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बिहार में बीजेपी और जेडीयू की सियासी मजबूरी!, अरुणाचल प्रदेश में नीतीश कुमार को बड़ा राजनीतिक झटका

By प्रदीप द्विवेदी | Updated: December 26, 2020 20:35 IST

बीजेपी ने बिहार के सीएम जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष नीतीश कुमार को बड़ा राजनीतिक झटका देते हुए अरुणाचल प्रदेश में जेडीयू के सात में से छह विधायकों को बीजेपी में शामिल कर लिया है.

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ठळक मुद्देएनडीए के सहयोगी दलों में भी सियासी तोड़फोड़ से परहेज नहीं करेगी.बीजेपी-जेडीयू के बीच आंतरिक सियासी रस्साकशी नई नहीं है.एनडीए के ही चिराग पासवान ने नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को चुनाव हराने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी थी.

न तो बीजेपी ने जेडीयू का हर कदम सियासी साथ निभाने की कसम खाई है और न ही जेडीयू हमेशा बीजेपी के साथ खड़ी रहेगी, लेकिन बिहार में बीजेपी और जेडीयू दोनों की सियासी मजबूरी के चलते ही दोनों पार्टियां एकसाथ खड़ी हैं और कोई नहीं जानता कि दोनों कब तक साथ रहेंगी.

खबर है कि बीजेपी ने बिहार के सीएम जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष नीतीश कुमार को बड़ा राजनीतिक झटका देते हुए अरुणाचल प्रदेश में जेडीयू के सात में से छह विधायकों को बीजेपी में शामिल कर लिया है. वहां सरकार बीजेपी की है और जेडीयू मुख्य विपक्ष दल था.

जेडीयू ने इस सियासी घटनाक्रम पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इसे अनुचित और गैर-दोस्ताना बताया है. बिहार में, एक तो जेडीयू-बीजेपी सरकार का बहुमत सीमा पर है और दूसरा- बीजेपी का बस नहीं चल रहा है, वरना वहां भी मौका मिलने पर बीजेपी अरुणाचल पाॅलिटिकल माॅडल पर सियासी जोड़तोड़ कर सकती है.

इस सियासी घटनाक्रम के साथ ही बीजेपी ने यह साफ सियासी संदेश भी दे दिया है कि बीजेपी खुद को मजबूत करने के लिए कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों में ही नहीं, एनडीए के सहयोगी दलों में भी सियासी तोड़फोड़ से परहेज नहीं करेगी.

दिलचस्प बात यह है कि बीजेपी ने अरुणाचल प्रदेश में जेडीयू के छह विधायकों को उस समय तोड़ा, जब पटना में राष्ट्रीय कार्यसमिति और राष्ट्रीय परिषद की बैठक हो रही है और अरुणाचल के उन विधायकों को भी पटना में आयोजित राष्ट्रीय परिषद की बैठक में शामिल होने आना था. उन विधायकों के ठहरने का इंतजाम भी हो गया था.

बीजेपी-जेडीयू के बीच आंतरिक सियासी रस्साकशी नई नहीं है. बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान भी एनडीए के ही चिराग पासवान ने नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को चुनाव हराने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी थी और उन्हें किसका अप्रत्यक्ष समर्थन प्राप्त था, यह जगजाहिर है.

चिराग पासवान के विरोध का नतीजा यह रहा कि जेडीयू को बहुत कम सीटें मिली और बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लिहाजा इस बार बिहार में नीतीश कुमार भले ही सीएम हो, लेकिन बीजेपी प्रभावी बड़े भाई की भूमिका में आ गई है.

जेडीयू ने पश्चिम बंगाल में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में 75 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी की है और यदि बीजेपी से गठबंधन की बात नहीं बनी, तो ममता बनर्जी की टीएमसी के साथ चुनाव लड़ने में भी जेडीयू को परहेज नहीं है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जेडीयू की राजनीतिक ममता और बीजेपी की सियासी क्रूरता का नतीजा ही है- अरुणाचल पाॅलिटिकल इंपेक्ट!

टॅग्स :वेस्ट बंगाल विधानसभा चुनावअरुणाचल प्रदेशभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)जेडीयूनीतीश कुमारजेपी नड्डा
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