निशांत सक्सेना का ब्लॉग: जलवायु परिवर्तन ने एशिया में बढ़ाई हीटवेव की तीव्रता

By निशांत | Published: May 25, 2024 10:21 AM2024-05-25T10:21:52+5:302024-05-25T10:22:47+5:30

वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन ग्रुप के एक नए अध्ययन से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन ने अप्रैल में पूरे एशिया में अनुभव की गई हीट वेव की तीव्रता को काफी बढ़ा दिया था.

Climate change increases intensity of heatwave in Asia | निशांत सक्सेना का ब्लॉग: जलवायु परिवर्तन ने एशिया में बढ़ाई हीटवेव की तीव्रता

निशांत सक्सेना का ब्लॉग: जलवायु परिवर्तन ने एशिया में बढ़ाई हीटवेव की तीव्रता

Highlightsइस अप्रैल को वैश्विक स्तर पर सबसे गर्म रिकॉर्ड के रूप में जाना गया. संख्या संभवतः कम बताई गई है, और विशेषज्ञों का मानना है कि वास्तविक आंकड़ा सैकड़ों या हजारों में हो सकता है. भारत में चल रहे चुनावों में मतदान के कम आंकड़ों को भी गर्मी से जोड़ कर देखा गया.

वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन ग्रुप के एक नए अध्ययन से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन ने अप्रैल में पूरे एशिया में अनुभव की गई हीट वेव की तीव्रता को काफी बढ़ा दिया था. अध्ययन ने साफ किया कि इस अवधि में रिकॉर्ड तोड़ तापमान ने अरबों लोगों को प्रभावित किया, मानव-जनित जलवायु परिवर्तन ने इन गर्मी की घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता को बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाई. 

अप्रैल में एशिया के कई क्षेत्रों में अब तक के सबसे गर्म दिन दर्ज किए गए. म्यांमार, लाओस, वियतनाम और फिलीपींस जैसे देशों में अभूतपूर्व उच्च तापमान देखा गया, बाद में रिकॉर्ड पर सबसे गर्म रात का अनुभव हुआ. भारत में तापमान 46 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया, जबकि फिलिस्तीन और इजराइल को भी 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक की अत्यधिक गर्मी का सामना करना पड़ा. 

लगातार रिकॉर्ड तोड़ने वाले महीनों का सिलसिला जारी रखते हुए, इस अप्रैल को वैश्विक स्तर पर सबसे गर्म रिकॉर्ड के रूप में जाना गया. अत्यधिक गर्मी के कारण गर्मी से संबंधित कई मौतें हुईं और महत्वपूर्ण व्यवधान हुए. बांग्लादेश में कम से कम 28, भारत में पांच और गाजा में तीन मौतें हुईं. संख्या संभवतः कम बताई गई है, और विशेषज्ञों का मानना है कि वास्तविक आंकड़ा सैकड़ों या हजारों में हो सकता है. 

हीटवेव के कारण फसलें बर्बाद हो गईं, पशुधन की हानि, पानी की कमी, मछलियां मर गईं और बड़े पैमाने पर स्कूल बंद हो गए. भारत में चल रहे चुनावों में मतदान के कम आंकड़ों को भी गर्मी से जोड़ कर देखा गया. अध्ययन में मौसम डाटा और जलवायु मॉडल का उपयोग करके तेजी से एट्रिब्यूशन विश्लेषण शामिल था. 

शोधकर्ताओं ने वर्तमान जलवायु की तुलना, जो मानवीय गतिविधियों के कारण लगभग 1.2 डिग्री सेल्सियस तक गर्म हो गई है, पूर्व-औद्योगिक जलवायु से की है. उन्होंने पाया कि जलवायु परिवर्तन के कारण अप्रैल में महसूस होने वाली लू जैसी हीटवेव अब काफी अधिक होने की संभावना है और यह अधिक गर्म है. 

पश्चिम एशिया में विश्लेषण से संकेत मिलता है कि ऐसी अत्यधिक गर्मी की लहरें अब पांच गुना अधिक होने की संभावना है और जलवायु परिवर्तन के बिना होने की तुलना में 1.7 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म हैं. अध्ययन में कमजोर आबादी पर अत्यधिक गर्मी के असंगत प्रभाव पर प्रकाश डाला गया है. गाजा में, कई विस्थापित लोग स्वास्थ्य देखभाल और साफ पानी तक सीमित पहुंच के साथ, गर्मी से बचने वाले तंबुओं में रहते हैं. 

दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में, अनौपचारिक आवास में रहने वाले और बाहर काम करने वाले लाखों लोग, जैसे किसान और रेहड़ी-पटरी वाले, गंभीर रूप से प्रभावित हैं.

Web Title: Climate change increases intensity of heatwave in Asia

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