विजय दर्डा का ब्लॉग: बिजनेस में महिलाओं की ऊंची उड़ान..!

By विजय दर्डा | Published: November 14, 2022 07:33 AM2022-11-14T07:33:35+5:302022-11-14T07:33:35+5:30

फोर्ब्स की एशियाई पावर बिजनेसवुमन की सूची में तीन भारतीय महिलाओं को शामिल किया जाना हम सबके लिए गौरव की बात है. हमारी बेटियां अपने बलबूते ऊंची उड़ान भर रही हैं. इतिहास गवाह है कि भारतीय महिलाओं में गजब की समझदारी, अपार शक्ति और लाजवाब नेतृत्व क्षमता होती है. मुद्दा केवल इतना है कि उन्हें मौका मिलना चाहिए.

Women power India, forbes list included three Indian women in list of twenty Asian Power Businesswomen | विजय दर्डा का ब्लॉग: बिजनेस में महिलाओं की ऊंची उड़ान..!

भारतीय महिलाओं की ऊंची उड़ान

अमेरिकी बिजनेस मैगजीन फोर्ब्स ने अपने ताजा अंक में बीस एशियाई पावर बिजनेसवुमन की सूची में तीन भारतीय महिलाओं को भी शामिल किया है. फोर्ब्स मैगजीन की किसी भी सूची में शामिल होना किसी के लिए भी गौरव की बात होती है. 1917 में इसका प्रकाशन शुरू हुआ था और साल में इसके आठ अंक निकलते हैं. फोर्ब्स ने तीन वर्षों तक (2019, 2020 और 2021 में) भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को विश्व की 100 प्रभावशाली महिलाओं की सूची में शामिल किया था.

बहरहाल, 2022 की एशियाई पावर बिजनेसवुमन सूची में जिन तीन भारतीय महिलाओं को शामिल किया गया है उनमें स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) की चेयरपर्सन सोमा मंडल, एमक्योर फार्मा की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर नमिता थापर और होनासा कंज्युमर की को-फाउंडर और चीफ इनोवेशन ऑफिसर गजल अलघ शामिल हैं. खास बात यह है कि इस सूची में केवल उन्हीं महिलाओं को जगह दी गई है जिन्होंने कोविड-19 महामारी के कारण पैदा हुई विषम परिस्थिति के बावजूद अपने कारोबार को बढ़ाने में सफलता हासिल की. 

उल्लेखनीय बात है कि सोमा मंडल सेल की पहली महिला फंक्शनल डायरेक्टर के अलावा पहली महिला चेयरपर्सन भी हैं. सोमा मंडल, नमिता थापर और गजल अलघ ने अपनी दूरदर्शिता के कारण अत्यंत कठिन दौर में सफलता की नई इबारत लिखी. निश्चय ही यह हम सबके लिए गौरव की बात है. 

इसके पहले फोर्ब्स इंडिया हेमलता अन्नामलाई (एम्पियर इलेक्ट्रिक), फाल्गुनी नायर (नायका), अदिति गुप्ता (मेंस्ट्रूपीडिया), किरण मजुमदार शॉ (बायोकॉन इंडिया), वाणी कोला (कल्लारी कैपिटल), राधिका अग्रवाल (शॉपक्लूज) और शुचि मुखर्जी (लाइमरोड), रोशनी नदार मल्होत्रा सहित कई महिलाओं को अपनी सूची में शामिल करता रहा है.  और भी कई सारे नाम हैं जिन्होंने सफलता की ऊंची उड़ान भरी है.

इतिहास के पन्नों पर नजर डालें तो भारत की बेटियों ने हर काल में सफलता के परचम लहराए हैं. अपनी बहादुरी के लिए मशहूर राजा पृथ्वीराज चौहान ने अपने वक्त में नारी के सम्मान और शक्ति की बात की. अहिल्याबाई होल्कर, रानी लक्ष्मीबाई या फिर रजिया सुल्तान के शासनकाल को हम सब जानते ही हैं. आजादी के बाद का जिक्र करें तो इंदिरा गांधी को कौन भूल सकता है जिन्होंने एक बड़ी लड़ाई लड़ी और एक नए देश का निर्माण कर दिया. 

आज की बात करें तो हमारी बेटियां अंतरिक्ष, विज्ञान और टेक्नोलॉजी से लेकर ओलंपिक तक नई कहानियां लिख रही हैं. दुनिया की बड़ी कंपनियों में श्रेष्ठ पदों पर अपना दमखम दिखा रही हैं. वह समय भी आएगा जब भारत की थल सेना, वायु सेना और नेवी की कमान भी महिलाओं के हाथ में होगी. सीडीएस कोई महिला होगी! सन् 2050 तक हम दुनिया की तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति बन चुके होंगे और इसमें महिलाओं की भूमिका सबसे बड़ी होगी. खास बात यह है कि महिलाएं अपनी संस्कृति के साथ आगे बढ़ेंगी. ध्यान रखिए कि लिबास बदलने से संस्कृति नहीं बदलती. संस्कृति तो आंतरिक शक्ति है.  

आंकड़े बताते हैं कि देश के सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) में 18 प्रतिशत से ज्यादा उद्यम महिलाओं द्वारा संचालित हैं. इन 18 प्रतिशत उद्यमों में 23 प्रतिशत से ज्यादा वर्कफोर्स काम कर रहा है. आपकी जानकारी के लिए याद दिला दें कि देश की जीडीपी में एमएसएमई का योगदान 29 प्रतिशत से ज्यादा हो चुका है. नेशनल सैंपल सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि देश के विभिन्न राज्यों में जो व्यावसायिक प्रतिष्ठान हैं उनमें महिलाओं की कुल हिस्सेदारी अभी भी 14 प्रतिशत से ज्यादा नहीं है. इनमें भी पूर्वोत्तर और दक्षिणी भारत की महिलाएं आगे हैं. 

देश के अन्य राज्यों में व्यावसायिक प्रतिष्ठान महिलाओं के हाथ में कम ही हैं. इस परिदृश्य को बदलना जरूरी है. मनमोहन सिंह जब वित्त मंत्री थे और जब देश को बाजार के अनुरूप ढाला जा रहा था तब उसमें महिलाओं के लिए भी नीतियां निर्धारित की गईं. प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने भी महिलाओं की कार्यक्षमता के उपयोग को चिन्हित किया और नीतियों को उसके अनुरूप ढाला गया है. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड यानी सेबी ने नियम बना दिया है कि प्रत्येक सूचीबद्ध कंपनी में एक महिला डायरेक्टर का होना अनिवार्य है. 

इससे कंपनियों में महिलाओं की संख्या बढ़ी तो है मगर इसे उनकी संपूर्ण सहभागिता के रूप में नहीं देखा जा सकता. सवाल है कि ऐसी सभी महिलाएं क्या अपने अधिकार का उपयोग कर पा रही हैं? मैं ऐसी कई बिजनेसवुमन को जानता हूं जिन्होंने अपने अधिकार का उपयोग किया है और कंपनी को विस्तार दिया है लेकिन सब जगह ऐसे हालात नहीं हैं.

मैं यहां एक बात का जिक्र जरूर करना चाहूंगा कि अमेरिका और जापान जैसे विकसित देश में नेतृत्व के सर्वोच्च शिखर पर कोई महिला नहीं पहुंच पाई है लेकिन हमारे यहां तो प्रतिभा देवी पाटिल, द्रौपदी मुर्मु राष्ट्रपति और इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री जैसे पद पर पहुंचीं. कभी हमारा अंग रहे पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी महिलाएं नेतृत्व के शिखर पर पहुंची हैं. मेरा मानना है कि महिलाओं में अपार शक्ति और नेतृत्व की विलक्षण क्षमता होती है. बल्कि पुरुषों से ज्यादा होती है. बात केवल मौके की है! 

आज देश में कई जगह लड़कियां स्कूल छोड़ने पर मजबूर हो जाती हैं. भ्रूण हत्या कम हुई है लेकिन यह कलंक मिटा नहीं है. महिलाओं के सामने जो बुनियादी समस्याएं हैं, उन्हें दूर करना होगा. महिलाएं जो इनोवेशन कर रही हैं, उन्हें मौका देना होगा. वुमन एंटरप्रेन्योरशिप इन इंडिया की रिपोर्ट कहती है कि महिलाओं में उद्यमशीलता को समग्र तौर पर मौका मिले तो रोजगार के पंद्रह से सत्रह करोड़ नए अवसर पैदा हो सकते हैं. ...और सबसे बड़ी बात कि पूरे समाज को अपनी रूढ़िवादी सोच को दरकिनार करना होगा. फिर देखिए...हमारी बेटियां कितनी ऊंची उड़ान भरती हैं...!

Web Title: Women power India, forbes list included three Indian women in list of twenty Asian Power Businesswomen

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