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हर्षवर्धन आर्य का नजरियाः दूसरे एमजीआर बन सकते हैं रजनीकांत

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: November 26, 2019 14:56 IST

रजनीकांत-कमल हासन की जोड़ी का शुमार कुछ वक्त के लिए द्रमुक को हाशिए पर ला सकता है मगर उसे अप्रासंगिक नहीं बना सकता. कमल हासन के साथ मिलकर रजनीकांत जयललिता का स्थान लेंगे, करुणानिधि का नहीं. वह तमिलनाडु के दूसरे एम.जी.आर. तो बन ही सकते हैं.

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तमिलनाडु की राजनीति में यदि अपनी ताजा घोषणा के मुताबिक दो फिल्मी दिग्गजों रजनीकांत और कमल हासन ने वास्तव में हाथ मिला लिया तो 2021 के विधानसभा चुनाव में करिश्मा हो सकता है. तमिल फिल्म जगत के दोनों ही सुपरस्टारों का जातिगत वोट बैंक ऐसा नहीं है कि वे जीत सकें मगर उनकी लोकप्रियता जाति की सारी दीवारों को तोड़ देने में सक्षम है. ये दोनों वैसा ही करिश्मा दिखा सकते हैं जैसा अस्सी के दशक में उस दौर के सुपरस्टार एम.जी. रामचंद्रन तथा उनकी मौत के बाद उनकी उत्तराधिकारी जे. जयललिता ने लगातार 25 वर्षो तक कर दिखाया था. एम.जी.आर. की तरह ही जयललिता भी जातिगत लिहाज से अल्पसंख्यक थीं लेकिन मतदाताओं ने जाति एवं धर्म की दीवारें तोड़कर उन्हें सत्ता तक बार-बार पहुंचाया. एम.जी.आर. मूलत: केरल के मलयाली मेनन थे जबकि जयललिता ब्राrाण थीं. ब्राrाणों का वोट बैंक तमिलनाडु में सिर्फ तीन प्रतिशत है. और केरल के मूल निवासियों की संख्या एक प्रतिशत से भी कम है. इसके बावजूद दोनों दिग्गज अपनी फिल्मी लोकप्रियता के सहारे सत्ता तक पहुंचे. आज के दौर में मुख्यमंत्री पद के दावेदार रजनीकांत मूलत: कर्नाटक के हैं तथा मराठी भाषी हैं जिनका वोट बैंक राज्य में महत्व नहीं रखता.

तमिलनाडु में जयललिता तथा प्रमुख दिग्गज करुणानिधि के देहावसान के बाद उत्पन्न राजनीतिक शून्य को भरने की ताकत कमल हासन में भले न हो, मगर रजनीकांत में जरूर है. कमल हासन की छवि एम.जी.आर. के समकालीन सुपर स्टार शिवाजी गणोशन की तरह एक वर्ग विशेष खासकर ब्राह्मणों एवं बुद्धिजीवियों को ही भाती है जबकि एम.जी.आर. की तरह रजनीकांत एक लोकनायक की तरह फिल्मों व जनमानस में स्थापित हैं. कमल हासन का साथ मिलने से रजनीकांत के साथ एक बड़ा वोट बैंक जुड़ जाएगा. इस वर्ष के लोकसभा चुनाव में कमल हासन की पार्टी मक्कल निधि मय्यम को 4.5 प्रतिशत वोट मिले थे. तब से कमल हासन लगातार सक्रिय हैं. इससे उनकी राजनीतिक लोकप्रियता भी बढ़ी है. दूसरी ओर रजनीकांत अपने फैं स क्लब को राजनीतिक पार्टी में तब्दील करेंगे क्योंकि विधानसभा चुनाव महज डेढ़ साल दूर है तथा सुपरस्टार के पास नई पार्टी बनाकर उसे खड़ा करने का वक्त नहीं है.

तमिलनाडु की राजनीति में वन्नियार, कोंगुवेल्लार, यादव, मुक्कुलथोर कल्लार (थेवर), आगमुदैयार, नाडार, चेट्टियार दलित तथा आदिवासी वोट बैंक महत्वपूर्ण हैं. मुसलमान वोट बैंक 7 से 8 प्रतिशत का है. रजनीकांत की लोकप्रियता तमिलनाडु की हर जाति तथा संप्रदाय के गरीब तबकों में सिर चढ़कर बोलती है. कमल हासन उन्हें अतिरिक्त ताकत देंगे जिससे सवर्णो का वोट बैंक खुद-ब-खुद रजनीकांत के साथ आ जाएगा. इससे सबसे ज्यादा नुकसान अन्नाद्रमुक को हो सकता है. जयललिता के निधन के बाद मुख्यमंत्री पलानीस्वामी तथा उपमुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम का नेतृत्व करिश्माई नहीं है. 

इससे पूरी संभावना है कि अन्नाद्रमुक का पूरा वोट बैंक रजनीकांत तथा कमल हासन की जोड़ी के साथ चला जाए. द्रमुक के अस्तित्व को कोई खतरा नहीं है क्योंकि वह कैडर आधारित पार्टी है और उसका वोट बैंक पूरा का पूरा रजनीकांत के पक्ष में नहीं जाएगा. इसी कारण वह जयललिता को भी चुनाव में पटखनी देने में कामयाब रहा था. रजनीकांत-कमल हासन की जोड़ी का शुमार कुछ वक्त के लिए द्रमुक को हाशिए पर ला सकता है मगर उसे अप्रासंगिक नहीं बना सकता. कमल हासन के साथ मिलकर रजनीकांत जयललिता का स्थान लेंगे, करुणानिधि का नहीं. वह तमिलनाडु के दूसरे एम.जी.आर. तो बन ही सकते हैं.

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