#KuchhPositiveKarteHain: Velu Nachiyar - 1857 नहीं थी स्वतंत्रता की पहली क्रांति, एक भारतीय वीरांगना ने 1780 में लिया था लोहा और हराया था अंग्रेजों को!
By मोहित सिंह | Published: April 28, 2018 08:24 AM2018-04-28T08:24:15+5:302018-05-11T15:59:45+5:30
रानी वेलु नचियार, 18वीं शताब्दी में शिवगंगा की इस वीरांगना और राज्य की रानी ने इतिहास में पहली बार लड़ी थी अंग्रेजों के ख़िलाफ़ जंग, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के जन्म से भी बहुत पहले।
वेलु नचियार (Velu Nachiyar) रामनाथपुरम राज्य के राजा Chellamuthu Sethupathy और रानी Sakandhimutha की एकलौती बेटी थीं. कुल में कोई भी बेटा ना होने की वज़ह से वेलु नचियार (Velu Nachiyar) का पालन पोषण बिलकुल राजकुमारों की तरह किया गया. उन्होंने बचपन से ही घुड़सवारी, तीरंदाज़ी, तलवारबाज़ी और मार्शल आर्ट्स (Valari, Silambam -fighting using stick) की विधिवत शिक्षा ली और कुछ ही सालों में इन विधाओं में राजकुमारी Velu Nachiyar पारंगत हो गयीं।
अस्त्र – शस्त्र के साथ ही वेलु नचियार (Velu Nachiyar) ने भाषाओं की भी शिक्षा ली और फ्रेंच, इंग्लिश और उर्दू में वो कुशल हो गयीं। उनका विवाह शिवगंगा के राजा Muthuvaduganathaperiya Udaiyathevar और उनको एक पुत्री की प्राप्ति हुई.
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अंग्रेज सैनिको ने अरकोट के नवाब पुत्र के साथ मिलकर उनके पति की हत्या कर दी और वेलु नचियार (Velu Nachiyar) को अपनी मासूम बेटी के साथ 8 वर्षों तक Dindigul के पास Virupachi में हैदर अली के आश्रय में छुपना पड़ा. इन वर्षों में वेलु नचियार (Velu Nachiyar) ने अपनी खुद की सेना गठित की और गोपाला नायकर एवं हैदर अली के साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
सन 1780 में वेलु नचियार (Velu Nachiyar) ने ना सिर्फ़ अंग्रेज सेना से लोहा लिया बल्कि उनको ज़बरदस्त शिक़स्त भी दी. वेलु नचियार (Velu Nachiyar) ने ही इतिहास में पहली बार मानव बम बनाया और उसके द्वारा अंग्रेजो को तबाह किया। वेलु नचियार (Velu Nachiyar) को जब अंग्रेजों के बारूद के ठिकाने का पता चला तो उन्होंने अपनी एक बेहद विश्वासपात्र सेविका Kuyili को उसे नष्ट करने का आदेश दिया। Kuyili ने अपने आप को तेल में डुबा कर जला लिया और बारूद के ठिकाने को ख़त्म करने के लिये खुद के प्राणों की आहूति दे दी.
वेलु नचियार (Velu Nachiyar) ने अपनी दत्तक पुत्री के नाम पर एक महिला सेना का भी निर्माण किया जिसका नाम ‘उदईयाल (udaiyaal)’ रखा गया. वेलु नचियार (Velu Nachiyar) उन बहुत ही कम शासकों में एक थी जिन्होंने ना तो सिर्फ अपने राज्य को दोबारा पाया बल्कि 10 वर्षों तक शासन भी किया।
वेलु नचियार पहली महिला क्रांतिकारी रानी थीं जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी. वो देश की पहली क्रांतिकारी थीं, 1857 कि सेना के बगावत जिसे देश की पहली क्रांति माना जाता है, से बहुत पहले ही उन्होंने अंग्रेजों को दी थी मात. लेकिन वो रह गयीं गुमनाम, इतनी कि किसी को भी नहीं है उनके मौत की ख़बर।