ब्लॉग: रूसी सैन्य विमान का दुर्घटनाग्रस्त होना बना गुत्थी

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: January 29, 2024 11:18 AM2024-01-29T11:18:07+5:302024-01-29T11:30:50+5:30

बीते 24 जनवरी को रूस के बेलगोरोड प्रांत में रूसी सैन्य परिवहन विमान इल्यूशिन-76 का दुर्घटनाग्रस्त होना, जिसमें 65 यूक्रेनी युद्धबंदियों सहित सभी 74 यात्रियों की मौत हो गई।

Blog: Crash of Russian military plane remains a mystery | ब्लॉग: रूसी सैन्य विमान का दुर्घटनाग्रस्त होना बना गुत्थी

साभार: एक्स

Highlights24 जनवरी को रूस के बेलगोरोड प्रांत में रूसी सैन्य परिवहन विमान इल्यूशिन-76 दुर्घटनाग्रस्त हुआइस उड़ान हादसे में 65 यूक्रेनी युद्धबंदियों सहित सभी 74 यात्रियों की मौत हो गईयह हादसा उतना ही उतना ही विवादित हो गया, जितना 2014 में हुआ मलेशियाई विमान हादसा

पिछले दिनों 24 जनवरी को रूस के बेलगोरोड प्रांत में रूसी सैन्य परिवहन विमान इल्यूशिन-76 का दुर्घटनाग्रस्त होना, जिसमें 65 यूक्रेनी युद्धबंदियों सहित सभी 74 यात्रियों की मौत हो गई, उतना ही विवादास्पद बन गया है जितना 2014 में मलेशियाई यात्री विमान एमए-17 की दुर्घटना या उससे भी पहले 1983 में शीत युद्ध के चरम के दौरान पूर्व सोवियत संघ द्वारा दक्षिण कोरियाई यात्री विमान KL007 विमान मार गिराए जाने की घटना है।

20 जनवरी 1981 को 40 वें अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने वाले रोनाल्ड रीगन ने मास्को के प्रति एक सख्त नीति शुरू की थी। 8 मार्च, 1983 को उन्होंने सोवियत संघ को ‘दुष्ट साम्राज्य’ कहा। उसी महीने उन्होंने ‘आक्रामक रक्षा’ के लिए अपनी ‘रणनीतिक रक्षा पहल’ (स्टार वार्स नीति) का अनावरण किया।

सोवियत इंटेलिजेंस को डर था कि रीगन उनके खिलाफ परमाणु हमले की पहल करेंगे। इसलिए उन्होंने अमेरिका की ‘पहल’ को नाकाम करने के लिए ‘आरवायएएन’ नामक एक गंभीर खुफिया कार्यक्रम शुरू किया। इसके परिणामस्वरूप एक सितंबर, 1983 को अलास्का से होकर जाने वाली निर्धारित बोइंग 747 कोरियन एयरलाइंस न्यूयॉर्क-सियोल (उड़ान 007) की उड़ान की गलत पहचान करके उसे मार गिराया गया, जिसमें चालक दल सहित 269 यात्री मारे गए।

सोवियत संघ को लगा कि यह एक अमेरिकी जासूसी विमान बोइंग आरसी-135 था। उस समय नाटो का ‘एबल आर्चर एक्सरसाइज’ चल रहा था। 17 जुलाई 2014 को जब मलेशियाई एयरलाइंस की बोइंग 777 (एमए17) एम्स्टर्डम-कुआलालंपुर उड़ान यूक्रेन में रूस समर्थक विद्रोहियों के नियंत्रण वाले डोनबास क्षेत्र के ऊपर से उड़ान भर रही थी तो इसे मिसाइल हमले से मार गिराया गया, जिसमें 298 लोग मारे गए।

17 नवंबर 2022 को नीदरलैंड की एक अदालत ने दो रूसियों और एक यूक्रेनी ‘अलगाववादी’ को उनकी अनुपस्थिति में दोषी ठहराया। डच अदालत ने अपने फैसले में यह भी कहा कि उस समय पूर्वी यूक्रेन में लड़ रही अलगाववादी ताकतों पर रूस का नियंत्रण था। रूस ने फैसले को स्वीकार नहीं किया। 24 जनवरी 2024 को हुई दुर्घटना कहीं अधिक भ्रमित करने वाली है।

इस घटना के तुरंत बाद रूस ने यूक्रेन पर अपने ही युद्धबंदियों को ले जाने वाले विमान को मार गिराने का आरोप लगाया। यूक्रेन ने आधिकारिक तौर पर इस आरोप का खंडन नहीं किया कि उसने विमान गिराया था, लेकिन कहा कि उसे इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि रूस एक सैन्य विमान में अपने युद्धबंदियों को ले जा रहा था। उल्लेखनीय है कि युद्ध जारी होने के बावजूद दोनों देशों के बीच ‘कैदियों की अदला-बदली’ जारी है।

 

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