फिरदौस मिर्जा का ब्लॉग: महिला अधिकार और पैगंबर साहब की सीख

By फिरदौस मिर्जा | Published: October 19, 2021 10:37 AM2021-10-19T10:37:17+5:302021-10-19T10:37:17+5:30

सबसे अच्छा उपहार जो हम पैगंबर साहब को उनके जन्मदिवस पर दे सकते हैं, वह है अपनी बेटियों को शिक्षित करने और उन्हें समकालीन ज्ञान से लैस करने का संकल्प लेना। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि ये बेटियां कल की मां और आने वाली पीढ़ी की पहली शिक्षिका हैं।

women's Rights and prophet Muhammad's teachings | फिरदौस मिर्जा का ब्लॉग: महिला अधिकार और पैगंबर साहब की सीख

ईद ए मिलाद उन नबी 2021

‘‘अपनी औरतों के साथ अच्छा व्यवहार करें और उनके साथ दयालु रहें, क्योंकि वे आपकी साथी और प्रतिबद्ध सहायक हैं।’’ यह वह संदेश था, जो पैगंबर साहब ने अपने अंतिम उपदेश में दिया था। पैगंबर साहब की उपरोक्त शिक्षाएं जीवन में महिलाओं के महत्व, एक साथी और प्रतिबद्ध सहायक के रूप में उनकी स्थिति और महिलाओं से अच्छा व्यवहार करना प्रत्येक मुस्लिम पुरुष का कर्तव्य होने को साबित करती हैं।

पवित्न कुरान का पहला शब्द जो पैगंबर साहब ने दिया था, वह था ‘पढ़ो, इस अध्याय में आगे कहा गया है ‘पढ़ो, और तुम्हारा ईश्वर सबसे दयालु है, जिसने कलम से लिखना सिखाया, जिसने मनुष्य को वह सब कुछ सिखाया जो वह नहीं जानता था’(अध्याय 96)। 

प्रत्येक मानव को पढ़ने के बारे में पवित्न कुरान की आज्ञा भी शिक्षा के लिए महिलाओं सहित प्रत्येक मानव के समान अधिकार के बारे में बताती है। जब तक महिलाओं को शिक्षा का अधिकार और ज्ञान का अधिकार नहीं दिया जाएगा, तब तक वे अपने पढ़ने के कर्तव्य का निर्वाह नहीं कर पाएंगी।

इस्लाम का इतिहास महिला विद्वानों के उदाहरणों से भरा है। कार्ला पावर ने अपनी पुस्तक ‘इफ द ओशन्स वेयर इंक’ में इस्लामिक विद्वान शेख मोहम्मद अकरम नदवी के काम का उल्लेख किया है, जो भारत में पैदा हुए और शिक्षा हासिल की तथा अब ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ाते हैं, उन्होंने कई मुस्लिम महिला विद्वानों की जीवनी लिखी है और उनका संग्रह अब 50 खंडों में है।

पैगंबर साहब की पत्नी हजरत आयशा को कुरान, अरबी साहित्य, इतिहास, सामान्य चिकित्सा में उनकी विशेषज्ञता के लिए जाना जाता था और उन्हें इस्लामी न्यायशास्त्न का विशेषज्ञ माना जाता था। वे एक सैन्य कमांडर थीं, जो ऊंट की सवारी करती थीं, महिलाओं के अधिकारों की पक्षधर थीं, फतवा जारी करने वाली न्यायविद और सबसे महत्वपूर्ण हदीस का स्रोत थीं।

सातवीं और आठवीं शताब्दी ने कई महिला विद्वानों को देखा है जिन्होंने मस्जिदों में पुरुष छात्नों को पढ़ाया था, अकरम नदवी ने लगभग दस हजार ऐसी महिलाओं को सूचीबद्ध किया है, जिनके उल्लेखनीय नामों में दमिश्क की उम्म-अल-दर्दा, फातिमा अल-बतायाहियाह और फातिमा बिन्त मोहम्मद अल समरकंदी शामिल हैं।

पवित्न कुरान पुरुष और महिला के बीच अंतर नहीं करता है। अध्याय 33 की 35वीं आयत (अल-अहज़ाब) जीवन के विभिन्न चरणों और क्षेत्नों में स्त्नी और पुरुष की समान स्थिति को पूरी तरह से स्पष्ट करती है।

पैगंबर साहब न केवल महिलाओं की शिक्षा के अधिकार के हिमायती थे, बल्कि उनके संपत्ति के अधिकार, पसंद के अधिकार और तलाक के अधिकार को भी मान्यता देते थे। 1450 साल पहले, जबकि समकालीन सभ्यताओं में से कोई भी महिलाओं को किसी भी अधिकार के योग्य नहीं मानती थी, इस्लाम ने महिलाओं को ये अधिकार प्रदान किए। 

पवित्न क़ुरान में कहा गया है ‘और किसी भी मुस्लिम पुरुष या महिला को इस मामले में कोई अधिकार नहीं है, जब अल्लाह और उसके महान रसूल ने इसके बारे में आदेश दिया है; और जो कोई अल्लाह और उसके रसूल की आज्ञा का पालन नहीं करता, वह निश्चित रूप से गुमराह हो गया है।’ (33:36)

ये पवित्न कुरान और पैगंबर साहब की स्पष्ट शिक्षाएं हैं, और उन लोगों के लिए, जो इन शिक्षाओं के अनुयायी होने का दावा करते हैं लेकिन इसके विपरीत कार्य करते हैं, ये उन्हें आत्मनिरीक्षण करने के लिए मानदंड हैं। 

अफगानिस्तान में हाल की घटनाओं और तालिबान के शासन के अंतर्गत महिलाओं की स्थिति के बारे में खबरों को अगर इन मापदंडों पर आंका जाए, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि तालिबानी लोग पैगंबर साहब के आदेशों के अनुसार काम नहीं कर रहे हैं, बल्कि अनैतिक गतिविधियों से केवल उन्हें और उनके धर्म को बदनाम कर रहे हैं।

हम नहीं भूल सकते हैं कि भारत में जब महात्मा ज्योतिबा फुले महिला शिक्षा के लिए केंद्र स्थापित करने के लिए संघर्ष कर रहे थे तो फातिमा शेख एकमात्न महिला थीं जो सावित्नीबाई फुले के अलावा उनके साथ खड़ी थीं रजिया सुल्ताना ज्ञात इतिहास में भारत की पहली महिला साम्राज्ञी हैं और पहले के समय में महिला सशक्तिकरण की प्रतीक हैं।

पैगंबर साहब को उनके जन्मदिवस पर याद करते हुए, खुद को उनका अनुयायी घोषित करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि जो अधिक महत्वपूर्ण है वह है समुचित भावना से उनकी शिक्षाओं का पालन करना. हमें उनके द्वारा सिखाए गए महत्वपूर्ण पाठ को नहीं भूलना चाहिए ‘‘जिसने एक मानव जीवन को बचाया है उसने पूरी मानवता को बचाया है’’ और ‘‘अन्यायपूर्वक किसी की भी जान मत लो।’’

सबसे अच्छा उपहार जो हम पैगंबर साहब को उनके जन्मदिवस पर दे सकते हैं, वह है अपनी बेटियों को शिक्षित करने और उन्हें समकालीन ज्ञान से लैस करने का संकल्प लेना। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि ये बेटियां कल की मां और आने वाली पीढ़ी की पहली शिक्षिका हैं।

Web Title: women's Rights and prophet Muhammad's teachings

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