ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बन गए, यह ब्रिटेन की ही नहीं, विश्व की अद्वितीय घटना है. अद्वितीय इसलिए कि जो भारत ब्रिटेन का लगभग दो सदियों तक गुलाम रहा, उसका प्रधानमंत्री एक ऐसा आदमी बन गया है, जो इसी भारतीय मूल का है. ब्रिटेन पर अब कोई भारतीय शासन करेगा, आजादी के 75 वें साल में भारत को इससे बढ़िया तोहफा क्या मिल सकता है?
दुनिया में श्वेतांग राष्ट्रों के अग्रणी राष्ट्र, ब्रिटेन का यह व्यक्ति पहला अश्वेत प्रधानमंत्री है. इस मामले में सुनक की तुलना हम बराक ओबामा से कर सकते हैं, जो अमेरिका जैसे सबसे बड़े श्वेतांगों के देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने. कोई आश्चर्य नहीं कि अमेरिका का भी अगला राष्ट्रपति कोई भारतीय मूल का व्यक्ति ही बन जाए. उप-राष्ट्रपति तक कमला हैरिस पहुंच ही चुकी हैं.
उनका प्रधानमंत्री बनना प्रतिद्वंद्वी लेबर पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है, क्योंकि जॉनसन और ट्रस को टक्कर देना उसके लिए काफी आसान रहता लेकिन सुनक को हराना आसान नहीं है. अगले चुनाव दो साल के अंदर ही होनेवाले हैं. इस बीच सुनक की पूरी कोशिश होगी कि जैसे वित्तमंत्री के रूप में उन्होंने कोरोना काल में सराहनीय कार्य करके दिखाया, वैसा ही प्रदर्शन अब इस अल्पावधि में उन्हें करके दिखाना होगा.
जॉनसन और ट्रस ने ब्रिटिश अर्थ-व्यवस्था को लंगड़ा करके छोड़ दिया है. सुनक के सामने ब्रिटेन में वैसी ही चुनौतियां हैं, जैसी शाहबाज शरीफ के सामने पाकिस्तान में है. उम्मीद है कि उनकी अर्थनीति ब्रिटेन को अंधी गुफा में प्रविष्ट होने से रोकेगी और उनकी विदेश नीति ब्रिटेन को एक मर्यादित महाशक्ति के रूप में प्रतिष्ठित करेगी. भारत और ब्रिटेन के बीच आत्मीय संबंधों में अपूर्व घनिष्ठता के भी दर्शन हो सकते हैं.