कोरोना वायरसः इस संकटकाल में भी सियासत जारी, बेबस जनता की ओर कौन देखेगा
By प्रदीप द्विवेदी | Published: May 24, 2020 06:28 AM2020-05-24T06:28:51+5:302020-05-24T06:28:51+5:30
बिजली की समस्या से केवल राजस्थान जैसे कांग्रेसी राज्यों की जनता ही उलझन में नहीं है, एमपी, यूपी जैसे बीजेपी सरकार वाले प्रदेशों की जनता भी परेशान है.
राजस्थान से प्रवासी मजदूरों को कांग्रेस की बसों से यूपी भिजवाने के मामले में शुरू हुई सियासत को जनता बेबस होकर देखती रही. अब इस राजनीति का दूसरा अध्याय प्रारंभ होने के बाद बिजली के बिलों के झटके जनता को दिए जा रहे हैं.
हालांकि, बिजली की समस्या से केवल राजस्थान जैसे कांग्रेसी राज्यों की जनता ही उलझन में नहीं है, एमपी, यूपी जैसे बीजेपी सरकार वाले प्रदेशों की जनता भी परेशान है.
राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने ही सबसे पहले बिजली के बिल स्थगित किए थे, उस वक्त वह राहत ठीक थी, परन्तु जो वर्तमान हालात हैं, उसमें यह राहत पर्याप्त नहीं है. अब तो बिजली के बिल की माफी के बगैर लोगों को वास्तविक राहत नहीं मिल पाएगी.
लेकिन, इस मुद्दे पर अब बीजेपी ने राजनीति शुरू कर दी है. कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी की यूपी में बिजली बिल माफी की मांग पर राजस्थान बीजेपी ने उन्हें प्रदेश की गहलोत सरकार को भी इस बाबत एक चिट्ठी लिखने का बोल दिया है.
बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने सियासी निशाना साधा- बस, बस, बस, बहुत हो गया, मजदूर आपकी बस में बैठकर सुरक्षित पहुंच भी गये होंगे, अब एक पत्र बिजली माफी का अशोक गहलोत को लिख दो. केवल तीन महीनों का माफ करवा दीजिये!
बिजली माफी का मुद्दा तो जनहित का मुद्दा है, परन्तु इसे बस के साथ जोड़ कर इसे सियासी मजाक बना दिया गया है. क्योंकि, बस के मुद्दे पर बीजेपी जीती हो या कांग्रेस, किन्तु मजदूर हारा हुआ महसूस कर रहे हैं.
बहरहाल, राजनेताओं के बयानों का मकसद कोरोना संकट में भी जनता को वर्तमान समस्याओं से मुक्ति दिलाना नहीं है, बल्कि निकट भविष्य में यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए आधार तैयार करना है.