कहते हैं भगवान इस धरती पर नहीं आ सकते इसलिए उन्होंने मां को बनाया। मई के दूसरे रविवार को दुनियाभर में मदर्स डे को मनाया जाता है। हर एक बच्चा अपनी मां को इस दिन एक खास प्यार देता है। हर कोई अपनी मां को अपने तरीकों से प्यार बरसाने का काम करता है। ऐसे देखें तो इस भाग दौड़ भरी जिंदगी जिसमें इंसान के पास खुद के लिए भी आज समय नहीं तो ऐसे में अगर मां के नाम पूरा एक दिन दिया जाए तो उनकी ममता की मूर्त के लिए वह 24 घंटे पूरी जिंदगी की प्यार बन जाते हैं।
लेकिन पता नहीं मुझे थोड़ा अजीब लगता है बस 24 घंटे काफी हैं हमें 365 दिन देने वाली मां के लिए। दुनिया में एक अजीब प्रचलन सा चल रहा है जहां लोगों को किसी एक विशेष दिन में कैद होना पड़ रहा है। बीते दिनों मदर्स डे के कारण भारतीय बाजार में भी मां के नाम से रफ्तार आ गई है। गहने, कपड़े, मोबाइल सेट, मेकअप किट, किताबें, गानों की सीडी, फूल, मां के नाम के अक्षर से शुरू होने वाले कप, लॉकेट आदि को खरीदने के लिए एक बहाना मिल गया है। इसी बहाने बच्चे बाजार में भटक रहे हैं। उनकी दिलचस्पी देखते ही बनती है।
वो मां जिनको इनसे नवाजा जाता है वोभी मन में कहती होगी अच्छा अंग्रेजो के प्रचलन हमारे देश में भी आया वरना बच्चों के पास शायद एक दिन भी नहीं होता। जिस तरह से हफ्तों से मां के लिए इस दुविधा में फंसे हैं कि क्या तोहफा दे, किस प्रकार उन्हें खुश करें, कैसी चकित करने वाली पार्टी दें, इन सब तैयारियों में मां के साथ कितना समय वे बिताएंगे शायद यह मायने नहीं रखता है। बेहतर तो तब हो जब वो समय मां के ही दें ना कि तोहफो को।
मां की रोजाना खबर खैरियत लेते रहें तो शायद मदर्स डे की जरूरत न पड़े। सच तो यह है कि "मदर्स डे" का यह नजराना प्यार का नहीं बल्कि तकाजा है बाजार का। कमाल तो ये है कि जितना मां को विश नहीं किया होगा उससे ज्यादा तो सोशल मीडिया पर ज्ञान दे मारा गया है। जिसने ने ज्ञान दिया है उनमें से शायद 60 फीसदियों की मां सोशल मीडिया पर नहीं होगी। तो किसको बताया जा रहा है कि आपके लिए आपकी अम्मा सब कुछ हैं बाकियों को अरे जनाब मां दिखावे की चीज नहीं है। साल के 365 दिनों में से बस एक दिन हम अपनी माँ को देते हैं, जिसे पश्चिमी देशों में मदर्स डे के नाम से संबोधित किया जाता हैं।
मतलब की साल में से बस एक दिन हम अपनी माता हो देते है, उसको खूब लाड़ प्यार देते है तो साल के बाकी दिनों का क्या ? उनको कौन ले जाता हैं ? इस दुनिया में सिर्फ माँ ही एक है जो आपको इस दुनिया में लाने से पहले से प्रेम करती थी। जब माँ हमकों किसी स्पेशल दिन प्यार नहीं करती तो हम क्यों मदर्स डे का इन्तजार करें। ऐसे में बस एक बार सोच कर देखिये कि भारत की माताएँ भी अगर साल में एक बार ही सन डे या डाटर डे मनाने लगे तो ? तब आपको उनके असली दर्द का राज पता चलेगा लेकिन ये बस मेरा मानना है कि एक मां के लिए एक दिन भी कम होता है।