ललित गर्ग का ब्लॉग: बेरोजगारी का बढ़ते जाना देश की सबसे बड़ी चिंता का कारण

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: April 22, 2019 11:21 AM2019-04-22T11:21:52+5:302019-04-22T11:21:52+5:30

देश के लोग बेरोजगारी को लेकर सबसे ज्यादा परेशान पाए गए, हालांकि आर्थिक और राजनीतिक भ्रष्टाचार की चिंता भी उन्हें परेशान किए हुए है. हमारे देश में सरकारी मशीनरी एवं राजनीतिक व्यवस्थाएं सभी रोगग्रस्त हैं. वे अब तक अपने आपको सिद्धांतों और अनुशासन में ढाल नहीं सके.  

Lalit Garg's blog: Growing unemployment is the cause of the country's biggest concern. | ललित गर्ग का ब्लॉग: बेरोजगारी का बढ़ते जाना देश की सबसे बड़ी चिंता का कारण

2017-18 में बेरोजगारी की दर 6.1 प्रतिशत तक पहुंच गई जो पिछले 45 साल का सर्वोच्च स्तर है. 

Highlightsरोजगार की फिक्र  भारत में सबसे ऊपर होने की पुष्टि अन्य सर्वेक्षणों से भी हुई है.पिछले ही महीने प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट में 76 प्रतिशत वयस्कों ने बेरोजगारी को बहुत बड़ी समस्या बताया था.

ब हुराष्ट्रीय मार्केट रिसर्च कंपनी इप्सॉस के द्वारा कराया गया सर्वेक्षण ‘व्हॉट वरीज दि वर्ल्ड ग्लोबल सर्वे’ का निष्कर्ष विभिन्न देशों की जनता की अलग-अलग चिंताओं को उजागर करता है. जहां तक भारत का प्रश्न है तो यहां बीते मार्च में किए गए सर्वे में ज्यादातर लोगों ने यह तो माना कि सरकार की नीतियां सही दिशा में हैं, लेकिन आतंकवाद की चिंता उन्हें सबसे ज्यादा सता रही थी. उसके बाद देश के लोग बेरोजगारी को लेकर सबसे ज्यादा परेशान पाए गए, हालांकि आर्थिक और राजनीतिक भ्रष्टाचार की चिंता भी उन्हें परेशान किए हुए है. हमारे देश में सरकारी मशीनरी एवं राजनीतिक व्यवस्थाएं सभी रोगग्रस्त हैं. वे अब तक अपने आपको सिद्धांतों और अनुशासन में ढाल नहीं सके.  

इप्सॉस का ऑनलाइन सर्वे 28 देशों के 65 वर्ष से कम आयु के लोगों के बीच किया गया, जिसमें बाजार की दृष्टि से महत्वपूर्ण इन मुल्कों के औसतन 58 प्रतिशत नागरिकों ने माना है कि उनका देश नीतियों के मामले में भटक-सा गया है. ऐसा सोचने वालों में सबसे ज्यादा दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, फ्रांस, तुर्की और बेल्जियम के लोग हैं. आर्थिक और राजनीतिक भ्रष्टाचार, गरीबी और सामाजिक असमानता ज्यादातर मुल्कों में बड़े मुद्दे हैं. बेरोजगारी, अपराध, हिंसा और स्वास्थ्य संबंधी चिंता इनके बाद ही आती है. अपनी सरकार में सबसे ज्यादा विश्वास चीन के लोगों का है. वहां दस में नौ लोग अपनी सरकारी नीतियों की दिशा सही मानते हैं. 

इस नियमित सर्वेक्षण पर तात्कालिक घटनाओं का काफी असर रहता है. जैसे भारत में इस बार का सर्वे पुलवामा हमले के बाद किया गया तो इस पर उस हादसे की छाया थी लेकिन देश के पिछले सर्वेक्षणों को देखें तो आतंकवाद का स्थान यहां की चिंताओं में नीचे रहा है और बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या के तौर पर देखी जाती रही है.

रोजगार की फिक्र  भारत में सबसे ऊपर होने की पुष्टि अन्य सर्वेक्षणों से भी हुई है. विकास की वर्तमान अवधारणा और उसके चलते फैलती बेरोजगारी को राजनेताओं ने लगभग भुला-सा दिया है, लेकिन ये ही ऐसे मसले हैं जिनके जवाब से कई संकटों से निजात पाई जा सकती है. पिछले ही महीने प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट में 76 प्रतिशत वयस्कों ने बेरोजगारी को बहुत बड़ी समस्या बताया था.

दरअसल भारत में सरकार का आकलन कई मुद्दों को लेकर किया जा रहा है, लिहाजा ज्यादातर लोगों का भरोसा उसकी नीतियों पर बना हुआ है. लेकिन इस बात पर प्राय: आम सहमति है कि वह रोजगार के मोर्चे पर विफल रही है. एक तबका एनएसएसओ के हवाले से कहता है कि 2017-18 में बेरोजगारी की दर 6.1 प्रतिशत तक पहुंच गई जो पिछले 45 साल का सर्वोच्च स्तर है. 

Web Title: Lalit Garg's blog: Growing unemployment is the cause of the country's biggest concern.

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