महिलाओं की भागीदारी हर क्षेत्र में बढ़ी, लड़कियां हर मामले में आगे, हर क्षेत्र में परचम

By डॉ उदित राज | Published: October 11, 2021 04:08 PM2021-10-11T16:08:26+5:302021-10-11T16:15:53+5:30

अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली ने विशेष अवसर दिया, जिसमें लड़के और लड़की दोनों को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार मिला है.

Women's participation increased every field girls ahead respect Overall bright future | महिलाओं की भागीदारी हर क्षेत्र में बढ़ी, लड़कियां हर मामले में आगे, हर क्षेत्र में परचम

कक्षा में सुरक्षित और समान माहौल तो मिलता ही है घर में भी इसलिए ऐसा हो पा रहा है. (file photo)

Highlightsमहिलाओं की भागीदारी और नौकरशाही में बहुत तेजी से बढ़ी है. आयकर विभाग की संरचना भी ऐसी है कि महिला अधिकारियों की प्रतिभा को फलने-फूलने का अवसर देता है. गत कई वर्षों से हाईस्कूल और इंटरमीडिएट का परिणाम देखें तो लड़कियां लड़कों से बेहतर कर रही हैं.

आधुनिकता का एक बहुत बड़ा योगदान ये है कि महिलाओं की भागीदारी विभिन्न क्षेत्र में बढ़ी है. एक समय था कि महिलाओं की जिम्मेदारी चूल्हा-चौका, घरेलू काम तक सीमित था और जब तक यह था.

देश विकास की इस ऊंचाई को नहीं छू सका था. अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली ने विशेष अवसर दिया, जिसमें लड़के और लड़की दोनों को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार मिला है. गुरु- शिष्य परम्परा में कोई बिरला ही उदाहरण देखने को मिलता है, जहाँ स्त्री को शिक्षा दिया गया हो.

स्वाभाविक है कि जब महिलाओं की जिम्मेदारी घर संभालने की थी तो शिक्षा के जगत में जाने की संभावना न के बराबर हो जाती है. महिलाओं की भागीदारी और नौकरशाही में बहुत तेजी से बढ़ी है. आयकर विभाग को ही देख लें तो प्रत्यक्ष आयकर केन्द्रीय परिषद में एक समय चेयर पर्सन से लेकर सारे सदस्य महिला थीं.

ये साबित ना हो सका कि इनके नेतृत्व में आयकर विभाग राजस्व इकट्ठा करने से लेकर प्रशासनिक स्तर पर कमतर रहा हो. आयकर विभाग की संरचना भी ऐसी है कि महिला अधिकारियों की प्रतिभा को फलने-फूलने का अवसर देता है. कुछ विभाग ऐसे हैं जहाँ कि दूर दराज के इलाकों में और विपरीत परस्थितियों में काम करना पड़ता है लेकिन आयकर विभाग में ऐसा नहीं है.

आयकर विभाग को एक उदाहरण मानकर के यह सिद्ध किया जा सकता है कि अवसर मिलने पर महिलाओं का योगदान पुरुष से कम नहीं होता है. गत कई वर्षों से हाईस्कूल और इंटरमीडिएट का परिणाम देखें तो लड़कियां लड़कों से बेहतर कर रही हैं. पढ़ाई-लिखाई और परीक्षा लड़के- लड़कियों दोनों के लिए लगभग एक जैसा वातावरण होता है इसलिए लड़कियां बेहतर ही कर जाती है.

कक्षा में सुरक्षित और समान माहौल तो मिलता ही है घर में भी इसलिए ऐसा हो पा रहा है. फर्क तब पड़ता है जब माहौल में अंतर रहता है. विकास और तरक्की करने के लिए घर से बाहर निकालना ही पड़ता है और यही से अवरोध उत्पन्न होने लगते हैं. बाहर सुरक्षा का भय बना रहता है . गलती न होने पर भी रीति रिवाज कि आड़ में दोषी ठहराया जाता है .

औरतों का काम बाहर का नहीं होना चाहिए . घर वाले भी रोकने का प्रयास करते हैं कि इससे खानदान कि इज्जत पर ऊँगली उठती है . बाहर किसी भी क्षेत्र में जैसे स्वास्थ्य बाजार सेवा, कृषि आदि में पुरुषवादी मानसिकता से तो टकराव होना निश्चित है. और वही प्रतिभा प्रदर्शन पर रोक लग जाती है. अभी भी पितृसत्तात्मक सोच से ऊपर लोग नहीं उठ पाए हैं, इसलिए महिला के निर्देशन या मातहत काम करने में पुरुष असहज महसूस करते हैं. पुरुष समाज स्वतः महिलाओं को बढ़ने के लिए रास्ता नहीं देगा जबतक कि महिलाएं स्वयम प्रयास न करें .

तमाम बाधाओं के बावजूद स्त्रियों ने बहुत लम्बी यात्रा तय कर ली है. क्या कभी उन्नीसवीं शताब्दी में प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति या उसके समक्ष ओहदे पर महिला हो सकती थी भारतीय संविधान और तमाम कानून अगर आज भी न हो तो इनकी स्थिति पिछली सदी जैसी होगी. भारतीय दंड संहिता, भारतीय साक्ष्य संहिता जैसे कानून न हो तो एक कदम भी आगे नहीं रख सकती.

कुछ कानून का भय और कुछ समय अंतराल पुरुष सोच में बदलाव की वजह से महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति बना चुकी है. विकसित देशों कि तुलना में अभी भी महिलाओं का उत्पादन, शिक्षा, स्वास्थ्य , विज्ञान, तकनीक में भागीदारी कम है.

वर्तमान में भी वीमेन लेबर फ़ोर्स रेट भारत में बाइस फीसदी है, जो कि बहुत कम है. भूमंडलीकरण से बहुत ताकत मिली है इधर भागीदारी बढ़ी है . कुल मिलाकर के भविष्य उज्जवल है क्यूंकि पूरी दुनिया तकनीक की वजह से एक गाँव बनता जा रहा है.

Web Title: Women's participation increased every field girls ahead respect Overall bright future

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