प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: समुद्र पर दिख रहा जलवायु परिवर्तन का असर
By प्रमोद भार्गव | Published: September 18, 2023 09:34 AM2023-09-18T09:34:26+5:302023-09-18T09:38:09+5:30
समुद्री ऑक्सीजन की गिरावट जारी रही तो तय है कि ऐसे समुद्री जीवों के मरने का सिलसिला शुरू हो जाएगा जिन्हें मनुष्य भोजन के रूप में इस्तेमाल करता है.
जलवायु परिवर्तन का संकट अब धरती से लेकर समुद्र तक स्पष्ट दिखाई देने लगा है. जहां धरती गर्म हो रही है, वहीं समुद्र ठंडा नहीं हो पा रहा है. लिहाजा मनुष्य समेत अन्य प्राणियों के दोनों ही रहवासों के तापमान में वृद्धि हो रही है. इस गर्मी का सबसे ज्यादा असर अमेरिका और यूरोप में अनुभव किया गया. इसकी वजह एएमओसी सिस्टम (अटलांटिक मेरिडियोनल ओवरटर्निंग सर्कुलेशन) का कमजोर होना है, जो ताप को पूरी धरती में बांटता है.
दरअसल हम ईंधन जलाकर कारखानों, वाहनों, ऊर्जा संयंत्रों और पराली जलाने में जितनी ऊर्जा पैदा करते हैं, उसकी करीब 60 गुना यानी 1000 टेरावॉट ऊर्जा धरती के पारिस्थितिकी तंत्र और समुद्री जल के जरिए उष्णकटिबंधीय से उत्तरी ध्रुव की ओर जाती है. इसमें भी करीब आधा पानी उत्तरी अटलांटिक सागर में जाता है. यह गर्म पानी तटों के साथ-साथ उत्तर की ओर बढ़ता है और समुद्र में डूबता जाता है.
इसके बाद यह पानी वापस दक्षिण की ओर आता है. इसमें क्षार की मात्रा बढ़ती जाती है. लिहाजा समुद्र और धरती दोनों का ही तापमान बढ़ जाता है. एएमओसी तंत्र कमजोर पड़ने के कारण समुद्र तटीय इलाकों में समुद्र का पानी ज्यादा खरा हो रहा है, नतीजतन ताप एक समान मात्रा में धरती पर नहीं पहुंच रहा. यही वजह है कि इस बार दक्षिण-पश्चिम अमेरिका, यूरोप, भूमध्यसागरीय देश और चीन में ज्यादा गर्मी पड़ी.
17 जुलाई 2023 को 120 साल के भीतर सबसे ज्यादा गर्म दिन दर्ज किया गया है. ऐसे कारणों से जहां समुद्र में ऑक्सीजन घट रही है, वहीं अग्नि तत्व में वृद्धि हो रही है. मौसम में बदलाव की आहट का असर समुद्र की सतह में भी दिखाई देने लगा है. इस वजह से समुद्र की ऐसी तलहटियों में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती जा रही है, जहां पहले से ही ऑक्सीजन कम है.
समुद्री ऑक्सीजन की गिरावट जारी रही तो तय है कि ऐसे समुद्री जीवों के मरने का सिलसिला शुरू हो जाएगा जिन्हें मनुष्य भोजन के रूप में इस्तेमाल करता है.