुनिया को यह बताने का प्रयास किया कि भारत और जापान अफ्रीका और दुनिया के अन्य हिस्सों में ठोस विकास के प्रयास में संयुक्त तौर पर निवेश करना चाहते हैं। हालांकि इस संबंध में ¨शंजो आबे 2016 में ही घोषणा कर चुके हैं।

 ऐसा लगता है कि मई 2017 में लॉन्च किए गए एफ्रो-एशियन ग्रोथ कॉरिडोर की तरह ही दोनों देश इन्फ्रास्ट्रर और कनेक्टिविटी के लिए रणनीतिक तथा वैश्विक साङोदारी पर अधिक बल देना चाहते हैं। इसके पीछे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत और जापान अफ्रीका में चीन से निवेश प्रतिस्पर्धा करना चाहते हैं। यदि भारत-जापान रिलेशनशिप बॉन्ड और मजबूत होता है और दोनों देश अफ्रीका में आर्थिक-रणनीतिक लाभांश अर्जित करना चाहते हैं तो उन्हें शॉर्ट टर्म नहीं बल्कि लॉन्ग टर्म रणनीति पर काम करना होगा। 

जहां तक द्विपक्षीय संबंधों की बात है तो भारत के लिए जापान इस समय काफी अहम दिखाई दे रहा है। इसके कई कारण हैं। एक तो यह कि जापान तकनीक के क्षेत्र में एशिया का सबसे एडवांस देश है और भारत को तकनीकी उन्नयन व विकास की जरूरत है। दूसरा यह कि भारत-प्रशांत क्षेत्र में जो समीकरण बन रहे हैं उनमें भारत को यदि अपने पक्ष में संतुलन बनाए रखना है तो जापान के साथ समग्र एवं अन्योन्याश्रितता की साङोदारी करनी होगी और फिर इसे थाईलैंड, वियतनाम, कम्बोडिया, फिलीपीन्स आदि तक विस्तार देना होगा। कारण यह है कि इस क्षेत्र में  अब अनिश्चितता और गैर-सम्भ्रांतता वाली प्रतियोगिता अधिक दिखने लगी है। भारत के लिए जरूरी है कि हिंद महासागर में अपनी स्थिति का आकलन कर  जापानी सहयोग से सॉफ्ट व स्ट्रैटेजिक पावर का विस्तार करे। अत: भारत को अतिरिक्त सक्रियता दिखाने की आवश्यकता होगी।
(रहीस सिंह स्तंभकार हैं?)

Web Title: India and Japan relations, what is the plan for future

विश्व से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे