ब्लॉग: बांग्लादेश में साजिश के तहत अल्पसंख्यकों पर हमले

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: August 8, 2024 10:59 IST2024-08-08T10:55:41+5:302024-08-08T10:59:52+5:30

कट्टरपंथी ताकतों के आंदोलन पर हावी हो जाने के कारण ही उसने हिंसक रूप धारण कर लिया और शेख हसीना के देश से पलायन के बाद हिंदू समुदाय को निशाना बनाना शुरू कर दिया.

Attacks on minorities under conspiracy in Bangladesh | ब्लॉग: बांग्लादेश में साजिश के तहत अल्पसंख्यकों पर हमले

ब्लॉग: बांग्लादेश में साजिश के तहत अल्पसंख्यकों पर हमले

Highlightsसरकारी नौकरियों में आरक्षण के मसले पर शुरू हुए छात्र आंदोलन में कट्टरपंथी तत्व घुस गए और कमान उन्होंने अपने हाथों में ले ली. पाकिस्तान से अलग होने के बाद बांग्लादेश ने एक उदारवादी राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान बनाई. हिंदुओं को ये कट्टरपंथी ताकतें अपना दुश्मन मानती रही हैं.

बांग्लादेश में जन विद्रोह के फलस्वरूप लगातार 15 वर्षों से शासन कर रही अवामी लीग की मुखिया शेख हसीना के त्यागपत्र देकर वतन छोड़ने के बाद जिस तरह से अल्पसंख्यक हिंदुओं तथा उनके धर्मस्थलों को निशाना बनाया जा रहा है, उससे यह साफ हो गया है कि सारे घटनाक्रमों के पीछे कट्टरपंथी ताकतों का हाथ है. 

सरकारी नौकरियों में आरक्षण के मसले पर शुरू हुए छात्र आंदोलन में कट्टरपंथी तत्व घुस गए और कमान उन्होंने अपने हाथों में ले ली. कट्टरपंथी ताकतों के आंदोलन पर हावी हो जाने के कारण ही उसने हिंसक रूप धारण कर लिया और शेख हसीना के देश से पलायन के बाद हिंदू समुदाय को निशाना बनाना शुरू कर दिया. पाकिस्तान से अलग होने के बाद बांग्लादेश ने एक उदारवादी राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान बनाई. 

अपने पांच दशक पुराने इतिहास में बांग्लादेश ने सैनिक तानाशाही का शासन भी देखा लेकिन उसकी सभी धर्मों को साथ लेकर चलने की छवि पर कोई आंच नहीं आई. बांग्लादेश के सैन्य शासकों जिया-उर-रहमान तथा हुसैन मोहम्मद इरशाद ने राजनीतिक दलों को कुचला जरूर लेकिन अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित की. जिया उर-रहमान की पत्नी बेगम खालिदा जिया बाद में लोकतांत्रिक ढंग से देश की प्रधानमंत्री निर्वाचित हुईं. 

उनकी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी इस वक्त बांग्लादेश का सबसे बड़ा विपक्षी दल है. शेख हसीना के शासनकाल में कट्टरपंथी तत्वों को सिर उठाने का मौका नहीं दिया गया. इन ताकतों ने चुनाव लड़कर भी सत्ता में आने की कोशिश की मगर उन्हें हिंदुओं तथा देश में बसे अन्य अल्पसंख्यक समुदायों का कभी समर्थन नहीं मिला. हिंदुओं को ये कट्टरपंथी ताकतें अपना दुश्मन मानती रही हैं.  

पाकिस्तान से जिस तरह हिंदुओं का सामूहिक पलायन पिछले सात दशकों में हुआ, वैसा बांग्लादेश में नजर नहीं आया. पिछले दो वर्षों में  हिंदुओं के आस्था स्थलों पर हमले की घटनाएं जरूर हुईं लेकिन शेख हसीना की सरकार ने हालात पर तुरंत काबू पा लिया तथा दोषियों को कड़ी सजा दी. बांग्लादेश में इस वक्त अराजकता फैली हुई है. नोबल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को देश की अंतरिम सरकार का प्रमुख बनाया गया है. 

यूनुस अपदस्थ प्रधानमंत्री हसीना के घोर विरोधी रहे हैं.  हसीना सरकार ने उन पर भ्रष्टाचार के मुकदमे चला रखे थे. यूनुस के सामने सबसे बड़ी चुनौती देश में सामान्य स्थिति बहाल  करना है. इसके साथ ही उन्हें कट्टरपंथी ताकतों काे सिर उठाने से रोकना भी होगा, जो भारत की मदद से अस्तित्व में आए इस देश का नियंत्रण अपने हाथों में लेने के लिए आतुर हैं. बांग्लादेश की तरक्की में हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय का महत्वपूर्ण योगदान है. 

बांग्लादेश को आजादी मिलने के बाद अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय ने वहां उद्योग-व्यवसाय को संवारा और कला, शिक्षा, साहित्य और खेल के ढांचे को व्यवस्थित रूप दिया. बांग्लादेश में  मुसलमानों के बाद दूसरी बड़ी आबादी हिंदुओं की है. इस वक्त एक करोड़ से ज्यादा हिंदू बांग्लादेश में बसे हुए हैं. तख्तापलट के बाद उपजी नई परिस्थितियों में हिंदुओं की जान-माल की सुरक्षा भारत सरकार के लिए चिंता का विषय है. 

अगर बांग्लादेश के सारे हिंदू हालात न सुधरने पर एक साथ भारत की ओर पलायन करने लगे तो भयावह स्थिति पैदा हो जाएगी. इससे बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था चौपट हो जाएगी. सर्वधर्मीय समाज व्यवस्था को ध्वस्त होते देर नहीं लगेगी. इसके साथ ही भारत की अर्थव्यवस्था पर भी बोझ पड़ेगा. एक करोड़ लोगों को नए सिरे से खुद को भारत में स्थापित होने की चुनौती से जूझना होगा. 

इसका दुष्परिणाम गंभीर मानवीय त्रासदी के रूप में सामने आ सकता है. अस्सी के दशक में युगांडा के तत्कालीन तानाशाह ईदी अमीन के तुगलकी फरमान से वहां के अल्पसंख्यक हिंदुओं को उस देश को छोड़ना पड़ा था. इससे जो आर्थिक और सामाजिक अराजकता युगांडा में उत्पन्न हुई, वह आज तक पूरी तरह से खत्म नहीं हो सकी है. सबसे बड़ा उदाहरण पाकिस्तान है, जहां लगातार अत्याचार के कारण हिंदू भारत आने लगे हैं. 

आज वहां कुछ लाख ही हिंदू बचे हैं. पाकिस्तान में कट्टरपंथी ताकतों को संरक्षण देने के कारण यह स्थिति पैदा हुई. बांग्लादेश के सामने भी यही खतरा है. हिंदुओं को कट्टरपंथी ताकतें इरादतन निशाना बना रही हैं ताकि वे देश छोड़कर चले जाएं. ये ताकतें बांग्लादेश को कट्टरपंथी राष्ट्र बनाना चाहती हैं जहां भारत विरोधी गतिविधियों को प्रश्रय दिया जा सके. 

निश्चित रूप से हिंदुओं पर हमलों के लिए उकसाने के पीछे चीन और पाकिस्तान का हाथ है क्योंकि वे बांग्लादेश को भारत विरोधी हरकतों का बड़ा अड्डा बनाना चाहते हैं. भारत को अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर न केवल हिंदुओं की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी बल्कि चीन तथा पाकिस्तान की नापाक साजिश को भी सफल नहीं होने देना होगा.

Web Title: Attacks on minorities under conspiracy in Bangladesh

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