ब्लॉगः उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पा रही हैं वैश्विक संस्थाएं

By अश्विनी महाजन | Published: March 14, 2023 09:03 PM2023-03-14T21:03:20+5:302023-03-14T21:04:17+5:30

द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात पहले द्वि-ध्रुवीय विश्व और बाद में अमेरिका की अगुवाई वाले एक-ध्रुवीय विश्व में भी वैश्विक संस्थानों की एक महती भूमिका मानी जाती रही है। संयुक्त राष्ट्र और उसके अंतर्गत आने वाली संस्थाएं दुनिया के संचालन की धुरी बनी रहीं।

Blog Global organizations are not able to live up to the expectations | ब्लॉगः उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पा रही हैं वैश्विक संस्थाएं

ब्लॉगः उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पा रही हैं वैश्विक संस्थाएं

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आज दुनिया में बहुपक्षवाद संकट में है। लगभग यही बात विदेश मंत्री जयशंकर ने भी दोहराई है। गौरतलब है कि जब से भारत ने जी-20 देशों की अध्यक्षता संभाली है, दुनिया में वैश्विक संस्थाओं समेत कई मुद्दों पर चर्चा जोर पकड़ रही है।

द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात पहले द्वि-ध्रुवीय विश्व और बाद में अमेरिका की अगुवाई वाले एक-ध्रुवीय विश्व में भी वैश्विक संस्थानों की एक महती भूमिका मानी जाती रही है। संयुक्त राष्ट्र और उसके अंतर्गत आने वाली संस्थाएं दुनिया के संचालन की धुरी बनी रहीं। कहीं द्वंद्व अथवा संघर्ष हो या प्राकृतिक अथवा मानव जनित आपदा, दुनिया के मुल्क संयुक्त राष्ट्र की ओर ही देखते रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन, अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन, विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ही नहीं, यूनेस्को, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) आदि की दुनिया में एक विशेष भूमिका रही है। 1995 से पहले ‘गैट’ और उसके बाद विश्व व्यापार संगठन दुनिया के व्यापार को संचालित करने वाले नियमों के निर्माता के रूप में जाने जाते रहे हैं।

लेकिन आज इन संस्थाओं और संस्थानों की कार्य पद्धति और वैश्विक नेतृत्व की उनकी क्षमता ही नहीं, उनकी नीयत पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं। महामारी, वैश्विक संघर्ष, जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग ही नहीं, दुनिया में बढ़ती खाद्य असुरक्षा और कई मुल्कों पर बढ़ते और असहनीय कर्ज के कारण इन संस्थाओं के माध्यम से वैश्विक गवर्नेंस पर प्रश्न खड़े हो रहे हैं। यही स्थिति दुनिया में संप्रभुता संकट, असंतुलन, संघर्ष और द्वंद्व तथा स्वतंत्र राष्ट्रों के अस्तित्व के लिए भयंकर खतरा बन रही है। जिस प्रकार के समाधान इन संस्थानों से अपेक्षित हैं, वे उसमें पूरी तरह से असफल दिखाई दे रहे हैं।

महामारी की शुरुआत से लेकर उसके निवारण के संबंध में विश्व स्वास्थ्य संगठन केवल नकारा ही साबित नहीं हुआ बल्कि उसके प्रमुख द्वारा चीन की तरफदारी के कारण बदनाम भी हुआ है। आईएलओ से लेकर यूएनडीपी तक संयुक्त राष्ट्र के तमाम दूसरे संगठन भी वैश्विक शासन के स्थान पर सम्मेलन और बैठक करने वाले संगठन बन कर रह गए हैं और खास बात यह है कि दुनिया के मुल्कों का भी अब उन पर कोई विशेष विश्वास नहीं रह गया है।

 ऐसे में अब निगाहें इस बात पर हैं कि विश्व में ईमानदारी से शांति की बहाली और मानवता पर आसन्न संकटों से निपटने और दुनिया में खुशहाली लाने में जी-20 देशों द्वारा कितने सार्थक प्रयास होते हैं।

Web Title: Blog Global organizations are not able to live up to the expectations

विश्व से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे

टॅग्स :WHOWorld Bankजी20