ब्लॉग: पाकिस्तान के चुनाव में दिग्गजों पर भारी पसोपेश
By शोभना जैन | Published: December 26, 2023 11:08 AM2023-12-26T11:08:59+5:302023-12-26T11:14:45+5:30
पाकिस्तान में आगामी आठ फरवरी को सेना की कड़ी निगरानी में होने वाले आम चुनाव कितने निष्पक्ष और स्वतंत्र होंगे। इस पर बड़ा सवालिया निशान है।
पाकिस्तान में आगामी आठ फरवरी को सेना की कड़ी निगरानी में होने वाले आम चुनाव कितने निष्पक्ष और स्वतंत्र होंगे, यह तो एक यक्ष प्रश्न है ही, बड़ा सवाल यह भी है कि चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री व ताकतवर उम्मीदवार नवाज शरीफ की हिस्सेदारी को लेकर फिलहाल क्या स्थिति है? दूसरी तरफ विशेष तौर पर पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ निरंतर कड़े होते सरकार बनाम सेना के शिकंजे की वजह से उनकी चुनाव में हिस्सेदारी को लेकर जिस तरह से अनिश्चितता बढ़ती जा रही है तो क्या चुनाव में उनके साथ ही उनके दल पीटीआई की हिस्सेदारी पर भी काफी अंकुश लगेगा?
नवाज के बारे में कहा जा रहा है कि सेना के साथ सांठगांठ से हुए समझौते के तहत उन्हें लंदन से पाकिस्तान लाया गया। हालांकि इस नाते उनकी चुनाव में हिस्सेदारी को लेकर ज्यादा अनिश्चितता नहीं मानी जानी चाहिए लेकिन अगले माह सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनकी ‘अयोग्यता की सजा की समयावधि’ के बारे मे फैसला होने तक उनकी हिस्सेदारी को लेकर कुछ अनिश्चितता तो रहेगी ही।
अहम बात यह है कि इस दौरान उनकी पार्टी पीएमएल (एन) के सेना और सेना के ‘अपने साथ खड़े किए गए छोटे दलों’ के साथ टिकट बंटवारे को लेकर तालमेल कैसा रहता है। फिलहाल तो ये तमाम सवाल हैं कि वे इन स्थितियों में सत्ता की दिशा में अपनी राह कैसे बनाएंगे।
गत सप्ताहांत सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग के चर्चित फैसलों के बाद पाकिस्तान-तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के संस्थापक और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की चुनावों में हिस्सेदारी को लेकर बड़े सवाल उठ खड़े हुए हैं। उनकी पार्टी पीटीआई को उम्मीद थी कि इमरान खान जेल में होने के बावजूद चुनाव लड़ पाएंगे। शुक्रवार को साइफर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इमरान खान और शाह महमूद कुरैशी को जमानत दे दी, लेकिन इमरान के खिलाफ कुछ और मामले कोर्ट में होने के कारण वो रिहा नहीं हो पाएंगे।
पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने पीटीआई के संगठनात्मक चुनाव और 8 फरवरी को होने वाले चुनावों में पीटीआई के चुनाव चिह्न ‘क्रिकेट के बल्ले’ के इस्तेमाल की याचिका को खारिज कर दिया है। निश्चय ही पार्टी के लिए यह बड़ा झटका है। इससे इमरान और उनकी पार्टी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। अदालत के आदेश से अब इमरान खान के चुनाव में उतरने की संभावनाओं को बड़ा झटका लगा है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान के कानून के तहत जेल में कैद राजनेता तब तक ही चुनाव लड़ सकते हैं जब तक वो किसी अपराध के दोषी न करार दिए गए हों। इमरान खान को ट्रायल कोर्ट ने 5 अगस्त को तोशाखाना मामले में दोषी करार दिया था। उन्हें तीन साल कैद की सजा दी गई है। इसी के नतीजे में संसद की उनकी सदस्यता खत्म हो गई है।