रमेश ठाकुर का ब्लॉगः मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने की दरकार

By रमेश ठाकुर | Published: October 10, 2020 03:03 PM2020-10-10T15:03:39+5:302020-10-10T15:03:39+5:30

अवसाद में इंसान के मन में कुछ ऐसे विचार उत्पन्न होने लगते हैं जब वह खुद से स्नेह करना छोड़ देता है. जीवन और दुनिया को व्यर्थ समझने लगता है. ऐसी स्थिति में इंसान आत्महत्या की ओर बढ़ जाता है. विश्व के मुकाबले हिंदुस्तान में मनोरोगियों की स्थिति बहुत खराब है. संसार की कुल पंद्रह फीसदी मनोरोगियों की आबादी भारत में है.

world mental health day 2020: Need to strengthen mental health services | रमेश ठाकुर का ब्लॉगः मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने की दरकार

प्रतीकात्मक तस्वीर

भागदौड़ भरे जीवन में मानसिक सेहत को संभाले रखना हम सबके लिए बड़ी चुनौती है. अन्य मुल्कों के मुकाबले हमारा मेंटल इंफ्रास्ट्रक्चर कमजोर है. दरकार उसे सुदृढ़ करने की है. मनोरोगियों की संख्या न सिर्फ भारत में बढ़ रही है, बल्कि समूचे संसार में युद्धस्तर पर बढ़ रही है. बीते आठ-दस महीनों से दुनिया वैश्विक महामारी कोविड-19 से जूझ रही है जिसने इंसान की मानसिक सेहत को और गड़बड़ा दिया है. कुल मिलाकर मेंटल इश्यू हम सबके माथों पर चिंता की लकीरें खींच रहा है. डब्ल्यूएचओ की मानें तो कोरोना संकट में मनोरोगियों की संख्या में अप्रत्याशित इजाफा हुआ है. कोरोना काल में लोगों के काम-धंधे, रोजगार के साधन व जीवन-यापन जैसी जरूरतों पर प्रत्यक्ष रूप से संकट आ जाने के चलते मानसिक सेहत बिगड़ी है.

दस अक्तूबर यानी आज के दिन समूचे विश्व में मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के संबंध में जन मानस को जागरूक करना और मानसिक बीमारियों से बचने के प्रयासों को बताना होता है. ये दिवस इस बात पर भी जोर देता है कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए और क्या किए जाने की हमें जरूरत है. अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की हालिया रिपोर्ट बताती है कि दुनिया में हर दसवां व्यक्ति कोरोना संकट में किसी न किसी रूप से मानसिक बीमारी से ग्रस्त हुआ है. मानसिक बीमारी लोगों को आत्महत्या करने को उकसाने लगी है. 

पूर्व केसों के मुकाबले लॉकडाउन में पूरे विश्व में सर्वाधिक केस सुसाइड के दर्ज हुए. आत्महत्या सिर्फ आम इंसान नहीं कर रहे, खास लोगों की संख्या भी बढ़ी है. बीते तीन महीनों से अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत का मामला चर्चा में है ही, इसके अलावा हाल ही में सीबीआई के एक पूर्व निदेशक की आत्महत्या ने समाज के भीतर नई बहस छेड़ दी है. संपन्न व्यक्ति का भी मानसिक स्वास्थ्य इस कदर बिगड़ रहा है जिससे वह मौत को गले लगाने लगा है.

आत्महत्या को किसी भी रूप में उचित नहीं ठहराया जा सकता. विश्व स्वास्थ्य संगठन हमेशा से हमें मानसिक सेहत को चंगा रखने को कहता आया है. बिलावजह की टंेशन नहीं लेनी चाहिए, मन में उत्पन्न होने वाले विकारों को अपने परिचितों से शेयर करना चाहिए. जिंदगी को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए, उसमें अपना और अपने चाहने वालों का हस्तक्षेप होते रहना चाहिए. जब अपना कोई अवसाद से घिर जाए तो उसे अकेला नहीं छोड़ना चाहिए, उस वक्त उसे हमारी सबसे ज्यादा जरूरत होती है. हालांकि अवसाद की अवस्था में वह हमसे दूरी बनाएगा, लेकिन हमें दूरी नहीं बनानी चाहिए. 

अवसाद में इंसान के मन में कुछ ऐसे विचार उत्पन्न होने लगते हैं जब वह खुद से स्नेह करना छोड़ देता है. जीवन और दुनिया को व्यर्थ समझने लगता है. ऐसी स्थिति में इंसान आत्महत्या की ओर बढ़ जाता है. विश्व के मुकाबले हिंदुस्तान में मनोरोगियों की स्थिति बहुत खराब है. संसार की कुल पंद्रह फीसदी मनोरोगियों की आबादी भारत में है. ये संख्या लगातार बढ़ रही है. सन 2017 में केंद्र सरकार को संसद में मानसिक स्वास्थ्य बिल भी लाना पड़ा. बाकायदा सभी सदस्यों की हामी से इसे पारित किया गया. स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि तेजी से बढ़ती मानसिक बीमारी पर काबू करने के लिए विशेष एक्ट की भी जरूरत आन पड़ी.

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर विश्व के सभी देशों की सरकारों को इस क्षेत्न में मुकम्मल सिस्टम स्थापित करने के अलावा मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल यानी मनोचिकित्सक, क्लिनिकल साइकोलोजिस्ट और मनोवैज्ञानिक कार्यकर्ता को बढ़ावा देने के लिए जागरूक करना होगा. ये सेवाएं हर जगह उपलब्ध नहीं हैं. अस्पतालों में मनोचिकित्सा विभागों की कमी है. मनोरोग को काबू में करने के लिए स्वास्थ्य सिस्टम में अमूलचूल परिवर्तन लाना होगा. 

अलग से विशेष मेडिकल दस्ते की स्थापना करनी होगी. मेंटल केसों को हैंडल करने में अभी जो चिकित्सक लगाए जाते हैं, उन्हें मानसिक बीमारियों के संबंध में उपयुक्त जानकारियां नहीं होतीं. हिंदुस्तान में पचास हजार से अधिक मनोचिकित्सकों की मांग है, जबकि इस वक्त मात्न चार हजार के आसपास मनोचिकित्सक हैं. भारत में आबादी के 9 फीसदी लोग दिमागी मरीज हैं. ऐसे में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने की सख्त जरूरत है.

Web Title: world mental health day 2020: Need to strengthen mental health services

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