ब्लॉग: ओलंपिक खेलों के आयोजन का भारत तगड़ा दावेदार

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: March 21, 2024 11:24 AM2024-03-21T11:24:10+5:302024-03-21T11:24:16+5:30

भारत निश्चित रूप से ओलंपिक खेलों के आयोजन में समर्थ है। उम्मीद करें कि 2036 में देशवासियों का यह सपना भी साकार हो जाएगा।

India is a strong contender for organizing Olympic Games | ब्लॉग: ओलंपिक खेलों के आयोजन का भारत तगड़ा दावेदार

ब्लॉग: ओलंपिक खेलों के आयोजन का भारत तगड़ा दावेदार

केंद्रीय खेल और युवा कार्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा है कि भारत 2030 के युवा ओलंपिक तथा 2036 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिकखेलों की मेजबानी के लिए तैयार है। ठाकुर का कथन आर्थिक क्षेत्र में भारत की बढ़ती शक्ति का परिचायक है। ओलंपिक खेलों में बड़ी संख्या में पदक जीतना और ओलंपिक खेलों की मेजबानी करना किसी भी देश का सपना होता है और भारत भी कोई अपवाद नहीं है। ओलंपिक खेलों का आयोजन इतना सहज नहीं है। सिर्फ किसी देश की आर्थिक ताकत ही उसे ओलंपिक जैसे विशाल तथा खर्चीले वैश्विक आयोजन का हकदार नहीं बना देती।

किसी भी देश की राजनीतिक स्थिरता, आर्थिक क्षमता, कानून एवं व्यवस्था की स्थिति, खेल का विकसित ढांचा, बुनियादी सुविधाओं का विकसित ढांचा होने के साथ-साथ उस देश के राजनीतिक नेतृत्व की मानसिकता भी ओलंपिक की मेजबानी के लिए महत्वपूर्ण होती है। भारत ने कभी ओलंपिक खेलों की मेजबानी का दावा नहीं किया और न ही उसे इसके काबिल समझा गया। भारत में आजादी के बाद राजनीतिक स्थिरता भी थी और कानून और व्यवस्था की हालत भी बहुत अच्छी थी।

देश का राजनीतिक नेतृत्व भी मजबूत और खेलों के प्रति सकारात्मक रहा मगर देश की अर्थव्यवस्था अंग्रेजी शासन में पूरी तरह ध्वस्त हो गई थी और वह धीरे-धीरे संभल रही थी। देश में बुनियादी सुविधाओं का बहुत अभाव था। हवाई परिवहन भी शुरुआती दौर में ही था। खेलों के विकास तथा खेल आयोजनों के लिए आवश्यक ढांचा भी भारत के पास नहीं था। भारत की अर्थव्यवस्था ओलंपिक जैसे बेहद खर्चीले आयोजन का भार उठाने में सक्षम नहीं थी।

ऐसा नहीं है कि इन हालात के चलते भारत में खेलों के बड़े आयोजन हुए ही नहीं। भारत ने एशियाई तथा राष्ट्रमंडल खेलों का सफल आयोजन किया और इन दोनों ही प्रतियोगिताओं में हमारे खिलाड़ियों ने बड़ी संख्या में पदक जीते। ओलंपिक में भी भारत हॉकी की महाशक्ति रहा और साठ के दशक तक ओलंपिक के फुटबाल में सेमी फाइनल में पहुंचने वाला भारत पहला एशियाई देश था। आर्थिक और खेल मोर्चे पर भारत के हालात अब बदल चुके हैं। भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और देश में बुनियादी सुविधाओं का तेजी से विस्तार होने लगा है। देश में छोटे-छोटे शहर हवाई सेवाओं से जुड़ने लगे हैं, मध्यम श्रेणी तक के शहरों में मजबूत बुनियादी सुविधाएं खड़ी हो गई हैं।

ऐसा नहीं है कि सिर्फ दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता जैसे महानगर ही ओलंपिक का आयोजन करने में समर्थ हैं। भारत में बेंगलुरु, हैदराबाद, भुवनेश्वर, अहमदाबाद, गांधीनगर, सूरत, पुणे, लखनऊ, चंडीगढ़, कोच्चि, तिरुवनंतपुरम, भोपाल, रायपुर जैसे शहर भी जरूरत पड़ने पर ओलंपिक जैसे विश्वस्तरीय खेल आयोजनों की मेजबानी सफलतापूर्वक कर सकते हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था जिस रफ्तार से दौड़ रही है और जिस तेजी से देश में बुनियादी एवं यातायात सुविधाओं का जाल फैल रहा है, उसके लिहाज से 2036 तक हमारा देश समृद्ध देशों की कतार में गर्व से खड़ा होगा।

भारत के साथ सबसे बड़ी विशेषता यह है उसके पास दुनिया की सबसे बड़ी युवाशक्ति है जो देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है। ओलंपिक महज एक खेल आयोजन नहीं है। उसके साथ किसी भी देश की प्रतिष्ठा भी जुड़ी होती है। ऐसे विशाल खेलों का सफल आयोजन किसी भी देश की आर्थिक क्षमता को दर्शाता है। इससे वहां बड़े पैमाने पर विदेशी निवेश आकर्षित होता है। बुनियादी सुविधाओं का जाल छोटे-छोटे शहरों तक पहुंच जाता है।

परिवहन सुविधाओं का आधुनिकीकरण होता है, दुनियाभर के पर्यटकों की दिलचस्पी आयोजक देश के प्रति बढ़ती है और देश में खेल संस्कृति का नया रूप देखने को मिलता है. मैक्सिको और ब्राजील जैसे देशों में भी ओलंपिक हुए। वहां की अर्थव्यवस्था भारत की तरह विशाल नहीं है लेकिन आोलंपिक के आयोजन ने उनकी आर्थिक तरक्की में नए आयाम जोड़े। भारत एशिया में बड़ी खेल शक्ति है. पिछले दो दशकों में आर्थिक तरक्की के साथ-साथ देश में खेल संस्कृति भी विकसित हो रही है। विश्वस्तरीय खेल प्रतिभाएं तेजी से उभरने लगी हैं और ओलंपिक खेलों में भारत की पदक संख्या में भी इजाफा होने लगा है।

क्रिकेट के प्रति जुनूनी हमारे देश के युवा अन्य खेलों को अपनाते जा रहे हैं क्योंकि उन्हें खिलाड़ी बनने में भी अपना सुनहरा भविष्य नजर आने लगा है। खिलाड़ियों के लिए प्रोत्साहन योजनाओं तथा केंद्र एवं राज्य स्तर पर सरकारों के बदलते नजरिये से छोटे-छोटे शहरों में भी युवक खिलाड़ी बनकर अपने शहर, प्रदेश तथा देश का नाम रोशन करने के साथ-साथ अपने भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। ठाकुर के बयान में कोई अतिशयोक्ति नहीं है। भारत निश्चित रूप से ओलंपिक खेलों के आयोजन में समर्थ है। उम्मीद करें कि 2036 में देशवासियों का यह सपना भी साकार हो जाएगा।

Web Title: India is a strong contender for organizing Olympic Games

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