अवधेश कुमार का ब्लॉग: विश्व संस्थाओं ने पाकिस्तान को पहुंचाया आघात
By अवधेश कुमार | Published: September 22, 2019 06:43 AM2019-09-22T06:43:00+5:302019-09-22T06:43:00+5:30
यूरोपीय संघ में हुई पूरी बहस को गौर से देखें तो उसमें बहुमत ने भारत द्वारा अनुच्छेद 370 को हटाने का समर्थन किया है. एक सांसद ने तो यहां तक कहा कि हम बहुत सारी बात कर रहे हैं लेकिन यह क्यों नहीं सोचते कि 370 हटाने के साथ जम्मू-कश्मीर के लोगों को सारे मानवाधिकार प्राप्त होंगे जो हमें प्राप्त हैं.
पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जिस ढंग से बड़े आघात लगे हैं, अगर वह एक परिपक्व देश होता, उसकी कूटनीति, उसके राजनीतिक नेतृत्व में समझ होती तो वह कश्मीर को लेकर यहां से व्यवहार के स्तर पर एक दूसरा मोड़ ले सकता था. लगता नहीं है कि ये धक्के भी पाकिस्तान को अपनी नीतियों की समीक्षा करने और व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए विवश कर सकेंगे. वह परिवर्तन के लिए किंचित भी तैयार नहीं है. हालांकि पाकिस्तान को यह कल्पना भी नहीं रही होगी कि यूरोपीय संघ की संसद जम्मू-कश्मीर मामले पर बहस करते हुए पूरी तरह उसके खिलाफ चली जाएगी.
स्ट्रासबर्ग में यूरोपीय संघ ने 11 साल बाद जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर चर्चा अवश्य की लेकिन उसने भारत का समर्थन किया और पाकिस्तान के आतंकवाद की तीखी निंदा की. यह एक अभूतपूर्व स्थिति थी. पोलैंड की ओर से यूरोपीय संघ के सांसद रिसजार्ड जार्नेकी ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे महान लोकतंत्न है. हमें भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य में होने वाली आतंकवादी घटनाओं पर गौर करने की जरूरत है. पोलैंड में पाकिस्तान को लेकर कितनी नाराजगी है इसका प्रमाण जार्नेकी की इस टिप्पणी से मिलता है जिसमें उन्होंने कहा कि आतंकवादी चांद से नहीं आते हैं, पड़ोसी देश पाकिस्तान से ही आ रहे हैं. ऐसे में हमें भारत का समर्थन करना चाहिए.
यह कोई साधारण वक्तव्य नहीं है. यह पूरी तरह पाकिस्तान के विरोध में भारत के साथ खड़े होने की घोषणा है. यूरोपीय संघ के एक दूसरे सांसद इटली के नेता फुलवियो मार्तुसिलो ने कहा कि पाकिस्तान नाभिकीय हथियारों का इस्तेमाल करने की धमकी दे रहा है. पाकिस्तान ही है जहां आतंकवादी साजिश रचकर यूरोप में हमलों को अंजाम देते हैं. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को सुधारने की जरूरत है. यूरोपीय संघ की लेबर सदस्य नीना गिल ने तो कहा कि कश्मीर समस्या का समाधान इस सदन में नहीं हो सकता. इसका समाधान तभी हो सकता है जब पाकिस्तान के राज्य प्रायोजित आतंकवाद और वैश्विक स्तर पर गलत सूचना का अंत हो और उसके बाद बातचीत हो.
यूरोपीय संघ में हुई पूरी बहस को गौर से देखें तो उसमें बहुमत ने भारत द्वारा अनुच्छेद 370 को हटाने का समर्थन किया है. एक सांसद ने तो यहां तक कहा कि हम बहुत सारी बात कर रहे हैं लेकिन यह क्यों नहीं सोचते कि 370 हटाने के साथ जम्मू-कश्मीर के लोगों को सारे मानवाधिकार प्राप्त होंगे जो हमें प्राप्त हैं. जरा सोचिए, पाकिस्तान के प्रधानमंत्नी इमरान खान कह रहे हैं कि 27 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र में दुनिया के सारे नेताओं को बताएंगे. भाई साहब, क्या बताएंगे? आपके बताने के पहले ही यूरोपीय संघ ने बहस करके अपना मंतव्य स्पष्ट कर दिया, मानवाधिकार परिषद में आपने मुंह की खाई, अब संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने स्वयं कह दिया है कि हम चाहते तो हैं कि वहां मानवाधिकारों की रक्षा हो, दोनों मिलकर बात करें. संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटारेस ने एक पाकिस्तानी पत्नकार द्वारा पूछे गए प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि हम तभी वहां आ सकते हैं, जब दोनों सहमत हों.
पिछले दिनों भारत के विदेश मंत्नी एस. जयशंकर ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर हमारा भाग है और एक दिन वह हमारे अधीन होगा. अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं से और अलग-अलग देशों के साथ भारत ने जो कूटनीतिक संपर्क किया है उसमें मिली हुई प्रतिक्रि याएं ज्यादातर हमारे अनुकूल हैं या कम से कम हमारे प्रतिकूल नहीं है. यह भारतीय कूटनीति की स्पष्ट सफलता है.