क्या करें, जब व्यवस्था ही बेशर्म हो जाए !

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: December 11, 2025 07:35 IST2025-12-11T07:35:31+5:302025-12-11T07:35:36+5:30

सवाल है कि क्या नगर पालिकाओं या महानगरपालिकाओं के अधिकारियों को यह सब दिखाई नहीं देता?

What to do when system itself becomes shameless | क्या करें, जब व्यवस्था ही बेशर्म हो जाए !

क्या करें, जब व्यवस्था ही बेशर्म हो जाए !

बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने एक बार फिर नागपुर शहर में अवैध होर्डिंग और पोस्टर हटाने के आदेश महानगरपालिका को दिए हैं. इस वक्त नागपुर में महाराष्ट्र विधानसभा का सत्र चल रहा है और पूरा शहर नेताओं के होर्डिंग्स और पोस्टर से अटा पड़ा है. यह पहला मौका नहीं है जब नागपुर महानगरपालिका को इस तरह के आदेश दिए गए हैं. वर्ष 2010 में भी मनपा को आदेश दिए गए थे कि वह अवैध होर्डिंग्स को हटाए लेकिन हकीकत यही है कि मनपा अधिकारी होर्डिंग्स हटाने को लेकर सजग नहीं रहते हैं.

उनकी हिम्मत नहीं होती कि राजनीतिक दलों के होर्डिंग और पोस्टर पर वे हाथ डाल सकें. उन्हें भय सताता है कि उनके खिलाफ कहीं कार्रवाई न हो जाए, यही कारण है कि वे लापरवाही भरा रवैया अपनाते हैं. राजनीतिक होर्डिंग पोस्टर का मसला केवल नागपुर का ही नहीं है बल्कि छत्रपति संभाजी नगर, अमरावती, अकोला से लेकर नांदेड़, वर्धा या चंद्रपुर जैसे शहरों में भी यदि कोई नेता आता है, किसी नेता का जन्मदिन होता है या किसी नेता को कोई पद मिल जाता है तो चौक-चौराहों से लेकर उड़ानपुल तक उसके होर्डिंग और पोस्टर लहराने लगते हैं. उन होर्डिंग और पोस्टर को कोई हटाता भी नहीं.

वे फट कर और टूट कर गिर जाते हैं तभी जनता को उनसे निजात मिलती है लेकिन ऐसा होने के पहले दूसरे होर्डिंग पोस्टर टंग जाते हैं. पिछले कुछ वर्षां से होडिंग्स के फ्रेम के लिए लोहे के पतले पतरे का इस्तेमाल किया जाता है. कई बार यह फ्रेम हवा के झोंके से टूट कर नीचे गिर जाता है और वाहन चालकों के लिए जानलेवा साबित होता है. सवाल है कि क्या नगर पालिकाओं या महानगरपालिकाओं के अधिकारियों को यह सब दिखाई नहीं देता? उन्हें सब कुछ दिखाई देता है लेकिन हकीकत यह है कि ज्यादातर अधिकारी राजनीति की चाकरी करते नजर आते हैं.

उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं कि जिन नागरिकों के टैक्स से उन्हें तनख्वाह मिलती है, वह क्या संकट झेल रहा है. अभी जब उच्च न्यायालय ने नया आदेश दिया तो इस बात पर भी विचार किया कि अवैध राजनीतिक होर्डिंग्स को रोकने में नाकामयाब रहने वाले मनपा अधिकारियों को एक दिन के जेल की प्रतीकात्मक सजा दी जाए मगर मनपा के वकील ने एक और मौका दिए जाने का अनुरोध किया और इस तरह लापरवाह अधिकारी जेल जाने से बच गए.

यहां गंभीर सवाल यह है कि इस बार यदि अधिकारी आदेशों का पालन नहीं कर पाए तो क्या उन्हें जेल भेजा जाएगा? सवाल इसलिए है क्योंकि हर बार बच निकलने की कोई न कोई राह अधिकारी निकाल ही लेते हैं.

Web Title: What to do when system itself becomes shameless

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