CWG 2022: भारतीय खिलाड़ियों ने दिया आजादी के अमृत महोत्सव का जश्न अंग्रेजों की सरजमीं पर मनाने का मौका!
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: August 10, 2022 02:44 PM2022-08-10T14:44:26+5:302022-08-10T14:46:14+5:30
भारत ने ट्रैक एवं फील्ड स्पर्धाओं में आठ पदक जीते जो कि इन खेलों में विदेशों में उसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. लॉन बॉल्स जैसे कमोबेश अज्ञात खेल में भारतीय महिलाओं ने स्वर्ण पदक जीता.
आजादी के 75 साल का जश्न हमारे खिलाड़ियों ने इंग्लैंड में मनाया. केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर की भविष्यवाणी सही साबित हुई. भारतीय दल की विदाई पर अपने संदेश में खेल मंत्री ने यही बात कही थी. आज पूरा देश फख्र महसूस कर रहा है कि सोमवार को संपन्न राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय प्रतिभागियों का प्रदर्शन निश्चित तौर पर काबिले तारीफ रहा और आजादी के अमृत महोत्सव का जश्न वाकई अंग्रेजों की सरजमीं पर मनाने का मौका उन्होंने दिया.
इस बहुप्रतिस्पर्धी आयोजन की अंकतालिका में भारत का चौथा स्थान हासिल करना खेलों की दुनिया में भारत के बढ़ते दबदबे को दर्शाता है. बेशक, ओलंपिक जैसे खेलों के महाआयोजन में हमारे खिलाड़ी चीनी या अमेरिकी स्तर का प्रदर्शन नहीं कर पाते लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हमारी प्रतिभाओं में वहां तक पहुंचने की क्षमता नहीं है. देर-सबेर वह दौर आना ही है जब भारत भी खेलों की महाशक्तियों को चुनौती देने की स्थिति में आ जाएगा.
बहरहाल, राष्ट्रमंडल खेल-2022 में भारत की सफलता इसलिए भी अहम हो जाती है क्योंकि इस दफा निशानेबाजी को शामिल नहीं किया गया था. गोल्ड कोस्ट में खेले गए पिछले राष्ट्रमंडल खेलों में भारत ने लगभग 25 प्रतिशत पदक निशानेबाजी में जीते थे. इसलिए माना जा रहा था कि भारत बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में ज्यादा से ज्यादा 50 पदक जीत सकेगा लेकिन ट्रैक एवं फील्ड की स्पर्धाओं में भारतीय एथलीटों ने उम्मीद से ज्यादा प्रदर्शन किया और निशानेबाजी की कमी महसूस नहीं होने दी और उसने 22 स्वर्ण पदकों समेत कुल 61 पदक हासिल किए.
भारत ने ट्रैक एवं फील्ड स्पर्धाओं में आठ पदक जीते जो कि इन खेलों में विदेशों में उसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. लॉन बॉल्स जैसे कमोबेश अज्ञात खेल में भारतीय महिलाओं ने स्वर्ण पदक जीता. त्रिकूद में एल्डॉस पॉल और अब्दुल्ला अबूबकर, ऊंची कूद में तेजस्विन शंकर, लंबी कूद में मुरली श्रीशंकर, भाला फेंक में अनु रानी, जूडो में तूलिका मान और पैदल चाल में प्रियंका गोस्वामी तथा संदीप कुमार- यह कुछ नाम हैं जिनकी कोई पहचान भारतीय खेल जगत में नहीं थी लेकिन पदक जीतकर इन ‘गुमनाम प्रतिभाओं’ ने आजादी के जश्न को द्विगुणित कर दिया. लेकिन फिर भी कुछ कसक तो रह ही गई.
भारत में सर्वाधिक लोकप्रिय क्रिकेट में महिलाओं की टीम स्वर्ण के करीब पहुंचकर इसे हासिल करने से वंचित रह गई. पुरुष हॉकी के फाइनल में भी दुरावस्था हुई. दोनों खेलों में एक ही प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ रजत पर भारत को संतोष करना पड़ा. खैर, कहीं खुशी तो कहीं गम जिंदगी का हिस्सा है. उम्मीद यही है कि भारतीय खेल सितारे जश्न मनाने का ऐसा ही मौका बार-बार देंगे और आनेवाले कल पर अपना नाम लिखेंगे.