ब्लॉग: इंडोनेशिया की भयावह घटना से सीखने की जरूरत, खेल हिंसा नहीं शांति और सद्भाव का संदेश देते हैं

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: October 4, 2022 02:41 PM2022-10-04T14:41:44+5:302022-10-04T14:43:26+5:30

खेलों में कई बार उन्माद इतना बढ़ जाता है कि दर्शक हार या जीत को पचा ही नहीं पाते और खून-खराबे पर उतर आते हैं. इंडोनेशिया का हादसा अपने ढंग की पहली घटना नहीं है.

Need to learn from Indonesia's horrific football match incident, sports give message of peace and harmony, not violence | ब्लॉग: इंडोनेशिया की भयावह घटना से सीखने की जरूरत, खेल हिंसा नहीं शांति और सद्भाव का संदेश देते हैं

इंडोनेशिया की भयावह घटना से सीखने की जरूरत (फोटो- सोशल मीडिया)

शनिवार को इंडोनेशिया में एक फुटबॉल मैच के दौरान बेकाबू भीड़ की भयावह हिंसा ने न केवल खेल के इतिहास में काला अध्याय जोड़ा बल्कि उसने खेल भावना को भी तार-तार कर दिया. शनिवार की देर रात इंडोनेशिया में बीआरआई लीग-1 का मैच चल रहा था. अपनी पसंदीदा टीम के हारने पर दर्शक उग्र हो गए तथा हिंसा पर उतारू हो गए. 

पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया लेकिन 40 हजार से ज्यादा उन्मादी दर्शकों को शांत करना कुछ  सौ पुलिस जवानों के लिए संभव ही नहीं हो सकता था. इस दर्दनाक हादसे में कुछ पुलिसकर्मियों तथा अपने माता-पिता  के साथ मैच देखने आए छोटे बच्चों समेत 125 लोगों की मौत हो गई. 

खेलों में अपनी प्रिय टीम को सब जीतते हुए देखना चाहते हैं लेकिन ऐसा हर बार संभव नहीं हो सकता. दुनिया के किसी भी खेल में एक टीम को तो हारना ही पड़ता है. कोई टीम अजेय होने या बने रहने का कभी दावा नहीं कर सकती. इसीलिए मैच देखने वाले दर्शकों तथा खेलने वाली टीमों को मैच का फैसला शांति तथा गरिमा के साथ स्वीकार करना चाहिए. जीत में आनंद की सीमा न लांघें और हार को वास्तविकता व खेल का हिस्सा समझकर स्वीकार करने का जज्बा रखें. 

खेलों में कभी-कभी उन्माद इतना ज्यादा बढ़ जाता है कि दर्शक  हार या जीत को पचा ही नहीं पाते और खून-खराबे पर उतर आते हैं. इंडोनेशिया का हादसा अपने ढंग की पहली घटना नहीं है. 13 मार्च 1996 को 50 ओवर के विश्व कप के सेमीफाइनल में श्रीलंका के विरुद्ध भारत पर जब हार का साया मंडराने लगा तो दर्शक आपा खो बैठे और उन्होंने जमकर तोड़फोड़ तथा हिंसा की. कोलकाता के इस मैच में हिंसा का लाभ श्रीलंका को मिल गया. भारत को पूरा मैच खेलने का मौका ही नहीं मिला और श्रीलंका को विजयी घोषित कर दिया गया. 

सौभाग्य से उसके बाद भारत में खेल भावना को शर्मसार करने वाली ऐसी कोई घटना अब तक नहीं हुई है. इसके विपरीत भारतीय दर्शक उत्कृष्ट खेल भावना के लिए दुनिया भर में मशहूर हो गए हैं. वे हौसलाअफजाई करते हैं. सौभाग्य से इंडोनेशिया जैसी बेहद भयावह घटना भारत में आज तक नहीं हुई लेकिन दुनिया के कई मुल्कों में खेल के मैदान अनेक बार रक्तरंजित हुए हैं. 

1964 में लैटिन अमेरिकी देश पेरू में फुटबॉल मैच में दोनों टीमों के समर्थक भिड़ गए. इस हिंसा में 318 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा और 500 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे. घाना में भी 2001 में फुटबॉल मैच के दौरान भगदड़ मची तथा 126 दर्शक मारे गए. ग्वाटेमाला, सुसंस्कारियों का देश समझे जाने वाले ब्रिटेन के अलावा मिस्र, अर्जेंटीना, स्कॉटलैंड में इंडोनेशिया जैसी घटनाएं हुईं एवं सैकड़ों लोग अपने प्राण गंवा बैठे. 

हमारा पड़ोसी देश नेपाल भी ऐसे हादसे से अछूता नहीं रहा. 12 मार्च 1988 को काठमांडू में फुटबॉल मैच के दौरान दो गुटों के विवाद ने विकराल रूप धारण कर लिया तथा भगदड़ मच गई. इसमें 19 लोग मारे गए. खेलों में जाति, धर्म, भाषा, संप्रदाय या अन्य किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता. खेलों को अगर शांतिदूत कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. 

आपस में खेलते हुए खिलाड़ियों के बीच भावनात्मक जुड़ाव भी हो जाता है. खिलाड़ी दुनिया भर में अपने-अपने देश-प्रदेश की संस्कृति के वाहक होते हैं और उनका संदेश यही रहता है कि खेल भावना से जिंदगी जियो, हार या जीत में उन्मादी मत बनो तथा एक ऐसी दुनिया बनाओ जिसमें शांति एवं मैत्री भाव ही सबकुछ रहे.

Web Title: Need to learn from Indonesia's horrific football match incident, sports give message of peace and harmony, not violence

अन्य खेल से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे