Muharram 2021: सच्चाई और ईमान के लिए शहादत

By नईम क़ुरैशी | Published: August 20, 2021 09:21 AM2021-08-20T09:21:30+5:302021-08-20T09:21:30+5:30

पैगाम ए इंसानियत को नकारते हुए यज़ीद ने इस जंग में 72 लोगों को बेरहमी से कत्ल कर दिया था, छल-कपट, झूठ, मक्कारी, जुआ, शराब, जैसी चीजें इस्लाम में हराम हैं. 

Muharram 2021: history, importance and amazing fact about muharram in Hindi | Muharram 2021: सच्चाई और ईमान के लिए शहादत

मुहर्रम

Highlightsनए साल के पहले माह मोहर्रम में पूरी दुनिया में हर फिरके के मुस्लिम विशेष इबादत करते हैंभारत मे मोहर्रम के अनूठे रंग हैंहर्रम को जिस शिद्दत से मुसलमान मानते हैं, हिंदू भी उतनी ही आस्था रखते हैं

सैकड़ों वर्ष बाद भी फुरात नदी के किनारे कर्बला के मैदान में हुई जंग दुनिया को अमन और शांति का पैगाम दे रही है. 72 हुसैनी बनाम 80 हज़ार यज़ीदी लश्कर के बीच हुई लड़ाई का अंजाम तो संख्या से भी पता चलता है, मगर जनाब ए मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैही व सल्लम के वारिस ने अधर्म के आगे झुकने के बजाए डटकर मुकाबला किया और सजदे में सर कटाकर सत्य और इस्लाम धर्म के स्थापित सिद्धांतों के लिए शहीद होकर अमर हो गए.

10 मोहर्रम 61 हिजरी  यानी 10 अक्तूबर सन 680 को हज़रत हुसैन रजि को यज़ीद की सेना ने उस वक्त शहीद कर दिया, जब वे नमाज़ के दौरान सजदे में सर झुकाए हुए थे. पैगाम ए इंसानियत को नकारते हुए यज़ीद ने इस जंग में 72 लोगों को बेरहमी से कत्ल कर दिया था, छल-कपट, झूठ, मक्कारी, जुआ, शराब, जैसी चीजें इस्लाम में हराम हैं. 

हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैही व सल्लम ने इन्हीं निर्देशों का पालन किया और इन्हीं इस्लामिक सिद्धांतों पर अमल करने की हिदायत सभी मुसलमानों और अपने खानदान को भी दी.

इस्लामी नए साल के पहले माह मोहर्रम में पूरी दुनिया में हर फिरके के मुस्लिम विशेष इबादत करते हैं. भारत मे मोहर्रम के अनूठे रंग हैं, यहां मातम को भी हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है. मोहर्रम को जिस शिद्दत से मुसलमान मानते हैं, हिंदू भी उतनी ही आस्था रखते हैं. 

चौकी स्नान से लेकर दस मोहर्रम को प्रतीकात्मक कर्बला स्थल तक हिन्दू भाईचारे और सदभाव के साथ पूरी आस्था में सराबोर होकर मोहर्रम के प्रतीकों को कंधा देते हैं, जो देश मे धर्मों के आदर के साथ एकता का मज़बूत संदेश और उदाहरण भी है.  

पहली बार 801 हिजरी में तैमूर लंग के महल परिसर में ताजिया रखा गया था. 19 फरवरी 1405 ईस्वी को कजाकिस्तान में तैमूर की मृत्यु के बाद भी ताजिया निकालने की परंपरा जारी रही.

कुरआन के पारा नंबर 10 में सूरह तोबा की आयत नंबर 36 के मुताबिक इस्लाम के बारह माह में मोहर्रम का बड़ा महत्व है. इस पवित्र माह में हज़रत आदम अलेहि सलाम दुनिया में आए, हज़रत नूह अलेहि सलाम की कश्ती को दरिया के तूफान में किनारा मिला, हज़रत मूसा अलेहि सलाम और उनकी कौम को फिरऔन के लश्कर से निजात मिली और फिरऔन दरिया ए नील में समा गया. 

हदीस मिशकात शरीफ के मुताबिक पैगंबर हज़रत मोहम्मद सल्ल. ने पैगाम दिया कि गुनाहों से निजात के लिए 10 मोहर्रम यौमे आशूरा पर रोज़ा रखना चाहिए. हदीस तिरिमज़ी शरीफ के मुताबिक रमज़ान के रोज़ों के बाद मोहर्रम की दस तारीख का रोज़ा बड़ी फज़ीलत रखता है. 

Web Title: Muharram 2021: history, importance and amazing fact about muharram in Hindi

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