ब्लॉग: गांवों में स्वास्थ्य सुविधाओं की दरकार
By रमेश ठाकुर | Published: April 7, 2023 03:17 PM2023-04-07T15:17:57+5:302023-04-07T15:21:11+5:30
स्वास्थ्य पर केंद्र के आंकड़ों पर गौर करें तो हिंदुस्तान में करीब ढाई लाख सरकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं जिनमें 750 जिला अस्पताल और 550 मेडिकल कॉलेजों का नेटवर्क है। बावजूद इसके भारी कमी महसूस होती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) इस बार खास थीम ‘हेल्थ फॉर ऑल’ के साथ ‘विश्व स्वास्थ्य दिवस-2023’ मना रहा है। मकसद है कि स्वास्थ्य जैसे मसलों की समीक्षा और संपूर्ण चिकित्सा तंत्र को जागरूक किया जाए। इस क्षेत्र में जो कमियां-खामियां उभरकर आई हैं उन्हें बिना देर किए सुलझाने की जरूरत है।
स्वास्थ्य सेवाओं में बदलाव और सुधार की दरकार बहुत पहले से महसूस हो रही है। केंद्र व राज्य सरकारों को प्रत्येक स्तर पर स्वास्थ्य को प्राथमिकताओं में शुमार करना चाहिए और सबसे जरूरी बात, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में रिक्त पदों को भरना चाहिए।
नए अस्पताल खोलने की जरूरत तो है ही, जहां प्रिवेंटिव व प्रोमोटिव हेल्थ सुविधाएं आसानी से जरूरतमंद मरीजों को मिलें। विडंबना देखिए, छोटे-छोटे ऑपरेशन भी ग्रामीण अस्पतालों में नहीं किए जाते, जिसके लिए मरीजों को दूर शहरों में भागना पड़ता है।
स्वास्थ्य विस्तार को शहरी क्षेत्रों की तरह ग्रामीण अंचलों में भी फैलाना होगा। वहां, चिकित्सकों, दवाओं, अस्पतालों, नर्स, स्टाफ आदि का आज भी अभाव है। आदिवासी व नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के दूरदराज गांवों में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है।
कई बार तो वहां बिजली के अभाव में मोबाइल की रोशनी में इलाज करते हैं डॉक्टर। स्वास्थ्य पर केंद्र के आंकड़ों पर गौर करें तो हिंदुस्तान में करीब ढाई लाख सरकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं जिनमें 750 जिला अस्पताल और 550 मेडिकल कॉलेजों का नेटवर्क है। बावजूद इसके भारी कमी महसूस होती है।