रजनीकांत के चार हथियार- स्टारडम, अध्यात्म, सादगी और तमिलनाडु से प्यार

By रंगनाथ | Published: January 4, 2018 04:33 PM2018-01-04T16:33:49+5:302018-01-04T17:32:53+5:30

सुपरस्टार रजनीकांत अपनी राजनीतिक पार्टी बनाकर 2021 का तमिलनाडु विधान सभा चुनाव लड़ेंगे।

Tamil Nadu: Rajinikanth three political tools are film stardom, Spirituality and Simplicity | रजनीकांत के चार हथियार- स्टारडम, अध्यात्म, सादगी और तमिलनाडु से प्यार

रजनीकांत के चार हथियार- स्टारडम, अध्यात्म, सादगी और तमिलनाडु से प्यार

शिवाजी राव गायकवाड़ के बचपन के छह दोस्त करीब 18 साल पहले उनके बारे में अपने अनुभव साझा करते हुए एक बात पर सहमत थे कि हर काम को स्टाइल और स्पीड के साथ करना शिवाजी की फितरत है। शिवाजी जब रजनीकांत नहीं बने थे तब भी हर काम को अपने अनोखे अंदाज में करते थे। 12 दिसंबर 1950 को कर्नाटक के बैंगलोर में  एक मराठी परिवार में जन्मे शिवाजी राव की गुरबत के किस्से सभी जानते हैं। दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा सुपरस्टार का तमगा पाने वाले रजनीकांत ने अपने प्रोफेशनल करियर की शुरुआत 10 पैसे में चावल का एक बोरा ढोने वाले कुली, बढ़ई और बस कंडक्टरी से की थी। 

मई 2014 में जब रजनीकांत ट्विटर पर आए तो वो दिन एक दिन में सबसे ज्यादा ट्विटर फॉलोवर्स हासिल करने वाले भारतीय बन गये। ट्विटर पर रजनी को 24 घंटे में दो लाख 15 हजार लोगों ने फॉलो किया था। 31 दिसंबर 2017 को जब रजनीकांत ने राजनीति में आने की घोषणा की तो बहुतेरे लोगों को उनमें तमिलनाडु का अगला मुख्यमंत्री दिखने लगा। फिल्मी स्टारडम, अध्यात्म और सादगी रजनीकांत की पहचान हैं।

आध्यात्मिक रजनीकांत

रजनी ने साल 2021 के तमिलनाडु विधान सभा चुनाव में राज्य की सभी 234 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। रजनी ने तमिलनाडु की जनता को "आध्यात्मिक सरकार" देने का वादा किया है। रजनी ने खुद इसका मतलब भी बताया, "आध्यात्मिक सरकार यानी जो जाति, समुदाय या धर्म के आधार पर भेदभाव न करे।"  रजनी रामकृष्ण परमहंस, स्वामी सच्चिदानंद, राघवेंद्र स्वामी, महावतार बाबाजी और रमण महर्णि को अपना आध्यात्मिक मार्गदर्शक बताते रहे हैं। अपनी हर फिल्म की रिलीज के पहले या बाद वो विभिन्न मंदिरों में जाकर दर्शन करते हैं।

नरेंद्र मोदी समेत कई अहम नेताओं के साथ रजनी की मुलाकात की तस्वीरों में बैकग्राउंड में आध्यात्मिक संत महावतार बाबाजी की छवि दिखती है जो उनके आध्यात्मिक कनेक्शन की पुष्टि करती है। रजनी ने राजनीतिक पार्टी बनाने की घोषणा के साथ ही इस मकसद से एक वेबसाइट भी लाॉन्च की। उन्होंने योग की अपान मुद्रा को अपना संभावित चुनाव चिह्न बनाया है। योग में अपान मुद्रा शरीर के सभी अवशिष्ट पदार्थों को निकालने में सहायक बतायी जाती है। रजनी पहले भी बुराई को मिटाने वाली एक्शन फिल्मों में इस अपान मुद्रा का इस्तेमाल कर चुके हैं। जाहिर है अबकी बार वो तमिलनाडु के अपशिष्ट पदार्थों के सफाया का इरादा रखते हैं।

अभिनेता रजनीकांत का राजनीतिक वजन

तमिलनाडु की राजनीति के मर्मज्ञ माने जाने वाले चो रामास्वामी ने बहुत पहले ही राजनीकांत के स्टारडम को देखते हुए उनकी राजनीतिक संभावना को पहचान लिया था। 1970 के दशक से ही तमिलनाडु की राजनीति तीन फिल्मी हस्तियों एम करुणानिधि, एमजी रामचंद्रन और जे जयललिता के ईर्दगिर्द घूमती रही है। रजनी का राजनीति से मोह नया भी नहीं है। 1995 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव से मिलने के बाद वो कांग्रेस के करीब आ गये थे। उस समय तमिल पत्रिका कुमुदम ने एक सर्वे किया तो पाया कि अगर कांग्रेस रजनीकांत के समर्थन से चुनाव लड़ती है तो वो 130 सीटों तक जीत सकती है।

1996 के तमिलनाडु विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने जयललिता की एआईएडीएमके से गठजोड़ कर लिया। रजनी को ये बात नागवार गुजरी। उन्होंने उस चुनाव में करुणानिधि की डीएमके और तमिल मनीला कांग्रेस (टीएमसी) गठबंधन के समर्थन में बयान दे दिया। रजनी ने कहा था, "अगर एआईएडीएमके सत्ता में आई तो तमिलनाडु को भगवान भी नहीं बचा सकता।" माना जाता है कि उनके बयान से एआईएडीएमके को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। अभी कुछ महीने पहले ही रजनी ने 1996 में दिए गये बयान के लिए खेद जताया था। लेकिन हीरो रजनी के राजनीतिक वजन को उनके आलोचक भी नहीं नकारते।

सादगी के प्रतीक रजनीकांत

पद्म भूषण (2000) और पद्म विभूषण (2016) रजनीकांत को स्टारडम के साथ ही निजी जीवन की सादगी के लिए भी जाना जाता है। दूसरे फिल्म स्टार के उलट वो आम जीवन में बगैर किसी मेकअप या विग के नजर आते हैं। वो एशिया के सबसे महंगे एक्टर में माने जाते हैं लेकिन परंपरागत साधारण पोशाक पहनते हैं। गंजे सिर और सफेद दाढ़ी में जनता के सामने आने में उन्हें कभी संकोच नहीं होता। सार्वजनिक मंच पर वो अमिताभ बच्चन को पैर छू लेते हैं।

रजनीकांत के दोस्तों ने 1999 में रेडिफ डॉट कॉम को बताया था , "दरअसल वो बहुत साधारण आदमी हैं। वो अब भी हमारे साधारण घरों में आने पर बहुत आसानी से फर्श पर लेटकर सो लेते हैं। उन्हें विलासिता, नरम बिस्तर या महंगे फर्नीचर की लत नहीं लगी है।" 

तमिलनाडु से रजनीकांत का प्यार

रजनी तमिलनाडु और तमिल जनता के प्रति अपने लगाव को भी बहुत पहले से जाहिर करते रहे हैं। साल 2002 में उन्होंने कर्नाटक सरकार द्वारा तमिलनाडु को कावेरी नदी का पानी न देने के खिलाफ एक दिन की भूख हड़ताल की थी। रजनीकांत ने दोनों राज्यों के बीच जल संकट को दूर करने के लिए एक करोड़ रुपये की आर्थिक मदद की घोषणा की थी। उन्होंने तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी से भी इस बाबत मुलाकात की थी। तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच कावेरी जल विवाद का इतिहास जानने वाले मानते हैं कि रजनी के इस कदम से तमिलनाडु में उनकी लोकप्रियता और मजबूत हुई। 

साल 2008 में भी रजनीकांत ने होगेनक्कल जलप्रपात जल विवाद के मसले पर कर्नाटक सरकार के खिलाप भूख हड़ताल में भागीदारी की थी। रजनी ने अपने एक भाषण में कर्नाटक के नेताओं को इस मसले पर जनता को बरगलाने के लिए चेताया था। उनके ये भाषण भी तमिल जनता को बहुत भाया था। कन्नड़ फिल्म उ्दयोग के लोगों ने रजनी के भाषण से नाराज होकर उनकी फिल्मों के कर्नाटक में रिलीज का विरोध करने का घोषणा की थी। हालाँकि उसके बाद भी रजनी की फिल्में कर्नाटक में रिलीज होती रहीं। रजनीकांत ने अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को भी समर्थन दिया था।  उन्होंने संगठन को इस मद्दे पर इंडिया अगेंस्ट करप्शन (आईएसी) के सदस्यों को भूख हड़ताल के लिए चेन्नई स्थित अपना राघवेंद्र कल्याण मंडप मुफ्त में देने का प्रस्ताव दिया था। 

रजनीकांत के पुरखे भले ही मराठी रहे हों और कर्नाटक में पले-बढ़े हों लेकिन आज वो उतने ही तमिल हैं जितना कोई और होगा। जयललिता भी मूलतः कन्नड़ थीं लेकिन उन्हें तमिलनाडु की जनता ने दिल से स्वीकार किया था। ऐसे में सभी को उम्मीद है कि रजनीकांत को भी तमिलनाडु की जनता जयललिता की तरह गले लगाएगी।

राजनीतिक खालीपन का विकल्प रजनीकांत

जयललिता के निधन के बाद एआईएडीएमके में नेतृत्व को लेकर कलह जारी है। डीएमके प्रमुख करुणानिधि 93 साल के हो चुके हैं। ऐसे में फिल्मी स्टारडरम, अध्यात्म, सादगी और तमिलनाडु के प्रति अपने प्यार के आभामंडल से लैस रजनीकांत  तमिलनाडु के राजनीतिक आकाश के नए सूर्य बन जाएं तो शायद ही किसी को हैरत होगी। रजनीकांत ने मंगलवार (दो जनवरी) को चेन्नई में मीडिया से  कहा कि राज्य की "राजनीतिक क्रांति" की जरूरत है। रजनी ने कहा, "ये होना है और हम सब पर इसकी जिम्मेदारी है। मुझे उम्मीद ये बदलाव हमारी पीढ़ी में ही होगा।" रजनी का संदेश साफ है। रजनी को गंभीरता से न लेने की हिमाकत शायद रजनी भी न करें। 

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