चुनावी विश्लेषण-1: पिछले 4 साल 7 महीने में मोदी सरकार ने ऐसा क्या किया कि बीजेपी पांच राज्यों में लुढ़क गई!

By बद्री नाथ | Published: December 31, 2018 01:51 AM2018-12-31T01:51:25+5:302018-12-31T01:51:25+5:30

विधानसभा चुनाव विश्लेषण 2018: कैसे लड़ा गया चुनाव, कैसे रहे नतीजे, कैसी हो रही हैं चर्चाएं, आगे आम चुनावों में क्या होंगी राजनीतिक संभावनाएं?

Election Analysis -1: What has the Modi Government done in the past 4 years and 7 months that BJP has rolled down in five states! | चुनावी विश्लेषण-1: पिछले 4 साल 7 महीने में मोदी सरकार ने ऐसा क्या किया कि बीजेपी पांच राज्यों में लुढ़क गई!

चुनावी विश्लेषण-1: पिछले 4 साल 7 महीने में मोदी सरकार ने ऐसा क्या किया कि बीजेपी पांच राज्यों में लुढ़क गई!

Highlightsपांच राज्यों में हुए विधान सभा चुनावों में बीजेपी 5-0 से हार गई। 17 चुनाव हारने के बाद कांग्रेस की यह जीत कांग्रेस के लिए संजीवनी से कम नहीं हैं।2014 के बाद चुनाव दर चुनाव जीत दर्ज करने वाली भाजपा जहाँ राजस्थान और छत्तीसगढ़ में दूसरे नंबर पर रही वहीं तेलंगाना और मिजोरम में तीसरे नंबर पर रही है।

11 दिसम्बर 2018 भारतीय के राजनीतिक इतिहास का वह दिन जो एक अहम बदलाव का गवाह बना। पांच राज्यों में हुए विधान सभा चुनावों में बीजेपी 5-0 से हार गई। 17 चुनाव हारने के बाद कांग्रेस की यह जीत कांग्रेस के लिए संजीवनी से कम नहीं हैं। इन चुनाव नतीजों नें दुनियाँ की सबसे बड़ी कार्यकर्ताओं वाली पार्टी जो कि राजनितिक प्रबंधन में भी अव्वल मानी जाती रही है, के विजयी अभियानों पर विराम लगाकर कांग्रेस मुक्त भारत के सपनों को चकनाचूर कर दिया। 2014 के बाद चुनाव दर चुनाव जीत दर्ज करने वाली भाजपा जहाँ राजस्थान और छत्तीसगढ़ में दूसरे नंबर पर रही वहीं तेलंगाना और मिजोरम में तीसरे नंबर पर रही है। बीजेपी को जहाँ तीन राज्यों की सत्ता गवानी पड़ी वहीँ दूसरी तरफ अन्य 2 राज्यों तेलंगाना व मिजोरम में पार्टी के अच्छे प्रदर्शन के उम्मीद को गहरा आघात पहुंचा। तेलंगाना और मिजोरम में कांग्रेस की अस्वीकार्यता इस बात के सबूत पेश करती है कि कांग्रेस ही बीजेपी का एकमात्र विकल्प नहीं है। बहुदलीय राजनीतिक प्रणाली वाले देश की जनता मजबूर नहीं है जनता उसी के साथ जाएगी जिसके मुद्दे जनता के सरोकारों से ताल्लुक रखने वाले होंगे। हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में कांग्रेस की पुनर्वापसी हुई है ये वो राज्य हैं जिन्हें संघ की प्रयोगशाला कहा जाता है अब इस जीत  से कांग्रेस ने भाजपा और आरएसएस इस के कवच को भेदते हुए भाजपा और  संघ की प्रयोगशालाओं  में सेंध लगा दी है।

पांच साल पूर्व हिंदी हार्टलैंड के तीन राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में जीत को जिस बीजेपी द्वारा 2014 के लोकसभा चुनाव के चुनावों में होने वाले बदलावों की झलक के रूप में प्रस्तुत किया गया था पर इस बार भाजपा ने इन तीनों राज्यों को गंवाने के बाद बीजेपी ने इसे स्थानीय बताकर अपने दल के सबसे स्वीकार्य और लोकप्रिय नेता के बचाव का रास्ता अख्तियार किया है । इस सन्दर्भ में दिलचस्प बात यह है कि जीत का सेहरा मोदी व अमित शाह के सर बाधने वाली भाजपा इस बार ट्रैक से उतर गई सभी मुख्यमंत्रियों को इसका जिम्मेदार बताना ही मुनासिब समझा। कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गाँधी के लिए सबसे बड़ी जीत रही तो वहीं नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद बीजेपी की सबसे बड़ी हार रही । मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस का किसान कार्ड कारगर रहा तो तेलंगाना में जनता ने वाईएसआर की सोशल वेलफैयर योजनाओं पर मुहर लगाई वहीँ मिजोरम में एम् एन ऍफ़ के शराब बंदी के वायदे ने 10 साल से सत्ता में बाहर चल रही पार्टी को 26 सीटो के साथ पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। 
 
 
जिस मोदी नाम की  सुनामी के आने के बाद भाजपा के सामने कांग्रेस, एनसीपी, बहुजन समाज पार्टी  और कम्युनिस्ट पार्टी जैसे स्थापित राष्ट्रीय दलों  के साथ साथ  देश के क्षेत्रीय दलों की स्वीकार्यता भी घटने लगी थी, मिशाल के तौर पर सपा, बसपा, जेएम्एम्, आरजेडी, जेवीएम्, इंडियन नेशनल लोक दल, हरियाणा जनहित कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेंस, आदि का ग्राफ काफी तेजी से नीचे गिरा दिलचस्प बात ये रही कि इन सभी दलों के द्वारा खाली किये गए स्पेस में भाजपा मजबूती से काबिज हो रही थी हालाँकि इस दौर में भी टी एम् सी, बीजू जनता दल, एआईएडीएमके इसके अपवाद रहे थे। 

मोदीजी  के पीएम बनने के बाद यानि कि विगत 4 साल 7 महीने में हुए 26 चुनावों में बीजेपी ने 19 चुनाव जीते। इस दौर में भारतीय जनता पार्टी ने अपने प्रदर्शनों में अद्भुत सुधार किया था। भाजपा का आत्मविश्वास इस कदर बढ़ता गया कि भाजपा को पारंपरिक सहयोगियों के साथ की जरूरत भी कमतर होगी गई। उदाहरण के तौर पर हरियाणा लोक सभा चुनाव में जहाँ भाजपा ने हरियाणा जनहित कांग्रेस के साथ गठबंधन में लड़ा था तो उसी के 5 महीने बाद होने वाले हरियाणा विधान सभा चुनाव में अकेले लड़ते हुए 90 सीटों वाली हरियाणा विधान सभा में 47 सीटें अपने दम पर जीत कर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। 

इसके आगे तो भाजपा ने बिना मुख्यमंत्रियों के चहरे पर चुनाव लड़ते हुए एक के बाद अनेक स्टेट अपने कब्जे में किये। बनियों, ब्राह्मणों और शहरी क्षेत्रों तक सीमित पार्टी ने अपनी पैठ पिछड़े दलित और आदिवासी और ग्रामीण समाज तक बना ली । मोदी लहर में दिल्ली, पंजाब, बिहार, में बीजेपी को चुनाव हारना पड़ा था तो जम्मू व गोवा में सीटें कम होने के बाद भी बीजेपी की सरकारें बनी थी आगे महाराष्ट्र, हरियाणा, हिमांचल, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मणिपुर, असम, नागालैंड, त्रिपुरा, मेघालय, अरुणांचल प्रदेश, गुजरात आदि राज्य जीते गए। जम्मू और गोवा में बहुमत से कम सीट होने के बाद भी सरकार बनी। कर्नाटक चुनाव तक जिस मोदी जी को अपराजेय माना जाता रहा है इस संकल्पना को भी इन चुनावों ने काफी कमजोर किया है इसे इस उदाहरण से और बेहतर समझ सकते हैं, गुजरात विधान सभा चुनाव में मोदी जी के चुनाव प्रचार में उतरने से पहले कांग्रेस के सामने कमजोर दिखने वाली भाजपा नें चुनाव में जबरदस्त बढ़त हासिल करते हुए गुजरात चुनाव को पूर्ण बहुमत से जीत लिया, इस जीत का पूरा श्रेय बीजेपी टीम ने मोदी जी को ही दिया। 

गुजरात चुनाव तक ये चर्चा भी आम थी कि मोदी जी के चुनाव में उतारते ही चुनाव की फिजा बदल जाया करती है। गुजरात चुनाव के बाद हुए कर्नाटक विधान सभा चुनाव में बीजेपी नें  कर्नाटक में सत्ताधारी दल कांग्रेस को बुरी शिकस्त देते हुए सबसे ज्यादे सीट जीतनें वाली पार्टी बनी लेकिन इसके बाद भी बीजेपी की सरकार नहीं बन सकी थी यहाँ पर कांग्रेस ने जेडीएस से मिलकर भाजपा को सरकार नहीं बनाने दिया। कर्नाटक में बीजेपी के साथ जेडीएस के न आने के बाद मोदी की भाजपा व अटल भी भाजपा का बिमर्श भी शुरू हुआ था गौरतलब है कि 1996 की भाजपा से जहाँ छोटे दल बीजेपी के साथ जुड़ने को आतुर होते थे वहीँ मोदी मैजिक के आगोस में 2018 की भाजपा ने यह विश्वास खो दिया।

अब बहुत कुछ बदल गया है। आज से पांच वर्ष पूर्व बीजेपी के द्वारा स्थापित तीन मजबूत इमारतें खंडहर का ढेर बन चुकी है। इन नतीजों को गौर से देखें तो पहली नजर में बीजेपी पर कांग्रेस की जीत दिखती है लेकिन व्यापक तौर पर देखने पर यह बात स्पष्ट हो जाती है कि जिन राज्यों में कांग्रेस के अलावां कोई विकल्प रहा है जनता ने उनकी तरफ रुख किया है जैसे कि छत्तीसगढ़  में जनता कांग्रेस को 10 % वोट और सीटों का मिलना, राजस्थान में बसपा को 6 सीटें मिलना और हनुमान बेनीवाल के नई पार्टी को अच्छा समर्थन मिलना, मणिपुर में एमएनएफ़ का 10 साल बाद सत्ता में पुर्वापसी होना व कांग्रेस का बुरी तरह से परास्त होना, तेलंगाना में टीआरएस की स्वीकार्यता का और बढ़ना इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि विकल्पों के अभाव में जनता ने कांग्रेस का रुख किया है। चुनाव नतीजों के बाद चहल पहल और गाजे बाजे के नज़ारे वाले भाजपा कार्यालयों में इस बार  सन्नाटा पसर गया टी बी स्टूडियो में चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस मुक्त भारत का अभिमान दिखाने वाले बीजेपी प्रवक्ताओं के चेहरे की चमक चली गई। 

जीत का शेहरा मोदी व अमित शाह के सर बाधने वाली भाजपा इस बार ट्रैक से उतर गई सभी मुख्यमंत्रियों को इसका जिम्मेदार बताना ही मुनासिब समझा। यह मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद बीजेपी की सबसे बड़ी हार तो राहुल गाँधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनानें के बाद कांग्रेस की सबसे बड़ी जीत है। इस नजरिये से देखें तो कांग्रेस ने जबरदस्त बढ़त हासिल की है। इस पूरे चुनाव में हिन्दू कार्ड नहीं चल सका बल्कि सोशियो- इकोनामिक पैटर्न पर वोट हुआ।

जहाँ राजस्थान की जनता नें  महारानी को सिंहासन से उतारकर जादूगर को सत्ता सौप दी वहीँ पर शिवराज व रमन राज  के 15 वर्षीय शासन  का अंत हुआ वहीं नार्थ ईस्ट में कांग्रेस का अंतिम सूरज अस्त हो गया तो तेलंगाना में कांग्रेस व बीजेपी टीडीपी से मुकाबले में कहीं दूर-दूर तक नहीं दिखी। विश्व के सबसे ज्यादे कार्यकर्ताओं वाली पार्टी जो 10 दिसम्बर तक भारत के तीन चौथाई भूभाग  तक फ़ैल चुकी थी। अब जम्मू आन्ध्र और इन तीन राज्यों की सरकारें हाथ से निकलने के बाद बीजेपी के पास कुल 14 राज्यों में सरकारे हैं। मध्यप्रदेश की आबादी 7.3 करोड़, राजस्थान की 7 करोड़ और छत्तीसगढ़ की आबादी 2.5 करोड़ है। इस तरह कांग्रेस अब देश की 13 फीसदी आबादी वाले तीन राज्य भाजपा से छीन लिए। अब कांग्रेस के पास इन तीन राज्यों समेत 6 राज्य हैं। अब कांग्रेस की सरकारें मध्यप्रदेश, राजस्थान छत्तीसगढ़, पंजाब, कर्नाटक और पुड्डुचेरी में हैं। इन 6 राज्यों की आबादी 26.72 करोड़ है। इस तरह देश की 20% आबादी वाले राज्यों में अब कांग्रेस का शासन हो गया है। विश्लेषण जारी है...

ये लेखक के निजी विचार हैं।

Web Title: Election Analysis -1: What has the Modi Government done in the past 4 years and 7 months that BJP has rolled down in five states!

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