वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: वेनेजुएला-नया शीतयुद्ध?
By वेद प्रताप वैदिक | Published: January 28, 2019 06:58 PM2019-01-28T18:58:10+5:302019-01-28T18:58:10+5:30
ट्रम्प का कहना है कि वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो अपनी कुर्सी खाली करें. वे पिछले साल राष्ट्रपति का चुनाव जीत गए थे लेकिन उन पर धांधली के आरोप हैं.
लातिन अमेरिका के देश वेनेजुएला में वैसी ही स्थिति बनती दिखाई पड़ रही है, जैसी कि 1962 में क्यूबा में बनी थी. जो तनाव वहां अभी चल रहा है, यदि एक हफ्ते में वह नहीं सुलझा तो कोई आश्चर्य नहीं कि डोनाल्ड ट्रम्प की अमेरिकी सरकार वहां अपनी फौजें चढ़ा दे. अमेरिका का समर्थन लगभग सभी प्रमुख यूरोपीय राष्ट्र कर रहे हैं लेकिन रूस और चीन उसका विरोध कर रहे हैं, जैसा कि उन्होंने फिदेल कास्त्नो के वक्त क्यूबा में किया था.
क्यूबा और वेनेजुएला की हालत में फर्क यह है कि यहां यह मामला बिल्कुल आंतरिक है. इसका महाशक्तियों से कुछ लेना-देना नहीं है, लेकिन ट्रम्प जैसे ‘महान’ नेता मानते नहीं हैं.
ट्रम्प का कहना है कि वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो अपनी कुर्सी खाली करें. वे पिछले साल राष्ट्रपति का चुनाव जीत गए थे लेकिन उन पर धांधली के आरोप हैं.
अभी-अभी हुए संसद के चुनाव में मादुरो के विरोधियों का बहुमत हो गया है. उनके 35 वर्षीय नेता युवान गोइदो ने खुद को राष्ट्रपति घोषित कर दिया है. सत्ता-पलट की घोषणा कर दी है. जनता सड़कों पर उतर आई है. दर्जनों लोग हताहत हो गए हैं. यों तो वेनेजुएला एक बड़ा तेल उत्पादक देश है लेकिन 1998 में प्रख्यात नेता ह्यूगो शावेज के राष्ट्रपति बनते ही इसकी अर्थव्यवस्था अधोगामी होती गई. उन्होंने विदेशों से कर्ज लेकर आम जनता को खुश करने के लिए अंधाधुंध रियायतें देनी शुरू कर दीं.
आज वेनेजुएला की स्थिति यह है कि आम आदमी के इस्तेमाल की चीजों के दाम भी सोने-चांदी के बराबर हो गए हैं. लोगों को अपना पेट भरने के लिए लूट-मार करनी पड़ती है. सुरक्षा परिषद में वेनेजुएला का मामला पहुंच गया है लेकिन जाहिर है कि संयुक्त राष्ट्र वहां हस्तक्षेप नहीं कर पाएगा, क्योंकि रूस और चीन का वीटो हो जाएगा. बेहतर तो यही होगा, जैसा कि भारत सरकार कह रही है, इस मामले को वेनेजुएला के लोग खुद हल करें. वरना अब एक नए शीतयुद्ध का आरंभ तो हो ही चुका है.