किताब छोड़ हथियार क्यों थाम रहा है कश्मीरी युवा?

By पुण्य प्रसून बाजपेयी | Published: February 20, 2019 06:00 PM2019-02-20T18:00:49+5:302019-02-20T18:00:49+5:30

हाफिद सईद (लश्कर-ए-तैयबा), मसूद अजहर (जैश-ए-मोहम्मद), सैयद सलाहुद्दीन (हिजबुल मुजाहिदीन) और जाकिर मूसा (अंसार गजवत-उल-हिंद). चार संगठन. चार चेहरे. और चारों की पहचान इस्लाम के बड़े स्कॉलर के तौर पर है

Why is the weapon left, leaving the book, Kashmiri youth? | किताब छोड़ हथियार क्यों थाम रहा है कश्मीरी युवा?

किताब छोड़ हथियार क्यों थाम रहा है कश्मीरी युवा?

हाफिद सईद (लश्कर-ए-तैयबा), मसूद अजहर (जैश-ए-मोहम्मद), सैयद सलाहुद्दीन (हिजबुल मुजाहिदीन) और जाकिर मूसा (अंसार गजवत-उल-हिंद). चार संगठन. चार चेहरे. और चारों की पहचान इस्लाम के बड़े स्कॉलर के तौर पर है अपने-अपने आतंकी संगठन में. इसलिए आत्मघाती हमले या फिदायीन हमले के लिए जिन्हें तैयार किया जाता है उन्हें हथियारों से ज्यादा ऐसा पाठ पढ़ाया जाता है जैसे हत्या या खूनी खेल के बाद इन्हें जन्नत नसीब होगी.

और कश्मीर में युवाओं को साथ लेने के लिए इन्हें ज्यादा मशक्कत इसलिए नहीं करनी पड़ रही है क्योंकि पहले गरीब और अशिक्षित तबके से फिदायीन को चुना जाता था, लेकिन जिस तरह के हालात कश्मीर घाटी में बनते चले जा रहे हैं उसमें हथियार के साथ किसी संगठन से जुड़ने को काबिलियत या समाज के भीतर एक तरह से मान्यता मिलने का आधार बनने लगा है. घाटी के 700 से ज्यादा युवा किसी न किसी आतंकी संगठन से जा जुड़े हैं. इसमें 60 फीसदी युवा पढ़ा-लिखा डिग्रीधारी है.

इनमें 150 से ज्यादा फिदायीन बनने को तैयार हैं. और इसी कतार में आदिल जो फिदायीन बन कर पुलवामा में हमला करता है वह पहले जाकिर मूसा के साथ जुड़ा था. लेकिन उसके बाद लाइन ऑफ कंट्रोल पार कर आतंकी ट्रेनिंग देने के लिए आए जैश के आतंकवादियों से मुलाकात के बाद आदिल जैश से जुड़ा और जानकारी के मुताबिक 5 फरवरी 2019 को ही आदिल को फिदायीन हमले का आदेश दे दिया गया था. लेकिन नया सवाल सिर्फ आदिल का नहीं बल्कि  बाकी तैयार होते फिदायीन का है.  

कश्मीर का संकट दोहरा है. पहला, आतंकवादियों की पहुंच कश्मीर के हर घर तक है. दूसरा, कश्मीर में कोई राजनीतिक सेफ्टी वाल्व भी नहीं है. यानी घाटी आने वाले दिनों में लहूलुहान होगी इससे इंकार किया नहीं जा सकता. लेकिन इसका लाभ आतंकवादी न उठा पाएं और सेना या राजनीतिक सत्ता को कश्मीरी युवा कैसे मदद दे इसका कोई सिस्टम घाटी में बचा ही नहीं है.

और घाटी में युवाओं की स्थिति क्या है ये इससे भी समझ सकते हैं कि जनवरी तक के हालात बताते हैं कि 16 इंजीनियर, 12 डॉक्टर, तीन पीएचडी कर चुके छात्न तक आतंक के रास्ते चले गए. 21 डिग्रीधारी आतंकी संगठन से जुड़े और 2017-18 में मारे जा चुके हैं. और कश्मीर कैसे मुख्यधारा से दूर होता गया ये आईएएस टॉपर रहे शाह फैसल से भी समझा जा सकता है जो आईएएस टॉप करने के बाद नौकरी छोड़ राजनीति में कूदने को तैयार हो जाते हैं जिससे कश्मीर के हालात को ठीक किया जा सके.

पर शाह फैसल भी राजनीति को कितना मथ पाएगा ये सवाल तो है क्योंकि सिर्फ आतंकवाद ही नहीं घाटी की सियासत भी खूनी रही है. और शाह फैसल के पिता की हत्या भी नब्बे के दशक में इसीलिए हो गई थी क्योंकि वह राजनीतिक कार्यकर्ता भी थे. 

Web Title: Why is the weapon left, leaving the book, Kashmiri youth?

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे