ब्लॉग: आवारा कुत्तों के आतंक से आखिर कब मिलेगी मुक्ति?

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: May 23, 2024 11:08 AM2024-05-23T11:08:04+5:302024-05-23T11:10:19+5:30

सरकार ने लोकसभा में आवारा कुत्तों के आतंक को लेकर जो आंकड़ा जारी किया था, उसके अनुसार वर्ष 2019 में देश में आवारा कुत्तों के काटने के मामले सर्वाधिक 72.77 लाख थे. अगले साल ये आंकड़ा कम होकर 46.33 लाख तक पहुंच गया था और फिर 2021 में और कम होकर 17 लाख पर आ गया था.

When will we finally get freedom from the terror of stray dogs? | ब्लॉग: आवारा कुत्तों के आतंक से आखिर कब मिलेगी मुक्ति?

ब्लॉग: आवारा कुत्तों के आतंक से आखिर कब मिलेगी मुक्ति?

Highlightsमौदा शहर में ही करीब दो हफ्ते पहले भी एक आवारा कुत्ते ने एक छोटे से विद्यार्थी पर हमला कर दिया था.करीब तीन हफ्ते पहले भोपाल में सड़क पर जा रहे एक बच्चे को आवारा कुत्ते ने काट लिया था, जिससे उसकी पीठ पर गहरा घाव हो गया.राजस्थान के जयपुर में करीब दो हफ्ते पहले आवारा कुत्तों ने दो महिलाओं सहित तीन लोगों को काट लिया था. 

नागपुर जिले के मौदा में आवारा कुत्तों के हमले में तीन वर्षीय एक बच्चे की मौत ने पिछले साल एक बड़े व्यवसायी पराग देसाई की मौत की याद ताजा कर दी है. 49 वर्षीय देसाई पर आवारा कुत्तों ने हमला कर दिया था, जिससे वे अपने घर के पास ही गिर पड़े थे. इससे सिर में लंबी चोट लगने के कारण उन्हें अंतत: अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था. 

उस समय भी आवारा कुत्तों के आतंक की खूब चर्चा हुई थी, मांग की गई थी कि आवारा कुत्तों की नसबंदी और उनकी आबादी पर नियंत्रण कानूनन अनिवार्य बनाया जाना चाहिए. इस समस्या के निराकरण के लिए कदम उठाए जाने की बड़ी-बड़ी बातें की गई थीं, लेकिन मौदा की घटना ने साबित कर दिया है कि आवारा कुत्तों का आतंक आज भी जस का तस है. आवारा कुत्तों का ताजा हमला कोई इकलौती घटना नहीं है. 

मौदा शहर में ही करीब दो हफ्ते पहले भी एक आवारा कुत्ते ने एक छोटे से विद्यार्थी पर हमला कर दिया था. करीब तीन हफ्ते पहले भोपाल में सड़क पर जा रहे एक बच्चे को आवारा कुत्ते ने काट लिया था, जिससे उसकी पीठ पर गहरा घाव हो गया. राजस्थान के जयपुर में करीब दो हफ्ते पहले आवारा कुत्तों ने दो महिलाओं सहित तीन लोगों को काट लिया था. 

तेलंगाना में तो एक हफ्ते पहले दिल दहला देने वाला मामला सामने आया, जिसमें एक आवारा कुत्ते ने पांच माह के बच्चे को नोंच-नोंच कर मार डाला. शायद ही कोई हफ्ता ऐसा बीतता होगा जब देश के किसी न किसी हिस्से से इस तरह की घटनाएं सामने न आती हों. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने पिछले साल दिसंबर में कहा था कि 2022 से 2023 तक कुत्ते के काटने की घटनाओं में साल-दर-साल 26.5 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है. 

सरकार ने लोकसभा में आवारा कुत्तों के आतंक को लेकर जो आंकड़ा जारी किया था, उसके अनुसार वर्ष 2019 में देश में आवारा कुत्तों के काटने के मामले सर्वाधिक 72.77 लाख थे. अगले साल ये आंकड़ा कम होकर 46.33 लाख तक पहुंच गया था और फिर 2021 में और कम होकर 17 लाख पर आ गया था. लेकिन 2022 में सिर्फ जुलाई महीने तक ही कुत्तों के काटने की 14.50 लाख घटनाएं सामने आ गईं. 

आवारा कुत्तों के काटने से होने वाले घाव से तो मौतें होती ही हैं, ज्यादातर आवारा कुत्तों का वैक्सिनेशन नहीं होने के कारण इनके काटने से लोगों में रेबीज की बीमारी भी हो रही है. एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल रेबीज की वजह से 20 हजार लोग अपनी जान गंवा रहे हैं. चिंता की बात यह भी है कि आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ती जा रही है. अनुमान है कि देश में इस समय साढ़े छह करोड़ से अधिक आवारा कुत्ते हैं. 

यह विडंबना ही है कि कुत्तों के काटने की जब कोई बड़ी घटना होती है तो कुछ समय के लिए इस पर ध्यान दिया जाता है और कुछ दिनों बाद सब पूर्ववत चलने लगता है. आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण का काम निरंतर जारी रहे, इसके लिए संबंधित विभागों की जिम्मेदारी जब तक तय नहीं की जाएगी, तब तक इस समस्या से मुक्ति नहीं मिल सकती.

Web Title: When will we finally get freedom from the terror of stray dogs?

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