कौन कहता है इंसान केवल ‘संसाधन’ होता है? सद्गुरु जग्गी वासुदेव का ब्लॉग
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: July 18, 2021 11:01 AM2021-07-18T11:01:48+5:302021-07-18T11:03:51+5:30
हकीकत में संसाधन क्या होता है? ऐसी वस्तु या कौशल जिसकी खूबियां और क्षमता पहले से ही पता हों. यह एक किस्म का मापदंड है. लेकिन इंसान को किसी मापदंड में नहीं समेटा जा सकता है, उसकी संभावनाएं तो अनंत हैं.
हमारे यहां एक संकल्पना है ‘ह्यूमन रिसोर्स’ यानी मानव संसाधन की. लेकिन क्या एक व्यक्ति केवल संसाधन होता है? उसे संसाधन क्यों माना जाए?
हकीकत में संसाधन क्या होता है? ऐसी वस्तु या कौशल जिसकी खूबियां और क्षमता पहले से ही पता हों. यह एक किस्म का मापदंड है. लेकिन इंसान को किसी मापदंड में नहीं समेटा जा सकता है, उसकी संभावनाएं तो अनंत हैं. एक इंसान व्यक्तिगत तौर पर कितनी ऊंचाइयां हासिल करेगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम उस संभावना को कितना टटोल पाते हैं.
एक जीवित व्यक्ति को ‘संसाधन’ मान लिया जाता है क्योंकि उसके वरिष्ठ एक तय स्पष्टता चाहते हैं. वह उस व्यक्ति से किसी भी अनपेक्षित बात की संभावना नहीं चाहते. इसलिए उस व्यक्ति को ‘संसाधन’ बना दिया जाता है और अनपेक्षित की आशंका को मिटा दिया जाता है, नष्ट कर दिया जाता है.
आखिर एक इंसान क्या होता है? एक बीज. जिसे योग्य और उपजाऊ जमीन मिले तो वह बीज अपनी क्षमता को पहचान लेता है. मिट्टी में बोया गया एक बीज पूरी धरती को हराभरा करने की क्षमता रखता है, वरना तो वह बमुश्किल एक पंछी का भोजन भर बन सकता है. क्या यही इंसानों के बारे में नहीं हो रहा? ‘यह केवल एक संसाधन है’
अगर यह सोच रखी गई तो उस व्यक्ति के पीछे छिपी प्रतिभा की कभी पहचान ही नहीं हो सकेगी. यानी तब आप एक विमान को आटोरिक्शा बना डालेंगे, जो आपको ऊंचाइयों पर ले ही नहीं जा सकती. आपकी वजह से वह व्यक्ति केवल सड़क पर चलने के लायक रह जाएगा. एक जीवित व्यक्ति को केवल संसाधन के तौर पर देखना अपराध है क्योंकि ऐसा करके आप उसके मनुष्यत्व को ही खत्म कर देते हैं. दूसरी बात आप एक उच्च क्षमता के व्यक्ति का बहुत ही कम इस्तेमाल कर रहे हैं. आपकी यह सोच होती है कि कम से कम से ज्यादा से ज्यादा का निर्माण मतलब ही कामयाबी.
अधिकांश कारोबारों, उद्योगों में लाभ-हानि के ही लिहाज से विचार किया जाता है. लेकिन यह हिसाब-किताब एक भटकाने वाली बात है. जिस उपकरण के लिए आपने 25 साल पहले " 10,000 खर्च किए थे, वह आज "10 में मिल रहा है. पहले ही दिन आपको वह "10 में नहीं मिला, उसे विकसित होेने में वक्त लगा. जब बात इंसानों की आती है तो यही बात 100% सच है.
आपको किसी इंसान को विकसित होने के लिए वक्त देना ही पड़ेगा. जब बच्चे का जन्म होता है तो आपको पता नहीं होता कि वह साधु बनेगा, जादूगर या फिर एक सम्राट. यह सब इस बात पर निर्भर होता है कि वह बच्चा अपने आसपास के परिदृश्य से क्या सीखता है और आप उसका कैसे लालन-पालन करते हैं.
सब इस बात पर निर्भर करेगा कि आप उसे एक क्षमतावान, सकारात्मक संभावना के तौर पर विकसित करते हैं या फिर एक नकारात्मक, अक्षम बाधा बनकर उसका विकास रोक देते हैं. जब अपने कारोबार की जरूरत के लिहाज से आप इंसानों से व्यवहार करते हैं तो आपको यह समझना होगा कि आप उनसे सबसे बेहतरीन तरीके से कैसे काम करा सकते हैं.
जब व्यक्ति खुश होता है तभी वह शारीरिक और मानसिक तौर पर सर्वोत्तम काम करता है, लेकिन दुर्भाग्य से आज हमने कामकाज की सभी जगहों को तनावपूर्ण और बोझिल बना दिया है. हमारे भीतर यह गलतफहमी घर कर गई है कि बिना दबाव के लोग काम ही नहीं करते. बेहद तनाव की स्थिति में तो आप एक तवे पर से सिर्फ डोसे को भी पलटाने जाएंगे तो उसे नीचे गिरा देंगे.
इस स्थिति में आप डोसा नहीं बना पाएंगे, ठीक से गाड़ी नहीं चला पाएंगे. वहीं दूसरी और अगर आप शांत, सतर्क और खुश होंगे तो यही सब काम बेहद आसानी से और अच्छी तरह से कर लेंगे. लीडर का काम ही यह है कि वह कामकाज का ऐसा माहौल बनाए, जहां पर हर किसी की सबसे बेहतरीन काम ही करने की इच्छा हो. एक बार आपने यह स्थिति हासिल कर ली तो फिर आपको ‘इंसानों के प्रबंधन’ की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. सर्वोत्तम बातें बड़ी सहजता से हो जाती हैं. महामारी का यह बेहद अनिश्चित काल है. ऐसे में आपके आसपास किस मनोवृत्ति, स्वभाव के लोग हैं, इसका बहुत फर्क पड़ता है.
आपके लिए सर्वश्रेष्ठ करने को तैयार, ऐसे लोग जिन पर आप पूरा विश्वास कर सकते हों, सकारात्मक स्वभाव के खुश सहकर्मी अगर आपके साथ हों, तो उनके सहारे से आपके लिए इस अनिश्चितता के काल पर भी जीत आसानी से संभव होगी. कोई आपकी राह का रोड़ा बन रहा हो तो, उसमें यह नकारात्मकता कहां से आई और क्यों आई, इसका विचार करने पर शायद उसके दिलोदिमाग के पेंच सुलझाना आसान हो जाएगा. इसकी कोशिश करें. इस अनिश्चितता के काल का यही संदेश है.